Makar Sankranti 2019: जानें, मकर संक्रांति पर दान का महत्व और कौन सा मंत्र करें जाप
सोमवार को शाम 7:53 बजे सूर्य, मकर राशि में आएंगे और मंगलवार को उदयातिथि में संक्रांति होगी।
कानपुर, जेएनएन। सूर्य जब धनु राशि से मकर राशि में प्रवेश करते हैं तो मकर संक्रांति का पर्व होता है, इस बार 15 जनवरी को यह पर्व मनाया जाएगा। श्रद्धालु गंगा में पुण्य की डुबकी लगाएंगे और सुख समृद्धि की कामना करेंगे। भारतीय ज्योतिष परिषद के अध्यक्ष केए दुबे पद्मेश के मुताबिक सोमवार को शाम 7:53 बजे सूर्य, मकर राशि में आएंगे। मंगलवार को उदयातिथि में भी सूर्य की संक्रांति होगी इसलिए 15 जनवरी को ही मकर संक्रांति का पर्व रवि योग में मनाया जाएगा, इस दिन से प्रयाग में कुंभ भी शुरू होगा। गंगास्नान, दान और भगवान भास्कर को अघ्र्य देने से अनंत पुण्य की प्राप्ति होगी।
दान का विशेष महत्व
इस दान का विशेष महत्व है। गुड़, तिल, खिचड़ी, कंबल व अन्न का दान करना श्रेयकर होता है। इस दिन का पौराणिक महत्व भी है। सूर्य अपने पुत्र शनि के घर जाते हैं। मान्यता है कि भगवान विष्णु ने असुरों का संहार भी इसी दिन किया था।
चंद्रमा का प्रतीक है चावल
शास्त्रों में चावल को चंद्रमा, काली उड़द की दाल को शनि , हल्दी को बृहस्पति, नमक को शुक्र का प्रतीक माना गया है। हरी सब्जियां बुध से संबंध रखती हैं। खिचड़ी की गर्मी व्यक्ति को मंगल और सूर्य से जोड़ती है। इसलिए इस दिन खिचड़ी का दान करना चाहिए।
इन मंत्रों का करें जाप
ओम नमो भगवते सूर्याय नम: या ओम सूर्याय नम: मंत्र का जप करते हुए गंगा में पुण्य की डुबकी लगानी चाहिए।
सकारात्मकता का प्रतीक
शास्त्रों मे दक्षिणायन को देवताओं की रात्रि अर्थात नकारात्मक समय तथा उत्तरायण को सकारात्मकता का प्रतीक माना गया है। पौराणिक संदर्भ में मान्यता है कि भगवान सूर्य अपने पुत्र शनि से मिलने उनके गृह आते हैं। मकर राशि के स्वामी चूंकि शनिदेव हैं, इसलिए भी इसे मकर संक्रांति कहा जाता है। महाभारत काल में भीष्म पितामह ने देह त्याग का समय यही चुना था।