तलाक पीडि़त मुस्लिम महिलाओं को स्वावलंबी बनाएगा ख्वातीन बोर्ड
दारुलकजा, ख्वातीन बोर्ड, सुन्नी उलमा कौंसिल ने अभियान शुरू किया। महिला शहरकाजी हिना जहीर ने गठित की बीस सदस्यीय टीम।
कानपुर, जेएनएन। केंद्र सरकार अब तीन तलाक से पीडि़त महिलाओं की सूची तैयार करा रही है ताकि उन्हें विभिन्न योजनाओं का लाभ मिल सके। सरकार की इस कवायद को आल इंडिया मुस्लिम ख्वातीन बोर्ड सिर्फ चुनावी स्टंट मान रहा है। बोर्ड अब अभियान चलाकर मुस्लिम महिलाओं को यह बताएगा कि केंद्र सरकार उनके हित में कोई कदम नहीं उठा रही है सिर्फ उन्हें सुविधाएं देने का झूठा दिलासा दे रही है। अब बोर्ड इन महिलाओं को स्वावलंबी बनाने के लिए कार्य करेगा। इसकी कार्ययोजना बनाई जा रही है।
कानपुर, बरेली, इलाहाबाद, लखनऊ, वाराणसी समेत प्रदेश के विभिन्न जिलों में आल इंडिया मुस्लिम ख्वातीन बोर्ड, आल इंडिया सुन्नी उलमा कौंसिल, मुस्लिम महिला दारुलकजा सरकार के अभियान के विरुद्ध संयुक्त अभियान चलाने की कवायद में जुट गए हैं। शहरकाजी हिना जहीर ने बताया कि ट्रिपल तलाक पर जागरुकता के लिए अब तीनों संगठन मिलकर काम करेंगे। उन्होंने बताया कि प्रदेशस्तर पर बीस सदस्यीय महिला टीम का गठन हो चुका है। ये महिलाएं तलाक पीडि़तों की सूची तैयार करेंगी और उन्हें जागरुक करेंगी कि सरकार उनके हक के लिए कुछ नहीं कर रही है।
जकात से उपलब्ध कराएं रोजगार के अवसर
मुस्लिम ख्वातीन बोर्ड के संरक्षक हाजी मोहम्मद सलीस का कहना है तलाकशुदा महिलाओं की भावनाओं से खिलवाड़ नहीं करने दिया जाएगा। रमजान में निकलने वाली जकात से करोड़ों रुपये आते हैं, इस धन से हर वर्ष 10 फैक्ट्रियां लगाई जा सकती हैं। इस बार प्रयास होगा कि तलाक शुदा पीडि़तों के लिए जकात से रोजगार के अवसर उपलब्ध कराए जाएं। ऐसी महिलाएं जो स्वावलंबी बनना चाहेंगी उन्हें रोजगार दिलाया जाएगा।
आंकड़े जुटाएगा बोर्ड
मुस्लिम ख्वातीन बोर्ड ने वार्डस्तर पर तलाक पीडि़त महिलाओं की सूची तैयार कराने की रणनीति बनायी है। शहरकाजी हिना जहीर ने बताया कि सूची तैयार करने का उद्देश्य पीडि़त परिवार को श्रेणी में बांटकर उन्हें स्वावलंबी बनाना है। उनके बच्चों को शिक्षित करने के लिए जरूरी कदम उठाया जाएगा। शैक्षिक योग्यता के अनुसार ऐसे पीडि़त महिलाओं को विभिन्न कारखानों, स्कूलों आदि में नौकरी दिलाने का प्रयास किया जाएगा।