Move to Jagran APP

जानिए, अकबरपुर संसदीय क्षेत्र में मतदान के बाद क्या बन रहे समीकरण

घाटमपुर विधानसभा क्षेत्र छोड़ बाकी सभी में ज्यादा हुआ मतदान।

By AbhishekEdited By: Published: Fri, 03 May 2019 04:46 PM (IST)Updated: Fri, 03 May 2019 04:46 PM (IST)
जानिए, अकबरपुर संसदीय क्षेत्र में मतदान के बाद क्या बन रहे समीकरण
जानिए, अकबरपुर संसदीय क्षेत्र में मतदान के बाद क्या बन रहे समीकरण

कानपुर, जेएनएन। गांव की गलियों से शहर के प्रमुख मोहल्ले के बीच फैले अकबरपुर संसदीय क्षेत्र में हर बूथ पर अलग-अलग संघर्ष देखने को मिला। एक ही मतदान केंद्र पर अलग-अलग बूथों पर अलग-अलग प्रत्याशियों के बीच खींचतान नजर आ रही थी। इतने निचले स्तर चल रही खींचतान ने प्रत्याशियों की धड़कनें बढ़ा दी हैं। 2014 लोकसभा चुनाव के मुकाबले इस चुनाव में 1.5 फीसद मतदान बढ़ा। मतदान बढ़ाने की दौड़ में सिर्फ घाटमपुर विधानसभा क्षेत्र अपना सहयोग नहीं कर सका, वरना अकबरपुर रनिया, बिठूर, कल्याणपुर, महाराजपुर सभी में 2014 से बढ़ कर वोट पड़े।

loksabha election banner

वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव में भाजपा प्रत्याशी देवेंद्र सिंह भोले ने बसपा प्रत्याशी अनिल शुक्ल वारसी को 2,78,997 वोटों से पराजित किया था। उससे पहले 2009 के चुनाव में कांग्र्रेस के राजाराम पाल सासंद बने थे, लेकिन 2014 के चुनाव में वह 96,827 वोटों के साथ चौथे स्थान पर चले गए थे। भाजपा सांसद देवेंद्र सिंह भोले के लिए अच्छी बात यह थी कि उन्होंने 2014 में अपने संसदीय क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले पांचों विधानसभा क्षेत्रों में बढ़त हासिल की थी। वह अकबरपुर रनिया, बिठूर, कल्याणपुर, महाराजपुर, घाटमपुर सभी जगह दूसरे प्रत्याशियों से आगे रहे। अकबरपुर रनिया, बिठूर, महाराजपुर, घाटमपुर में बसपा उनसे संघर्ष कर रही थी तो कल्याणपुर क्षेत्र में कांग्र्रेस टक्कर दे रही थी। पिछले लोकसभा चुनाव का असर 2017 के विधानसभा चुनाव पर पड़ा। भाजपा ने इस संसदीय सीट के अंतर्गत आने वाली पांचों विधानसभा सीटें जीत लीं। इसमें कल्याणपुर विधानसभा क्षेत्र में भाजपा का वोट कम हुआ था, लेकिन बाकी सभी सीटों पर वोट बढ़ा।

अब 2019 के लोकसभा चुनाव में भाजपा के सामने बसपा और सपा मिलकर मैदान में है। 2017 के विधानसभा चुनाव में सपा अकबर रनिया, बिठूर व कल्याणपुर सीट पर दूसरे नंबर पर थी जबकि बसपा महाराजपुर और घाटमपुर में। अब पूर्व सांसद, वर्तमान सांसद और सपा, बसपा गठबंधन की प्रत्याशी त्रिकोणीय संघर्ष में हैं। 2019 के लोकसभा चुनाव की बात की जाए तो तीनों प्रत्याशी हर जगह संघर्ष करते नजर आए। पार्टी के अंदरूनी संघर्ष का लाभ उठाते हुए सेंधमारी भी की गई। भाजपा नेता जहां एक बार फिर लंबी जीत का दावा कर रहे हैं, वहीं बसपा नेताओं का दावा है कि उन्हें गठबंधन का पूरा लाभ मिलेगा। यह उनकी जीत का आधार होगा। कांग्र्रेसियों के मुताबिक पुराना मतदाता फिर उनकी ओर मुड़ा है और उन्हें जीत मिलेगी।

लोकसभा चुनाव और क्रिकेट से संबंधित अपडेट पाने के लिए डाउनलोड करें जागरण एप


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.