अगस्त क्रांति में 136 नेताओं की हुई थी गिरफ्तारी, हिल गई थी अंग्रेजी हुकूमत
अंग्रेजों भारत छोड़ो आंदोलन के साथ शुरू हुई अगस्त क्रांति के समय तिलक हाल के पास श्रद्धानंद पार्क में कई नेता एकत्र हुए थे।
कानपुर, जेएनएन। अंग्रेजोंं भारत छोड़ो नारे के साथ अगस्त क्रांति की शुरुआत हुई थी। देशभर में व्यापक पैमाने पर हो रहे विरोध को देखते अंग्रेजी हुक्मरान परेशान हो गए। गांधी, नेहरू, पटेल, तिलक समेत सभी बड़े नेताओं को गिरफ्तार कर लिया गया। इसके बाद तो देश में तूफान आ गया। लोगों ने विरोध के साथ ही तोडफ़ोड़ और सरकारी सपंत्तियों को नुकसान पहुंचाना शुरू कर दिया। क्रांतिकारियों ने भी सरकारी तंत्र पर अपने तरीके से हमला बोला। इस विरोध को दबाने के लिए अंग्रेजों ने सभी नेताओं की गिरफ्तारी शुरू कर दी। नौ अगस्त को तिलक हाल के बगल में स्थित श्रद्धानंद पार्क से कई नेताओं की गिरफ्तारी हुई थी।
वरिष्ठ कांग्रेस नेता शंकरदत्त मिश्र बताते हैं कि तब पूरे शहर में 136 नेताओं को गिरफ्तार किया गया था। द्वितीय विश्व युद्ध के समर्थन के एवज में अंग्रेजों ने भारत छोडऩे का आश्वासन दिया था, लेकिन देश नहीं छोड़ा। वादाखिलाफी को लेकर कांग्रेस में गुस्सा था। वह बताते हैं कि अगस्त क्रांति की नींव चार जुलाई 1942 को तब पड़ गई थी जब भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने अंग्रेजों को भारत छोडऩे का अल्टीमेटम दिया था। देश न छोडऩे की स्थिति में नागरिक अवज्ञा आंदोलन शुरू करने का निर्णय हुआ था। इसके बाद भी अंग्रेज नहीं चेते तो भारत छोड़ो आंदोलन और करो या मरो का प्रस्ताव आया। हालांकि इस पर एक राय न होने के चलते निर्णय नहीं हो पा रहा था।
आठ अगस्त की रात गांधी जी ने अंग्रेजों भारत छोड़ो.. का नारा दिया। पूरा देश इस नारे के साथ आ गया। सरकारी कार्यालयों में कर्मचारियों के साथ जनता भी अंग्रेजी हुकूमत के विरोध में उतर आई थी। शहर के कांग्रेसी नेताओं ने भी आंदोलन की रूपरेखा बनाई। इसके लिए नौ अगस्त को तिलक हाल स्थित श्रद्धानंद पार्क में दर्जनों नेता एकत्रित हुए। सूचना पर अंग्रेजों ने छापा मारा और कई नेताओं को गिरफ्तार किया। कुछ को घर से ही गिरफ्तार कर लिया गया। गिरफ्तार होने वालों में डॉ. जवाहर लाल रोहतगी, बीबी जोग, देवी सहाय बाजपेयी, हमीद खां, बाबू प्यारेलाल अग्रवाल, बालकृष्ण शर्मा नवीन, शैल बिहारी शंकर, ठाकुर जंग बहादुर सिंह सरीखे बड़े नाम शामिल थे जबकि कई नेता अंडर ग्राउंड हो गए थे।