केडीए उपाध्यक्ष के आपरेशन चतुर्भुज माडल को प्रदेश सरकार ने सराहा, पुस्तक में मिला स्थान
लखीमपुर में रहते उन्होंने पाया था कि सेक्टर रोड चकमार्गों तालाबों व सार्वजनिक भूमि के अतिक्रमण के कारण आपसी रंजिश मारपीट की घटनाएं हो रही हैं। कृषि क्षेत्र में कम उत्पादकता के कारण ग्रामीण क्षेत्र की अर्थव्यवस्था प्रभावित थी। इस पर उन्होंने मनरेगा योजना में आपरेशन चतुर्भुज शुरू किया।
कानपुर, जागरण संवाददाता। लखीमपुर खीरी में मुख्य विकास अधिकारी के पद पर तैनाती के दौरान लागू किए गए अरविंद सिंह के आपरेशन चतुर्भुज माडल को उत्तर प्रदेश की उत्कृष्ट पद्धतियां-आत्मनिर्भर उत्तर प्रदेश पुस्तक में स्थान दिया गया है। अरविंद सिंह इस समय कानपुर विकास प्राधिकरण (केडीए) में उपाध्यक्ष हैं।
लखीमपुर में रहते उन्होंने पाया था कि सेक्टर रोड, चकमार्गों, तालाबों व सार्वजनिक भूमि के अतिक्रमण के कारण आपसी रंजिश, मारपीट की घटनाएं हो रही हैं। कृषि क्षेत्र में कम उत्पादकता के कारण ग्रामीण क्षेत्र की अर्थव्यवस्था प्रभावित थी। इस पर उन्होंने मनरेगा योजना में आपरेशन चतुर्भुज शुरू किया। इससे छोटे किसानों को खेत से बाजार तक परिवहन सुविधा मिली। इससे भूमि विवादों में कमी आई।
इससे सार्वजनिक सड़कों और तालाबों के अतिक्रमणकारियों से उत्पन्न समस्याओं को दूर किया गया। इसकी वजह से ही 2020-21 में लखीमपुर खीरी सबसे अधिक रोजगार सृजित करने वाला जिला बना। मनरेगा को अब तक केवल ग्रामीण क्षेत्रों में पात्र गरीब परिवारों के लिए कुछ दिवसों की आजीविका अर्जित करने वाले साधन के रूप में देखा जाता था लेकिन उन्होंने मनरेगा को एक नए दृष्टिकोण से देखा और ग्रामीण क्षेत्र की गूढ़ समस्याओं को हल किया। उन्होंने करीब दो हजार किमी. चकरोड का निर्माण बिना पुलिस व मजिस्ट्रेट के आपसी सहयोग व वार्ता से शासन से बिना किसी अतिरिक्त अनुदान के कराया।