Move to Jagran APP

पोखरण में परीक्षण के बाद कानपुर की 'शारंग' तोप पर अब दुनिया भर की नजर

-आधुनिक तकनीक की भरोसेमंद तोप के रूप में पहचान बनाने में हुई कामयाब।

By Edited By: Published: Mon, 10 Dec 2018 01:42 AM (IST)Updated: Mon, 10 Dec 2018 11:23 AM (IST)
पोखरण में परीक्षण के बाद कानपुर की 'शारंग' तोप पर अब दुनिया भर की नजर
पोखरण में परीक्षण के बाद कानपुर की 'शारंग' तोप पर अब दुनिया भर की नजर
कानपुर, जेएनएन। बॉर्डर पर गरजने से पहले ही आयुध निर्माणी कानपुर की शारंग तोप ने दुनिया में डंका बजाना शुरू कर दिया है। मेक इन इंडिया प्रोजेक्ट के तहत बनाई गई इस आधुनिक तकनीक की तोप के लिए सेना से करार के बाद निर्यात के रास्ते खुल गए हैं। कई देशों ने इसके लिए संपर्क करना शुरू कर दिया है।
भारतीय सेना ने वर्ष 2013 में टेंडर जारी किया, जिसमें 130 मिमी एम-46 गन को 155 मिमी/45 कैलिबर तक बढ़ाना था। इसके लिए आयुध निर्माणी बोर्ड के साथ ही एक विदेशी और एक भारतीय निजी कंपनी ने प्रतिभाग किया। मगर, ओएफबी की शारंग ने दोनों प्रतिद्वंद्वियों को पछाड़कर टेंडर हासिल किया। आयुध निर्माणी बोर्ड की इस तोप को आयुध निर्माणी कानपुर के ऑर्डनेंस डेवलपमेंट सेंटर ने विकसित किया।
पिछले दिनों पोखरण में हुए परीक्षण में सफलता मिलने के बाद सरकार ने भी इस तोप को सेना के बेड़े में शामिल करने की रजामंदी दे दी। 25 अक्टूबर 2018 को नई दिल्ली में नवविकसित 155 मिमी/45 कैलिबर अपगनिंग 'शारंग' के लिए रक्षा मंत्रालय और आयुध निर्माणी बोर्ड में करार हुआ। चार साल में 300 तोप की आपूर्ति सेना को की जानी है। आयुध निर्माणी कानपुर में इसका उत्पादन शुरू हो गया है।
ओएफसी के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि कोई भी देश किसी भी रक्षा प्रतिष्ठान के आयुध पर तब भरोसा करता है, जब निर्माणकर्ता देश की सेना भी उसे इस्तेमाल करने लगे। भारतीय सेना से करार और उत्पादन प्रक्रिया शुरू होने के बाद विदेशी खरीदार भी इसे आधुनिक तकनीक वाली भरोसेमंद तोप मान रहे हैं। यही वजह है कि कई देशों ने बोर्ड से शारंग के लिए संपर्क किया है। अधिकारी का कहना है कि जब इसकी सप्लाई सेना में शुरू हो जाएगी, तब पूरी तरह निर्यात के द्वार खुल जाएंगे।
निर्यात की भी है पर्याप्त क्षमता
आयुध निर्माणी कानपुर के अधिकारी ने बताया कि हमारी प्राथमिकता भारतीय सेना की जरूरत पूरी करना है। हालांकि विदेश से निर्यात के ऑर्डर मिलते हैं, तो प्रतिष्ठान की इतनी क्षमता है कि सेना और खरीददार को साथ-साथ सप्लाई कर सके। शारंग की मारक क्षमता- 39 किमी. की दूरी तक गोला दागा जाएगा। 

Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.