कानपुर की जर्जर सड़क और खतरनाक मोड़ भी हैं हादसों का कारण, चौंका देने वाला है सच
पिछले साल चिह्नित किए गए थे 22 ब्लैक स्पॉट कुछ आई कमी। जिम्मेदारों के साथ लोग जागरूक हों तो टूटने से बचे सांसों की डोर। अक्सर पैदल यात्री फ्लाईओवर पार करते वक्त वाहनों की चपेट में आकर जान गंवाते हैं।
कानपुर, जेएनएन। शहर में सड़क हादसों के पीछे सबसे बड़ी वजह लापरवाही और तेज रफ्तार वाहन चलाना है, लेकिन खस्ताहाल सड़कें, पुलों और हाईवे पर खतरनाक मोड़ भी कम जिम्मेदार नहीं हैं। शहर में ऐसे ही 13 ब्लैक स्पॉट हैं, जहां मौत हर वक्त पंजा गड़ाए रहती है। इनके इर्द-गिर्द तनिक लापरवाही बरतते ही मौत लोगों को दबोच लेती है। इसके बाद भी न तो लोग सबक ले रहे हैं और न ही जिम्मेदार। जागरुकता के साथ यातायात नियमों को मानते हुए चलने से ही सांसों की डोर टूटने से बचाई जा सकती है।
रूमा-भौंती फ्लाईओवर पर गुजैनी के पास सर्वाधिक हादसे
शहर में कानपुर-सागर राजमार्ग के नौबस्ता, दासू कुआं, नौबस्ता बंबा, गल्लामंडी, रमईपुर, बिधून से लेकर घाटमपुर तक, भौंती-रूमा फ्लाईओवर, टीपी नगर से टाटमिल जाने वाला पुल, टाटमिल चौराहे से जरीब चौकी के बीच अक्सर हादसे होते हैं। ओवरलोडेड ट्रक व डंपर हादसों की वजह बनते हैं। भौंती-रूमा फ्लाईओवर पर पहले सबसे ज्यादा हादसे होते थे, लेकिन इन्हें रोकने को राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआइ) ने इसपर बने कट बंद कराए। इससे हादसों का ग्राफ तो गिरा है, लेकिन 27 किलोमीटर के फ्लाईओवर पर गुजैनी के पास सर्वाधिक हादसे अभी भी हो रहे हैं। इसकी वजह फ्लाईओवर और दोनों तरफ की सर्विस रोड बराबर होना है। अक्सर पैदल यात्री फ्लाईओवर पार करते वक्त वाहनों की चपेट में आकर जान गंवाते हैं। टीपी नगर नया पुल की तो डिजाइन में ही खोट है। पुल पर बना मोड़ हादसे का सबसे बड़ा कारण है। यहां कई बार वाहन पलट भी चुके हैं।
लगे संकेतक व रिफलेक्टर, लोग जागरूक नहीं
कानपुर-सागर राजमार्ग पर रिफ्लेक्टर और संकेतक लगे हैं। इसके बाद भी वाहन सवार अनदेखी करते हैं। बर्रा चौराहे पर भी संकेतक और रिफलेक्टर लगे हैं। नौबस्ता में फ्लाईओवर के रैंप के लिए सूचना बोर्ड लगा है। यशोदा नगर रोड पर भी संकेतक लगे हैं, लेकिन जागरूकता नहीं होने से लोग हादसों का शिकार बनते हैं।
यहां नहीं लगे हैं संकेतक
बर्रा और गुजैनी सीमा में गुजैनी फ्लाईओवर पर हादसे होते हैं। यह स्थान ब्लैक स्पॉट में भी चिह्नित है। इसके बावजूद यहां पर अभी तक कोई संकेतक, सूचना पट, निर्धारित गति सीमा को लेकर बोर्ड नहीं लगे हैं। ऐसे ही ज्यादातर ब्लैक स्पॉट संकेतक बाट जोह रहे हैं।
सड़कों की डिजाइन हादसों की रोकथाम के लिए महत्वपूर्ण
लोक निर्माण विभाग (पीडब्ल्यूडी) के मुख्य अभियंता दिवाकर शुक्ल ने बताया कि अधिकांश हादसे वाहन चालक की लापरवाही, अधिक रफ्तार के कारण होते हैं। हादसों की रोकथाम में सड़क की डिजाइन का भी अपना महत्व होता है। आबादी और गैर आबादी क्षेत्र में दोनों के अलग-अलग मानक होते हैं। सड़क को मानक के अनुरूप और गुणवत्ता का ध्यान रखते हुए तैयार करना चाहिए। खास कर चौराहे और क्राङ्क्षसग वाले स्थानों पर हादसे ज्यादा होते हैं। उन्होंने बताया कि हादसे के बाद उसके पीछे के कारण की पड़ताल करना जरूरी होता है। अगर पड़ताल नहीं की जाएगी तो हादसों की रोकथाम मुश्किल होगी। हादसों की रोकथाम के लिए आबादी वाले क्षेत्रों में स्पीड ब्रेकर के साथ जेब्रा लाइन जरूर बनाई जानी चाहिए।
अवैध पार्किंग बनती हादसों का सबब
भौंती रूमा फ्लाईओवर के किनारे पूरी तरह से ट्रांसपोर्ट नगर बस चुका है। यहां अधिकांश स्थानों पर ट्रक मरम्मत और बॉडी बनाने वालों की दुकानें हैं। इससे हाईवे केनाल पर ही ट्रक खड़े करके मरम्मत करते हैं। धुंध बढऩे पर नाले पर खड़े ट्रक वाहन सवारों को नजर नहीं आने से हादसे होते हैं। ऐसा ही हाल शहर में टीपी नगर से यशोदा नगर चौराहे के बीच का भी है। यहां सालों से खड़े ट्रक कबाड़ हो रहे हैं। कभी इनमें आग लगती है तो अक्सर वाहन टकराते हैं।
वर्ष 2020 में यहां ब्लैक स्पॉट
- गुजैनी बाईपास
- नौबस्ता चौराहा
- यशोदा नगर चौराहा
- बर्रा बाईपास चौराहा
- किसान नगर
- भौंती
- पतारा
- जहांगीराबाद
- मगरासा मोड़
- शंभुआ पुल
- आनूपुर मोड़
- नारामऊ
- दादा नगर ढाल, विजय नगर, फजलगंज, बड़ौदा चौराहा, शनिदेव मंदिर जेके जूट मिल।
कहां-कितने हादसे और मौतें
जगह हादसे मौतें
सीधी सड़क 200 96
कर्व रोड 410 187
पुल पर 70 39
पुलिया 62 31
गड्ढा युक्त सड़कें 132 61
इनका ये है कहना
पिछले साल शहर में 22 ब्लॉक स्पॉट चिह्नित किए गए थे। इस बार ये 13 हैं। हादसों की रोकथाम के लिए संकेतक बोर्ड लगवाने के लिए पीडब्ल्यूडी और एनएचएआइ को पत्र लिखा गया है। - बसंत लाल, एसपी ट्रैफिक।