Kanpur Shaernama Column: मैं आपका विधायक.., फिर अरमानों पर फिरा पानी
कानपुर शहर में राजनीतिक गतिविधियों को लेकर आता है शहरनामा कालम। भगवा दल के बाबा का खिताब पाए नेताजी चुनाव हारने के बाद भी जहां से लड़े उसके अपना क्षेत्र होने का भ्रम पाले हैं। फिर टिकट का प्रयास किया। नाकाम रहे तो उनका भगवा से मोहभंग हो गया।
कानपुर, [राजीव द्विवेदी]। कानपुर शहर में राजनीतक हलचल खासा तेज है, विधानसभा चुनाव नजदीक आते ही नेताओं ने भी गतिविधियां बढ़ा दी हैं। टिकट की दावेदारी ठोकने के साथ जनता के बीच अपनी पैठ का अहसास कराने के लिए बैठक और प्रदर्शन का भी दौर जारी है। सभी दलों ने अपनी रणनीति के अनुसार काम भी शुरू कर दिया है। ऐसी हलचल को लेकर एक बार फिर शहरनामा कालम आया है...।
नेता जी का दूर हुआ भ्रम
संसद या विधानसभा के लिए अलग-अलग क्षेत्र से निर्वाचित होने वाले जनप्रतिनिधियों की पहचान क्षेत्र से भी होती है, वह सदन में निर्वाचन क्षेत्र को मेरे या हमारे से संबोधन करते हैैं। हालांकि शहर में भगवा दल के बाबा का खिताब पाए नेताजी चुनाव हारने के बाद भी जहां से लड़े उसके अपना क्षेत्र होने का भ्रम पाले हैं। उनको तगड़ा एतराज है कि टिकट के दावेदार उनके कथित क्षेत्र में आएं। पिछले दिनों प्रदेश संगठन के बड़े पदाधिकारी शहर आए तो उनके सामने नेताजी ने इसका रोना रोया। जबाव में उन्होंने बेरहमी से उनकी भावनाएं कुचलते हुए कहा कि जीते नहीं तो क्षेत्र उनका कैसे हुआ। हिम्मत जुटाकर उन्होंने अंतर बहुत कम होने का तर्क दिया तो उन्होंने नस्तर सी चुभती मुस्कान संग और घाव देकर कह दिया कि ये उनका दुर्भाग्य है। तबसे नेताजी बेचैन हैं तो टिकट के दूसरे दावेदार मजे लेकर किस्सा सुनाते घूम रहे हैं।
फिर अरमानों पर फिरा पानी
सियासत में सभी की तमन्ना शिखर छूने की रहती है पर शोषित वंचित समाज के नेता जी का दुर्भाग्य पीछा नहीं छोड़ रहा। बसपा से सियासत शुरू करने वाले नेता जी उसी के टिकट पर जिले की पंचायत पहुंचे पहचान देने वाले दल के बुरे दिन आए तो महाशय को भगवा भाया और उसके होकर फिर जिले की पंचायत में पहुंचे। सियासी कद बढ़ा तो विधानसभा पहुंचने की महत्वाकांक्षा हिलोरे मारने लगींं, 2017 के समर में कोशिश की पर पार्टी ने अपनी कद्दावर नेता को तरजीह दी। दुर्भाग्य से उपचुनाव की नौबत आई तो फिर टिकट का प्रयास किया। नाकाम रहे तो उनका भगवा से मोहभंग हो गया। बसपा में वापसी की और फिर जिले की पंचायत के लिए चुने गए। चुनाव की तैयारी में जुटे थे पर पार्टी ने पंचायत चुनाव में हारने वाले का नाम तय कर दिया। नेताजी समझ नहीं पा रहे कि करें तो करें क्या।
अम्मा फिर से आईं रौ में
सदन में बवाल के बाद अफसरों की पंचायत, फिर महाराज के दरबार में पेशी के बाद से सन्नाटे में चल रही अम्मा फिर से रौ में हैं। महाराज के खिलाफ दूसरे प्रदेश के मुखिया के बेजा टिप्पणी करने पर तमतमाईं अम्मा सुबह-सुबह मुकदमा दर्ज कराने थाने पहुंच गईं। बहुत दिन बाद उन्हें फार्म में देख कैमरा और कलम वाले भी पहुंच गए, उनको देख जोश में आईं अम्मा ने महाराज के लिए गलत शब्दों का इस्तेमाल करने वाले नेता को लानत भेजते हुए चेताया, कनपुरिया कंटाप की महिमा भी बताई। अरसे बाद अम्मा का बिंदास और दबंग अंदाज देख उनके दरबारी पुलकित हैं। हालांकि उनके सन्नाटे में रहने की वजहों को कुरेदने में लगे चटियाबाजों में उनके अचानक फुलफार्म में आने की चर्चा गर्म है, बहुमत उन लोगों का है जो समझा रहे हैं कि ये महाराज की खुशामद और पेशी के साइड इफेक्ट को हल्का करने की कोशिश है।
मैं आपका विधायक
आधी पारी के बाद सियासी मैदान में आए माननीय की कोशिश है कि बचे वक्त में काम का इतना स्कोर खड़ा कर लें ताकि अगली पारी में जगह सुरक्षित रहे। कोरोना काल में जब सब घरों में थे तब भी वह लोगों के बीच थे। संक्रमित हुए तो अस्पताल से वीडियो जारी करके अपनी कुशलक्षेम बताकर लोगों के काम करते रहने का भरोसा देते रहे। वह शहर से बाहर होते तो इंटरनेट मीडिया पर बाकायदा शेड्यूल जारी करते कि कब तक उपलब्ध नहीं होंगे। इतना जुड़ाव रखने के बाद भी माननीय शनिवार को अजब हालात से रूबरू हुए। वह एक वैक्सीनेशन सेंटर का निरीक्षण करने के बाद राशन दुकान पर पहुंचे, लोगों से हालचाल लेने लगे तो दुकानदार ने पूछ लिया आप कौन, सवाल सुनकर हैरान माननीय कुछ देर उसे देखते रहे फिर बोले मैं आपका विधायक। अब मजे लेने वाले चुटकी ले रहे हैं कि अभी कसर बाकी है।