किडनी प्रत्यारोपण में अब ब्लड ग्रुप नहीं बनेगा रोड़ा, आसानी से बदली जा सकेगी कोई भी किडनी Kanpur News
संभव हुआ इनकॉम्पिटेबल प्रत्यारोपण मरीज के शरीर से एंटी बॉडीज को भी विशेष तकनीक से जाता है निकाला।
कानपुर, जेएनएन। किडनी प्रत्यारोपण में अब ब्लड ग्रुप का रोड़ा नहीं होगा। उन्हें क्रॉस मैचिंग की समस्या से नहीं गुजरना पड़ेगा। अब इनकॉम्पिटेबल (एबीओ) प्रत्यारोपण संभव हो गया है। यह जानकारी इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आइएमए) और कानपुर यूरोलॉजी, नेफ्ररोलॉजी एसोशिएशन के संयुक्त तत्वावधान में रविवार को गैंजेज क्लब में आयोजित वैज्ञानिक गोष्ठी में फोर्टिस ग्रुप ऑफ हॉस्पिटल के चेयरमैन, नेफ्रोलॉजी डॉ. संजीव गुलाटी ने दी।
उन्होंने कहा कि अभी बेमेल दानदाता से प्राप्त किडनी मरीज के इम्यून सिस्टम से मेल नहीं खाती है तो प्रत्यारोपण नहीं हो पाता है। ऐसे में कई बार मरीज दम तोड़ देते हैं। अब कुछ दवाओं के सहारे मरीज के शरीर को डोनर की किडनी स्वीकार करने के लायक बना दिया जाता है। इसके लिए मरीज के शरीर से एंटी बॉडीज को भी विशेष तकनीक से निकाला जाता है। साथ ही नए एंटी बॉडीज बनाने के लिए उसे विशेष दवाएं दी जाती हैं। प्लाज्मा फिल्टर भी किया जाता है। हालांकि सामान्य प्रत्यारोपण की तुलना में डेढ़ से दो गुना महंगा है। इस कार्यक्रम के चेयरपर्सन वरीष्ठ यूरोलॉजिस्ट डॉ. अनिल जैन थे।
कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहीं आइएमए अध्यक्ष डॉ. रीता मित्तल ने अतिथियों का स्वागत किया। संचालन वैज्ञानिक सचिव डॉ. गौरव चावला ने किया। इस दौरान कानपुर यूरोलॉजी नेफ्रोरॉजी एसोसिएशन की अध्यक्ष डॉ. अर्चना भदौरिया, डॉ. राजेश भदौरिया, डॉ. डीके सिन्हा, डॉ. उमेश दुबे, डॉ. विकास शुक्ला, डॉ. कंचन शर्मा एवं डॉ. मनीश सक्सेना, डॉ. रजत मोहन, डॉ. रमीत कौर आहूजा, डॉ. एके त्रिवेदी , डॉ. पीसी बाजपेई, डॉ. विकास मिश्रा, डॉ. दिनेश सचान, डॉ. एसके निगम, डॉ. बृजेंद्र शुक्ला एवं डॉ. क्षमा शुक्ला मौजूद रहीं।