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जानिए- कानपुर कोतवाली का इतिहास, 25 माह में बनकर तैयार हुआ था दोमंजिला भवन

कानपुर शहर में मौजूद हेरिटेज बिल्डिंग में से कोतवाली भवन भी एक है। 84 साल पहले बने इस भवन में शुरुआती दौर में बैठने वाले अंग्रेस पुलिस अफसर यहीं से पूरे शहर पर नियंत्रण रखते थे। यहां बैठने वाले अंग्रेज पुलिस अफसर को थानेदार कहा जाता था।

By Abhishek AgnihotriEdited By: Published: Sun, 29 Nov 2020 02:44 PM (IST)Updated: Sun, 29 Nov 2020 05:28 PM (IST)
जानिए- कानपुर कोतवाली का इतिहास, 25 माह में बनकर तैयार हुआ था दोमंजिला भवन
कानपुर की विरासत बन चुका कोतवाली का पुराना भवन।

कानपुर, जेएनएन। यूं तो कानपुर शहर के अंदर कई हेरिटेज बिल्डिंग हैं, सभी का अपना अलग इतिहास है। शहर के दिल कहे जाने वाले बड़ा चौराहा से गुजरने पर निश्चित ही सबकी नजर कानपुर कोतवाली पर जरूर पड़ी होगी। उसे देखकर जेहन में सवाल भी उठता होगा कि बहुत पुराना दिखने वाली ये कोतवाली कब और किसने बनवाई और इसका इतिहास क्या है। तो चहिए आपको कानपुर कोतवाली के इतिहास से परिचित कराते हैं...।

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84 साल पहले अंग्रेज गवर्नर ने रखी थी आधारशिला

कानपुर कोतवाली की आधारशिला 84 साल पहले अंग्रेज गवर्नर ने रखी थी। बड़ा चौराहा के पास बनी शहर की पहली कोतवाली का भूमि पूजन 10 मार्च 1936 को आगरा और अवध के गवर्नर जनरल हैरी हैग ने किया था। दो मंजिला काेतवाली की इमारत लगभग 25 महीने में बनकर तैयार हुई थी। 26 अप्रैल 1938 को कोतवाली का संचालन शुरू हुआ था। इसकी डिजाइन आईएसई अधिकारी रायबहादुर श्रीनारायण ने तैयार की थी और एसएस भार्गव कांट्रैक्टर थे।

यहां से पूरे शहर पर नियंत्रण रखते पुलिस अफसर

कोतवाली में लगे शिलालेख पर नजर डालें तो इसका निर्माण कानपुर एंपावरमेंट ट्रस्ट द्वारा किया गया था। बताया जाता है कि उस जमाने में अंग्रेज पुलिस अधिकारी पूरे शहर पर यहीं से नियंत्रण रखते थे। उनके बैरक भी कोतवाली परिसर में होते थे और चौबीस घंटे मौजूद रहते थे। उस समय अंग्रेज अधिकारी थानेदार होता था, बाद में शहर का विस्तार होने पर थाने बढ़े तो अधिकारी पद भी बढ़ाए गए।

जीर्णोद्धार मांग रही है कोतवाली

मौजूदा समय में भवन में कोतवाली का संचालन होने के साथ ही क्षेत्राधिकारी कोतवाली, एसपी पूर्वी और सिख दंगों के लिए गठित एसआईटी का कार्यालय भी संचालित है। बैरक को पुलिसकर्मियों के आवास के लिए प्रयोग किया जा रहा है। इस समय पुरानी इमारत को जीर्णोद्धार की दरकार है। भवन कई स्थानों पर जर्जर हो चुका है और छत का प्लास्टर निकल रहा है। कई कमरों में तो बारिश के समय पानी टपकता है। एसपी पूर्वी राजकुमार अग्रवाल कहते हैं कि भवन के जीर्णोद्धार के लिए विभाग को लिखा गया है। बड़ी इमारत होने की वजह से रखरखाव का बजट भी ज्यादा है।


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