जानिए-कहां से आ रही धुंध और किसके पाप की सजा भुगतने को मजबूर हो रहा कानपुर समेत उत्तर का क्षेत्र
लगातार आ रहे धुएं से शहर में धुंध के बादल गहराते जा रहे हैं पश्चिम क्षेत्र में पराली जलाने के कारण पश्चिमी विक्षोभ कमजोर होने से उत्तर क्षेत्र में असर दिखाई दे रहा है। वातावरण में फोटो केमिकल स्मॉग बनने से सुबह -शाम धुंध की आगोश में कानपुर आता है।
कानपुर, [विक्सन सिक्रोडिय़ा]। पश्चिमी क्षेत्र में पराली जलाने के 'पाप' की सजा पश्चिमी विक्षोभ कमजोर होने के कारण उत्तर क्षेत्र वाले भुगत रहे हैं। इसीलिए कानपुर भी धुंध के बादलों की चपेट में है। पंजाब, हरियाणा व पश्चिमी उत्तर प्रदेश के खेतों में जलने वाली पराली का धुआं लगातार यहां पहुंच रहा है। पीपीएन डिग्री कॉलेज में भौतिक विज्ञान विभाग के असिस्टेंट प्रोफेसर व पर्यावरणविद् डॉ. सतीश चंद्र बताते हैं कि पश्चिमी विक्षोभ कमजोर होने से हवा पश्चिम से पूरब की ओर बहती है। इन दिनों ऐसी ही स्थिति के कारण मौजूदा हालत बने हैं।
क्या होता है फोटो केमिकल स्मॉग
उन्होंने बताया कि वातावरण में 'फोटो केमिकल स्मॉग' बनने का यही मुख्य कारण है, जिससे सुबह व शाम शहर धुंध की चादर ओढ़े रहता है। पराली जलने से धुएं के कण धीरे धीरे नीचे की ओर आते जाते हैं। यह कण कई हफ्तों तक एक ही सतह पर रहते हैं। बारीक कणों की यह परत एक ही जगह पर रहते हुए काफी मोटी हो जाती है। इसमें माइक्रोसाइज पार्टिकल होते हैं। उन्होंने बताया कि 200 मीटर से दो किलोमीटर ऊपर बाउंड्री लेयर होती है, जहां पर इसका अहसास किया जा सकता है। उस लेयर में पेड़-पौधे, पहाड़ व इमारत नहीं होने से हवा लगातार बहते हुए आगे बढऩे से संबंधित क्षेत्र प्रदूषित होते जाते हैं।
प्रदूषण घटा, पर खतरा नहीं टला
पटाखों पर प्रतिबंध लगाने व निर्माण कार्य स्थलों पर पानी छिड़काव कराने से प्रदूषण का स्तर मंगलवार की अपेक्षा कुछ कम जरूर हुआ है, लेकिन सांसों पर खतरा बरकरार है। बुधवार को पीएम-2.5 की मात्रा 349 माइक्रोग्राम प्रति मीटर क्यूब दर्ज की गई, जबकि मंगलवार को यह 422 माइक्रोग्राम प्रति मीटर क्यूब रही थी।
नौ औद्योगिक इकाइयों को नोटिस, 19.50 लाख जुर्माना
प्रदूषण नियंत्रण अधिकारी आनंद कुमार ने बताया कि लगातार निरीक्षण कर रहे हैं। पनकी व दादानगर की नौ औद्योगिक इकाइयों को धूल का प्रबंधन न करने, हानिकारक गैसें उत्सर्जित करने व उनकी रोकथाम के लिए ठोस कदम नहीं उठाने पर नोटिस दिया है। साथ ही चार औद्योगिक इकाइयों को 19 लाख 50 हजार की पर्यावरण क्षतिपूर्ति का जुर्माना लगाया गया है।
नियंत्रण के लिए ये जरूरी
- -निर्माण स्थलों से सटी सड़कें पक्की हों, मिट्टी खोदाई में धूल न उड़े।
- -मिट्टी व निर्माण सामग्री बिना ढके न रखें, जल छिड़काव हो।
- -निर्माण सामग्री की घिसाई व कटाई खुले में न हो, स्थल पर टीनशेड लगें।
- -कार्यस्थल के अंदर भी मिट्टी को नेट से ढका जाए, परिवहन में भी ढकें।
शहर में यहां निर्माण कार्य
- -आइआइटी गेट से लेकर बेनाझाबर तक मेट्रो का काम व नानाराव पार्क सुंदरीकरण
- -फूलबाग में सड़क और शहर में इमारतों का निर्माण।
- -कैंट में नए सर्किट हाउस और झकरकटी पुल का निर्माण।
- -कैंट में झाड़ीबाबा पड़ाव पुल का निर्माण।