Kanpur Shelter Home Case:घरवालों संग न जाने पर बालिका गृह लाई गई थीं गर्भवती किशोरियां
Kanpur Shelter Home प्रशासन ने कहा पॉक्सो अपहरण के अपराधों की पीडि़ताएं हैं 29 नवंबर से दस जून के बीच दाखिल किया गया था।
कानपुर, जेएनएन। राजकीय संवासिनी गृह की गर्भवती किशोरियों को लेकर लखनऊ तक हंगामा मचा है। सबका एक ही सवाल है कि आखिर वह गर्भवती कैसे हो गईं। पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव और कांग्रेस की राष्ट्रीय महासचिव प्रियंका वाड्रा ने भी बयान देकर इसे तूल दे दिया चूंकि अधिनियम की बाध्यता के चलते किशोरियों की पहचान गोपनीय रखनी है फिर भी उनके संबंध में कुछ जानकारी साझा कर रहे हैं। दरअसल ये किशोरियां भारतीय दंड संहिता (आइपीसी) की भुक्तभोगी पीडि़ताएं हैं। स्वजन संग जाने से इन्कार पर इन्हें यहां लाया गया था। इनमें दो कानपुर जबकि पांच दूसरे जिलों की हैं।
कब और कहां से आईं
30 नवंबर 2019 : कानपुर की एक गर्भवती किशोरी को यहां लाया गया था। बहला फुसलाकर भगा ले जाए जाने के बाद पुलिस उसे यहां लाई थी। पुलिस ने चार्जशीट कोर्ट में दाखिल कर दी है।
3 दिसंबर : आगरा से किशोरी को यहां लाया गया था। मेडिकल में उसके गर्भवती होने की पुष्टि हुई। स्वजन के पॉक्सो, बहला-फुसला कर ले जाने और दुष्कर्म मामले में किशोरी को ढूंढ़ा था। स्वजन के साथ न जाने पर उसे यहां भेजा गया। चार्जशीट कोर्ट में लग चुकी है।
19 दिसंबर : कन्नौज से किशोरी को बाल कल्याण समिति के आदेश पर यहां भेजा गया। मेडिकल में वह गर्भवती मिली। उसे भी पॉक्सो आदि के मुकदमे के बाद ढूंढ़ा गया था। यह मामला अभी विवेचनाधीन है।
23 जनवरी 2020 : एटा से लाई गई किशोरी मेडिकल में गर्भवती मिली थी। उसे भी पॉक्सो एक्ट के मुकदमे के बाद पुलिस ने ढूंढ़ा था। कोर्ट में चार्जशीट दाखिल की जा चुकी है।
16 फरवरी : फीरोजाबाद से यहां लाई गई किशोरी का 10 फरवरी को वहीं मेडिकल हुआ तो वह गर्भवती मिली थी। वह भी बहला फुसला कर भगा ले जाने की पीडि़ता है। इस मामले में चार्जशीट दाखिल हो चुकी है।
23 फरवरी : 21 फरवरी को एटा में मेडिकल में गर्भवती मिली किशोरी को यहां लाया गया। वह भी पॉक्सो के साथ अपहरण के अपराध की पीडि़ता है। पुलिस चार्जशीट दाखिल कर चुकी है। किशोरी की कोरोना रिपोर्ट निगेटिव है।
9 जून : कानपुर की किशोरी का बालिका गृह भेजने के दिन ही मेडिकल कराया गया जिसमें वह गर्भवती मिली थी। किशोरी बहला फुसला कर ले जाने के अपराध की पीडि़ता है। पुलिस विवेचना कर रही है। वह कोरोना निगेटिव है।
गायनकोलॉजिस्ट करती हैं जांच, एचआइवी-हेपेटाइटिस
जिला प्रोबेशन अधिकारी अजीत कुमार बताते हैं कि गर्भवती किशोरियों की जांच के लिए सप्ताह में दो बार गायनकोलॉजिस्ट आती हैं। उनकी सलाह पर जांच के लिए कई बार अस्पताल भी भेजा जाता है। कोरोना संक्रमण के दौरान उनके एचआइवी और हेपेटाइटिस सी पीडि़त होने की रिपोर्ट से वह भी हैरान हैं। उनकी यह जांच पहले ही होनी चाहिए थी।
घर नहीं जातीं तो बालिग होने तक रोकना पड़ता है बालिकागृह में
अधिवक्ता शिवाकांत दीक्षित बताते हैं कि जब किशोर-किशोरियां प्रेम प्रसंग में घर से भागकर प्रेम विवाह जैसे कदम उठाते हैं तो यह अपराध की श्रेणी में आ जाता है। ऐसी स्थिति में किशोरी के स्वजनों की तहरीर पर पुलिस मुकदमा लिखकर किशोर या युवक को जेल भेज देती है चूंकि किशोरी स्वजन संग जाने से मना कर देती हैं तो उन्हें बालिका गृह भेजा जाता है और बालिग होने तक वह यहां रहती हैं।
किशोरी की सहमति से भी नहीं करा सकते गर्भपात
अधिवक्ता अजय भदौरिया बताते हैं कि किशोरी की सहमति किसी भी मामले में महत्व नहीं रखती है इसलिए किशोरी के सहमति से गर्भपात करना या कराना अपराध की श्रेणी में आ जाएगा। हां, यदि किशोरी स्वजन के साथ है तो विधिक अभिभावक की सहमति से नियमानुसार गर्भपात कराया जा सकता है।
बालिका गृह में लाने से पहले हुई थी यूपीटी जांच
मेडिकल और बाल कल्याण समिति के आदेश के बाद ही बालिकाओं को रखा जाता है। बालिका गृह में आने से पूर्व इन बालिकाओं की यूपीटी जांच हुई थी, जो पॉजिटिव आई थी। यहां कोरोना संक्रमण कैसे आया, इसका संपर्क तलाशा जा रहा है। -डॉ. ब्रह्मïदेव राम तिवारी, जिलाधिकारी