जानिए, कैसे बढ़े साध्वी निरंजन ज्योति के अध्यात्म की ओर कदम, किसके भाषण ने किया उद्वेलित
शहाबुद्दीन के भाषणों से तिलमिला विहिप से जुड़ी थी, अध्यात्म के प्रति रुचि के चलते 1984 में हरिद्वार में संन्यास लिया था।
By AbhishekEdited By: Published: Tue, 15 Jan 2019 12:58 PM (IST)Updated: Tue, 15 Jan 2019 12:58 PM (IST)
महेश शर्मा, कानपुर। कठिनाइयों से भरे रास्तों पर चलकर साध्वी निरंजन ज्योति न केवल केंद्रीय मंत्री के मुकाम पर पहुंचीं बल्कि अब निरंजनी अखाड़े की महामंडलेश्वर की उपलब्धि भी हासिल करके अध्यात्मिक बुलंदियां भी हासिल कर ली हैं। राजनीति और धर्म-अध्यात्म, दोनों के शिखर तक पहुंचीं साध्वी का बचपन बेहद गरीबी में गुजरा है।
अत्युतानंद शास्त्री को बनाया था गुरु
हमीरपुर जिले के यमुना तटवर्ती गांव पत्योरा के मजरा मलिहा ताला में वर्ष 1967 में स्व. शिव प्रसाद निषाद व स्व. शिवकली के घर जन्मी साध्वी निरंजन ज्योति तीन भाइयों व एक बहन में दूसरे नंबर की हैं। उन्होंने वर्ष 1993 में गुरु अत्युतानंद शास्त्री के ब्रह्मलीन होने के बाद गुरुभाई स्वामी परमानंदजी महराज के सानिध्य में विहिप के कार्यक्रमों में भाग लेना शुरू किया। धर्मांतरण रोकने के लिए छत्तीसगढ़, पश्चिम बंगाल व केरल में भी सेवा कार्य करने का मौका मिला।
पिता के साथ चलाया फावड़ा
साध्वी वार्ता में यह बताने में नहीं हिचकतीं, कि बचपन में ही पिता के साथ काम के बदले अनाज योजना में वह पत्योरा पंप कैनाल की खोदाई करने जाती थीं, मजदूरों के साथ फावड़ा चलाती थीं। बचपन में धर्म-अध्यात्म की ओर रुचि हुई तो वर्ष 1979 में गांव के समीप यमुना-बेतवा नदी के दोआबा में कल्पवास करने पहुंचे ब्रह्मलीन स्वामी अच्युतानंद शास्त्री के संपर्क में आईं। उनके मूसानगर (कानपुर देहात) स्थित आश्रम में रह कर योग व वेेदांत की शिक्षा लेनी शुरू कर दी।
राजनीति में आने का भी अलग किस्सा
वह बताती हैं कि राजनीति में आने के पीछे भी अलग ही किस्सा है। शुरुआती दौर में राजनीति से कोई नाता न था, लेकिन वर्ष 1984 में कुछ ऐसा घटा कि उन्हें सोचने पर मजबूर होना पड़ा। यह वह वक्त था जब वह हरिद्वार में संन्यास ग्रहण कर चुकी थीं। अयोध्या में राम मंदिर का ताला खोलने के लिए आंदोलन शुरू हो चुका। उसी दौरान मुस्लिम नेता शहाबुद्दीन के तेजाबी भाषण व अयोध्या मार्च के ऐलान ने उन्हें तिलमिला दिया था। इसके चलते वह विश्व हिंदू परिषद से जुड़ कर राम मंदिर आंदोलन में सक्रिय हो गईं।
अबतक का संक्षिप्त राजनीतिक सफर
भाजपा से जुड़कर वर्ष 2002 व 2007 में हमीरपुर सदर सीट से विधानसभा का चुनाव लड़ा, मगर सफलता वर्ष 2012 में मिली। 2014 में पार्टी ने फतेहपुर संसदीय सीट से चुनाव लड़ाया और जीत के बाद निरंजन ज्योति ने खाद्य प्रसंस्करण राज्यमंत्री के तौर पर शपथ ली।
राजनीति को कभी धर्म से अलग नहीं माना
निरंजनी अखाड़ा की महामंडलेश्वर बनने और राजनीति के साथ धर्म के क्षेत्र की अतिरिक्त जिम्मेदारी बढऩे के सवाल पर साध्वी निरंजन ज्योति कहती हैं कि राजनीति को कभी धर्म से अलग नही माना। वह धर्म के मार्ग पर चल कर ही राजनीति के क्षेत्र में सक्रिय रही हैं। राम मंदिर निर्माण के सवाल पर वह कहती हैं कि मंदिर बनेगा। दुनिया की कोई ताकत रोक नहीं सकती।
कुंभ में भागवत कथा करेंगी साध्वी
कैबिनेट मंत्री साध्वी निरंजन ज्योति महामंडलेश्वर बनने के बाद अब कुंभ में भूमिका भी निभाएंगी। उनकी अखंड परमधाम नंदिनी गोशाला का शिविर कुंभ में लगाया गया है। सेक्टर 15 में साध्वी 17 से 23 जनवरी तक भक्तों को भागवत कथा का श्रवण कराएंगी। जाएगा। 24 घंटे भंडारा भी चलेगा। इन कार्यक्रमों की मुख्य जिम्मेदारी उन्होंने नगर पालिका हमीरपुर के चेयरमैन कुलदीप निषाद को दी है। वह भी इस समय प्रयागराज में उनके साथ हैं।
अत्युतानंद शास्त्री को बनाया था गुरु
हमीरपुर जिले के यमुना तटवर्ती गांव पत्योरा के मजरा मलिहा ताला में वर्ष 1967 में स्व. शिव प्रसाद निषाद व स्व. शिवकली के घर जन्मी साध्वी निरंजन ज्योति तीन भाइयों व एक बहन में दूसरे नंबर की हैं। उन्होंने वर्ष 1993 में गुरु अत्युतानंद शास्त्री के ब्रह्मलीन होने के बाद गुरुभाई स्वामी परमानंदजी महराज के सानिध्य में विहिप के कार्यक्रमों में भाग लेना शुरू किया। धर्मांतरण रोकने के लिए छत्तीसगढ़, पश्चिम बंगाल व केरल में भी सेवा कार्य करने का मौका मिला।
पिता के साथ चलाया फावड़ा
साध्वी वार्ता में यह बताने में नहीं हिचकतीं, कि बचपन में ही पिता के साथ काम के बदले अनाज योजना में वह पत्योरा पंप कैनाल की खोदाई करने जाती थीं, मजदूरों के साथ फावड़ा चलाती थीं। बचपन में धर्म-अध्यात्म की ओर रुचि हुई तो वर्ष 1979 में गांव के समीप यमुना-बेतवा नदी के दोआबा में कल्पवास करने पहुंचे ब्रह्मलीन स्वामी अच्युतानंद शास्त्री के संपर्क में आईं। उनके मूसानगर (कानपुर देहात) स्थित आश्रम में रह कर योग व वेेदांत की शिक्षा लेनी शुरू कर दी।
राजनीति में आने का भी अलग किस्सा
वह बताती हैं कि राजनीति में आने के पीछे भी अलग ही किस्सा है। शुरुआती दौर में राजनीति से कोई नाता न था, लेकिन वर्ष 1984 में कुछ ऐसा घटा कि उन्हें सोचने पर मजबूर होना पड़ा। यह वह वक्त था जब वह हरिद्वार में संन्यास ग्रहण कर चुकी थीं। अयोध्या में राम मंदिर का ताला खोलने के लिए आंदोलन शुरू हो चुका। उसी दौरान मुस्लिम नेता शहाबुद्दीन के तेजाबी भाषण व अयोध्या मार्च के ऐलान ने उन्हें तिलमिला दिया था। इसके चलते वह विश्व हिंदू परिषद से जुड़ कर राम मंदिर आंदोलन में सक्रिय हो गईं।
अबतक का संक्षिप्त राजनीतिक सफर
भाजपा से जुड़कर वर्ष 2002 व 2007 में हमीरपुर सदर सीट से विधानसभा का चुनाव लड़ा, मगर सफलता वर्ष 2012 में मिली। 2014 में पार्टी ने फतेहपुर संसदीय सीट से चुनाव लड़ाया और जीत के बाद निरंजन ज्योति ने खाद्य प्रसंस्करण राज्यमंत्री के तौर पर शपथ ली।
राजनीति को कभी धर्म से अलग नहीं माना
निरंजनी अखाड़ा की महामंडलेश्वर बनने और राजनीति के साथ धर्म के क्षेत्र की अतिरिक्त जिम्मेदारी बढऩे के सवाल पर साध्वी निरंजन ज्योति कहती हैं कि राजनीति को कभी धर्म से अलग नही माना। वह धर्म के मार्ग पर चल कर ही राजनीति के क्षेत्र में सक्रिय रही हैं। राम मंदिर निर्माण के सवाल पर वह कहती हैं कि मंदिर बनेगा। दुनिया की कोई ताकत रोक नहीं सकती।
कुंभ में भागवत कथा करेंगी साध्वी
कैबिनेट मंत्री साध्वी निरंजन ज्योति महामंडलेश्वर बनने के बाद अब कुंभ में भूमिका भी निभाएंगी। उनकी अखंड परमधाम नंदिनी गोशाला का शिविर कुंभ में लगाया गया है। सेक्टर 15 में साध्वी 17 से 23 जनवरी तक भक्तों को भागवत कथा का श्रवण कराएंगी। जाएगा। 24 घंटे भंडारा भी चलेगा। इन कार्यक्रमों की मुख्य जिम्मेदारी उन्होंने नगर पालिका हमीरपुर के चेयरमैन कुलदीप निषाद को दी है। वह भी इस समय प्रयागराज में उनके साथ हैं।
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