केस्को संविदा कर्मचारी पीएफ घोटाला: पुलिस ने कोर्ट में दाखिल की चार्जशीट, 21 नए नाम आए सामने
पुलिस ने गिरफ्तार आरोपित मुकुल दुबे के खिलाफ साक्ष्य एकत्र करके कोर्ट को सौंपे हैं। वहीं 21 नए नाम सामने आने की जानकारी भी दी है। मुख्य आरोपित मुकुल दुबे के पिता मां पत्नी और बहन भी शामिल हैं। पुलिस नए आरोपितों की भी जांच कर पूरक चार्जशीट दाखिल करेगी।
कानपुर, गौरव दीक्षित। केस्को के संविदा कर्मचारियों की भविष्य निधि (पीएफ) से जुड़े घोटाले में पुलिस ने चार्जशीट कोर्ट में दाखिल कर दी है। पुलिस ने माना है कि संविदा कर्मचारियों के पीएफ अकाउंट में बैंक खाता संख्या बदलकर घोटाला किया गया। करीब एक करोड़ रुपये की हेराफेरी का अनुमान है। पुलिस ने गिरफ्तार आरोपित मुकुल दुबे के खिलाफ साक्ष्य एकत्र करके कोर्ट को सौंपे हैं। वहीं, 21 नए नाम सामने आने की जानकारी भी दी है। आरोपितों की सूची में मुख्य आरोपित मुकुल दुबे के पिता, मां, पत्नी और बहन भी शामिल हैं। पुलिस नए आरोपितों की भी जांच करेगी, जिसके बाद पूरक चार्जशीट दाखिल की जाएगी।
दैनिक जागरण में 29 अगस्त 2021 को ''फर्जी बैंक खाता लिंक कर पार किया पीए'' शीर्षक से खबर प्रकाशित की थी। इसके बाद कमिश्नरेट पुलिस की क्राइम ब्रांच ने गांधीनगर निवासी मुकुल दुबे को गिरफ्तार कर जेल भेजा था। आरोप है कि मुकुल ने कर्मचारियों से उनसे उनके दस्तावेज लिए व पीएफ अकाउंट से जुड़े बैंक खाता नंबरों को बदलकर अपने परिचितों के बैंक खाते में पीएफ की रकम स्थानांतरित करके लाखों रुपये निकाल लिए। इस प्रकरण में केस्को के पीडि़त संविदा कर्मचारी अजय सिंह ने कर्नलगंज थाने में मुकदमा दर्ज कराया था। एसीपी कर्नलगंज त्रिपुरारी पांडेय ने बताया कि विवेचक ने 22 नवंबर को मुकुल दुबे के खिलाफ चार्जशीट अदालत में भेज दिया है। जांच में 21 नए नाम प्रकाश में आए हैं। इनमें मुकुल दुबे के पिता इंदु प्रकाश, मां नीलम, पत्नी श्वेता दुबे और बहन मनीषा का नाम शामिल हैं। पुलिस ने प्रदीप बाजपेयी को भी आरोपित बनाया है, जिसने पिछले दिनों दावा किया था कि घोटाले में सेवा प्रदाता कंपनी शामिल है। चार्जशीट में पुलिस ने ईपीएफओ को जांच रिपोर्ट लगाई है, जिसमें उसने गड़बड़ी तो मानी है, लेकिन अपने किसी कर्मचारी के शामिल होने से इन्कार किया है।
इन्हें बनाया गया है आरोपित
नीलम दुबे, इंदु प्रकाश चौबे, श्वेता दुबे और मनीषा दुबे निवासीगण गांधीनगर, प्रदीप बाजपेयी निवासी निराला नगर, स्नेहा मेहता निवासी नवाबगंज, अंकिता मिश्रा निवासी हटिया, इमरान अहमदी निवासी मन्नीपुरवा, सिम्मी शेख निवासी छोटी बीबी का हाता, मोहम्मद फैजान निवासी डिप्टी पड़ाव ,ललित गुप्ता निवासी दर्शनपुरवा, गरिमा मेहता निवासी नवाबगंज , मोहम्मद शाकिब निवासी सैय्यदनगर रावतपुर, सईदा बेगम निवासी सैय्यदनगर, देवेंद्र सिंह राठौर निवासी दर्शनपुरवा, योगेंद्र सिंह निवासी तेजाब मिल कंपाउंड, आशीष कुमार निवासी दर्शनपुरवा, अनिल गुप्ता निवासी तेजाब मिल कंपाउंड, तारा मेहता निवासी नवाबगंज, ऊषा मिश्रा निवासी हटिया , मोहम्मद अरशद निवासी सीसामऊ।
इस तरह से हुआ गोलमाल, बच निकली सेवा प्रदाता कंपनी
केस्को के अधिकांश संविदा कर्मचारियों के खाते गुमटी नंबर पांच के पंजाब एंड सिंध बैंक में थे। जब दैनिक जागरण की तहकीकात में सामने आया कि कर्मचारियों के पीएफ अकाउंट से जुड़े बैंक खाते कर्मचारियों के थे ही नहीं। अधिकांश कर्मचारी अशोक नगर से संचालित होने वाली एक सेवा प्रदाता कंपनी ने लगाए थे। कंपनी ने अपने लेटरपैड पर करीब तीन साल पहले कर्मचारियों के नाम पर दो दर्जन खाते खुलवाए गए। इन सबकी पासबुक भी कंपनी के पते पर ही मंगाई गई। सभी अकाउंट ठेकेदार, दलालों व इनके रिश्तेदारों के नाम पर खोले गए, जिन्हें संविदा कर्मचारियों के पीएफ अकाउंट से जोड़ दिया गया। फर्जी खाते स्कैन करने के बाद तकनीक का सहारा लेकर नाम बदल दिए गए। बाद में पासबुक केस्को व ईपीएफओ के रिकार्ड में डाउनलोड कर दी गई।