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जानिए, किस तरह आपको ट्रैफिक जाम और जेनरेटर बना रहा डायबिटीज का मरीज Kanpur News

केडीएकॉन में शिकरत करने धनबाद से आए डॉ. एनके सिंह ने शोध की जानकारी दी।

By AbhishekEdited By: Published: Sun, 11 Aug 2019 03:26 PM (IST)Updated: Mon, 12 Aug 2019 10:06 AM (IST)
जानिए, किस तरह आपको ट्रैफिक जाम और जेनरेटर बना रहा डायबिटीज का मरीज Kanpur News
जानिए, किस तरह आपको ट्रैफिक जाम और जेनरेटर बना रहा डायबिटीज का मरीज Kanpur News
कानपुर, जेएनएन। तनाव और अनियमित दिनचर्या ही डायबिटीज का कारण नहीं है, डॉक्टरों के एक शोध में चौंकाने वाली वजह भी सामने आई है। ये वजहें आम दिनचर्या का हिस्सा बन चुकी हैं। इसकी वजह से स्वस्थ्य व्यक्ति भी बीमारी की चपेट में आ रहा है। डॉक्टरों ने माना है कि डायबिटीज का एक कारण ध्वनि प्रदूषण भी और इससे होने वाले दिमागी असंतुलन से पैंक्रियाज को नुकसान पहुंच रहा है और लोग मधुमेह की चपेट में आ रहे हैं। यह खुलासा चेन्नई-हैदराबाद में डायबिटीज पर चल रहे अध्ययन में हुआ है।
इस तरह ध्वनि प्रदूषण से होता मधुमेह
धनबाद से आए डॉ. एनके सिंह ने महानगरों का ट्रैफिक जाम, एयरपोर्ट, कल-कारखानों एवं जेनरेटर का ध्वनि प्रदूषण भी डायबिटीज (मधुमेह) के लिए जिम्मेदार है। 60 डेसिबल से अधिक 100 से 120 डेसिबल तक का ध्वनि प्रदूषण ब्रेन में बायोकेमिकल पैदा करता है। यह बायोकेमिकल रक्त के माध्यम से पैंक्रियाज तक पहुंच कर नुकसान पहुंचाते हैं। पैंक्रियाज में इंसुलिन कम बनती है जो डायबिटीज की वजह बनती है।
कम उम्र में डायबिटीज की संभावना अधिक
डॉ. एनके सिंह बताते हैं कि चेन्नई में कई गर्भवती पर ध्वनि प्रदूषण के प्रभाव पर अध्यन हुआ है। प्रसव उपरांत बच्चे की निगरानी की गई। इसमें पाया गया कि बच्चे कम उम्र में ही डायबिटीज की चपेट में आ गए।
फलों और सब्जियां तीन मिनट धोएं
कनाडा में डायबिटीज पर हुए अध्ययन में फल-सब्जियों के छिलके में एक हजार गुना जहरीले रसायन मिले हैं जो रक्त में भी पाए गए। यह डायबिटीज की बड़ी वजह बन रहे हैं। इसलिए फल-सब्जियों को चमकाने में इस्तेमाल हो रहे रसायनों के दुष्प्रभाव से बचना जरूरी है। फलों का छिलका उतार कर खाएं। सब्जियों को तीन मिनट तक पानी में अच्छी तरह धोने के बाद प्रयोग करें। प्रदूषण की वजह से 20-30 वर्ष के युवाओं के रक्त में शुगर का स्तर 400-500 तक पाया जा रहा है।
अब पहले से पता चल जाएगा खतरा
लंबे समय तक डायबिटीज से पीडि़त मरीज को किडनी, हार्ट और आंखों की समस्या होने का पहले पता चल जाएगा। भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आइसीएमआर) ऐसे जीन की पहचान पर शोध कर रहा है ताकि समय पर इलाज से रोकथाम संभव हो। नोएडा के डॉ. अमित गुप्ता एवं जमशेदपुर से आए डॉ. अनिल विरमानी ने बताया कि दस सालों में डायबिटीज का प्रभावी इलाज आ जाएगा। जीन के जरिये जांच कर जटिलताओं का पहले पता लगा लिया जाएगा। कौन सी दवा कारगर है, इसका भी पता चल जाएगा। उसके हिसाब से इलाज होगा।

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