कानपुर विवि के 235256 विद्यार्थियों को राज्यपाल ने दी डिग्री व डिप्लोमा, बोलीं- बेटियों के स्वास्थ्य पर ध्यान देने की जरूरत
राज्यपाल ने कहा कि विवि में आज 235256 विद्यार्थियों को डिग्री मिल रही है जिसमें से 126895 बेटियां हैं। यह खुशी की बात है क्योंकि अब हमारी बेटियां बेटों से आगे निकल चुकी हैं। बोलीं जब मैंने 1964 में बीएससी किया था तब विवि में केवल चार छात्राएं ही थीं।
कानपुर, जागरण संवाददाता। छत्रपति शाहूजी महाराज विश्वविद्यालय का 36वां दीक्षा समारोह बुधवार दोपहर आयोजित किया गया। कुलाधिपति व राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने विभिन्न परीक्षाओं में सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने वाले 55 छात्र-छात्राओं को 86 पदक और 45 पीएचडी छात्रों को उपाधि प्रदान की। एक एप पर क्लिक करके डिजीलाकर पर 235256 विद्यार्थियों की डिग्री, मार्कशीट, माइग्रेशन सर्टिफिकेट आदि जारी किए। परिषदीय स्कूल के 25 विद्यार्थियों को बैग, टिफिन आदि भी दिएए। मंच पर राज्यपाल के साथ मुख्य अतिथि राज्यसभा सदस्य डा. सुधांशु त्रिवेदी व विशिष्ट अतिथि उच्च शिक्षा, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी राज्यमंत्री नीलिमा कटियार, कुलपति प्रो. विनय कुमार पाठक, कुलसचिव डा. अनिल यादव और विभिन्न संकायों के अध्यक्ष रहे। राज्यसभा सदस्य को राज्यपाल ने मानद उपाधि से भी सम्मानित किया।
मौसम खराब होने के कारण दीक्षा समारोह निर्धारित समय से आधा घंटा देरी से शुरू हुआ। सबसे पहले शोभायात्रा निकाली गई, जिसकी अगुवाई कुलसचिव ने की। इसके बाद दीप जलाकर राज्यपाल व अतिथियों ने समारोह का शुभारंभ किया। स्वागत के बाद कुलपति ने संस्थान की वार्षिक प्रगति रिपोर्ट प्रस्तुत की। इसके बाद राज्यपाल ने राज्यसभा सदस्य डा. सुधांशु त्रिवेदी को मानद उपाधि दी। राज्यसभा सदस्य ने अपने उद्बोधन में छात्रों की हौसला अफजाई करते हुए शिक्षा और दीक्षा का महत्व समझाया। इसके बाद कुलपति ने सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने वाले छात्र-छात्राओं को विभिन्न पदक दिए और पीएचडी के 45 विद्यार्थियों को उपाधि दी। साथ ही बटन दबाकर डिजीलाकर में लाखों उपाधियां एक्सपोर्ट कीं। इसके बाद विवि स्थित यूआइटी के विद्यार्थियों की ओर से महिलाओं को स्वास्थ्य संबंधी आनलाइन सुविधाएं देने के लिए तैयार किए गए किशोरी एप और तीन वर्षों के दौरान पद्मश्री से सम्मानित व्यक्तियों की जीवन परिचय पर आधारित पुस्तक पद्मश्री का विमोचन किया।
राज्यपाल ने कहा कि विवि में आज 235256 विद्यार्थियों को डिग्री मिल रही है, जिसमें से 126895 बेटियां हैं। यह खुशी की बात है क्योंकि अब हमारी बेटियां बेटों से आगे निकल चुकी हैं। बोलीं, जब मैंने 1964 में बीएससी किया था, तब विवि में केवल चार छात्राएं ही थीं। इसके बाद जब एमएड किया तब वह पूरे विवि में अकेली महिला थीं। उन्होंने कहा कि आज बेटियां उच्च शिक्षा की ओर बढ़ रही हैं, लेकिन अभी भी शिक्षा के साथ हमें छात्राओं के स्वास्थ्य पर ध्यान देने की जरूरत है। इसलिए सभी विश्वविद्यालयों और महाविद्यालयों को छात्राओं के स्वास्थ्य सुरक्षा के लिए सोचना होगा। उनके खून की जांच कराएं और किसी बीमारी या एनीमिक होने पर बेहतर खानपान व दवाओं की व्यवस्था कराएं। अभिभावकों को भी उनकी ब्लड रिपोर्ट दिखाएं, ताकि वह बेटियों को भविष्य की बेहतर मां बनने के लिए कुपोषण से मुक्त कर सकें। राज्यपाल ने कहा कि शिक्षा वही है जिसके द्वारा मनुष्य अपने पैरों पर खड़ा हो सके। उन्होंने कहा कि नई शिक्षा नीति 2020 से शिक्षा ऐसी होगी, जिससे विद्यार्थी रोजगार के लिए सक्षम होंगे और उनके चरित्र का भी निर्माण होगा। उन्होंने युवाओं से समाज में दहेज प्रथा और बाल विवाह के खिलाफ आवाज उठाने के लिए कहा। साथ ही इसके लिए शपथ भी दिलाई। महिलाओं को संस्थागत डिलीवरी के लिए जागरूक करने और हर कालेज को एक राजस्व ग्राम गोद लेने का आह्वान किया, ताकि कालेजों के छात्र-छात्राएं वहां जाकर विभिन्न योजनाओं, कार्यक्रमों के बारे में जनता को जागरूक कर सकें।