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KBC 2019 : जानें, बिग बी से 'सहानुभूति नहीं सम्मान चाहिए' कहने वाली नुपुर की कहानी Unnao News

उन्नाव के बीघापुर की रहने वाली नुपुर चौहान जन्म से दिव्यांग बिटिया ने कभी ट्राइसाइकिल का सहारा नहीं लिया।

By AbhishekEdited By: Published: Wed, 21 Aug 2019 07:18 PM (IST)Updated: Fri, 23 Aug 2019 04:13 PM (IST)
KBC 2019 : जानें, बिग बी से 'सहानुभूति नहीं सम्मान चाहिए' कहने वाली नुपुर की कहानी Unnao News
KBC 2019 : जानें, बिग बी से 'सहानुभूति नहीं सम्मान चाहिए' कहने वाली नुपुर की कहानी Unnao News

उन्नाव, [जागरण स्पेशल]। कौन बनेगा करोड़पति-2019 के प्रोमो में अमिताभ बच्चन से 'सहानुभूति नहीं चाहिए, सम्मान चाहिए' कहकर सभी का दिल झकझोर देने वालीं नुपुर चौहान की मेधा से आज उन्नाव समेत प्रदेश गर्व महसूस कर रहा है।

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मेधा के बल पर केबीसी में चयनित नुपुर की अब अमिताभ बच्चन के सामने हॉट सीट पर बैठकर विजेता बनने की चाहत है। जन्म से आधा शरीर लकवाग्र्रस्त था लेकिन उन्होंने कभी लाचारी को खुद पर हावी नहीं होने दिया बल्कि कामयाबी का मुकाम पाया। न कभी बैसाखी का सहारा लिया और न ही ट्राइ साइकिल का। उनके इस जज़्बे को प्रोमो में अमिताभ बच्चन भी सराहते नजर आ रहे हैं।

साधारण किसान के घर जन्मीं नुपुर

उन्नाव के बीघापुर तहसील के गांव कपूरपुर निवासी किसान रामकुमार सिंह चौहान मुन्ना और गृहणी कल्पना की बेटी नूपुर जन्म से ही दिव्यांग थी। जन्म के छह माह बाद माता-पिता को जानकारी हुई। इलाज से फायदा न होने पर उन्होंने उसे कानपुर के एक दिव्यांग विद्यालय में दाखिला दिलाया। नूपुर की मेधा देख शिक्षक ने उसे सामान्य विद्यालय में पढ़ाने की सलाह दी जिस पर उसे कान्वेंट स्कूल में प्रवेश दिलाया गया। सबकी चहेती रहीं नूपुर ने स्नातक होने के बाद बच्चों को घर पर पढ़ाना शुरू किया। नूपुर कहती हैं कि खुद को कभी कमजोर न होने दें, क्योंकि सूरज को डूबते देखकर लोग घर के दरवाजे बंद करने लगते हैं।

शूटिंग को टीम आई तो पता चली प्रतिभा

'कौन बनेगा करोड़पति' के लिए चयन होने पर मुंबई से आई टीम ने कानपुर व गांव कपूरपुर में शूटिंग की तो ग्र्रामीणों को उसकी प्रतिभा पता चली। अब टीवी और यू-ट्यूब पर केबीसी के शो में सदी के महानायक अमिताभ बच्चन के साथ उनका प्रोमो चल रहा है। लोगों ने जब प्रोमो में नुपुर को देखा तो उनकी प्रतिभा और साहस को हर कोई सलाम करता नजर आया।

ननिहाल में परवरिश व शिक्षा-दीक्षा

जन्म से ही कई बीमारियां होने से मां इलाज कराने के लिए उसे लेकर मायके कानपुर चली गई। कानपुर के गांधीग्राम निवासी नाना जगतपाल सिंह और नानी पदमा सिंह के संरक्षण में परवरिश हुई। मां के अलावा मौसी सुमन, नीलम, रजनी व मामा राजेश भदौरिया ने हौसला बढ़ाया। जिंदगी से संघर्ष को तैयार नूपुर को 29 वर्ष की उम्र तक उसे कई बार ट्राई साइकिल मिली पर हर बार उसने किसी जरूरतमंद को दे दी।

डॉक्टरों के जवाब देने के बाद मौसी से मिला था नया जीवन

नूपुर के पिता बताते हैं कि जन्म के समय बिटिया के शरीर पर कई घाव थे। डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया था। करीब तीन घंटे बाद उसकी मौसी नीलम ने छुआ तो उसके जीवित होने का अहसास हुआ। उन्होंने पीठ पर थपकी दी तो बिटिया रो पड़ी। मौसी से जीवन संग ङ्क्षजदगी जीने का हौसला मिला।


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