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Kanpur Shaernama Column: तुम्हारा भाई ही विधायक बनेगा, मेरी भी मजबूरी तो समझो...

कानपुर का शहरनामा कॉलम राजनीतिक हलचल का आइना है। ऐसी चर्चाएं जो सुर्खियां नहीं बन पाती हैं उन्हें सामने लेकर आता है। एक व्यापारी नेता आजकल विधायक बनने के सपने देख रहे हैं। वहीं एक नेता ग्रामीण क्षेत्र की एक विधानसभा सीट से विधायक बनने का सपना देख रहे हैं।

By Abhishek AgnihotriEdited By: Published: Sun, 11 Apr 2021 12:52 PM (IST)Updated: Sun, 11 Apr 2021 12:52 PM (IST)
Kanpur Shaernama Column: तुम्हारा भाई ही विधायक बनेगा, मेरी भी मजबूरी तो समझो...
कानपुर की राजनीतिक हलचल है शहरनामा कॉलम।

कानपुर, राहुल शुक्ल। शहर में राजनीतिक गतिविधियों के बीच कई चर्चाएं सुर्खियां नहीं बन पाती हैं, एेसी चर्चाओं को चुटीले अंदाज में पाठकों तक पहुंचाता है शहरनामा कॉलम। आइए, पढ़ते हैं कि बीते सप्ताह क्या-क्या खास चर्चाएं बनी रहीं...।

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तुम्हारा भाई ही विधायक बनेगा

एक व्यापारी नेता आजकल विधायक बनने के सपने देख रहे हैं। व्यापारी नेता अपने संगठन में काफी अहम पद पर हैं। पिछले कई वर्षों से वह सूबे की सत्ता पर काबिज पार्टी में सक्रिय हैं और शहर की आर्यनगर सीट से टिकट मांग रहे हैं। हर बार उन्हें निराशा ही हाथ लगती है, लेकिन इस बार वह आश्वस्त हैं, क्योंकि इस सीट से विधायक रहे सलिल विश्नोई अब विधान परिषद सदस्य बन गए हैं। इसलिए वह टिकट के दावेदार शायद ही रहें। ऐसे में नेता जी अब तो लोगों से कहने लगे हैं कि तुम्हारे भाई को टिकट मिलेगा। तुम्हारा भाई ही विधायक होगा। नेता जी कुछ व्यापारी नेताओं के साथ एक दुकान पर लस्सी पी रहे थे और उन्होंने यही बात दोहरा दी तो उनके खास व्यापारी ने कहा, देख लेना कहीं फिर कोई तुम्हारी राह में कांटे न बो दे। नेता जी बोले, अब ऑल इज वेल है।

टिकट चाहिए तो उम्मीदवारों की मदद करें

ग्रामीण क्षेत्र की एक विधानसभा सीट से विधायक बनने का सपना देख रहे एक नेता जी अपनी पार्टी के कद्दावर पदाधिकारी से मिलने पहुंचे। पदाधिकारी ने हालचाल के साथ ही सुबह-सुबह आने का कारण पूछा तो नेता जी बोले, बहुत दिन नेताओं के आगे पीछे चल लिया, अब विधानसभा का टिकट दिलाने का आश्वासन दे दें। पदाधिकारी ने पूछ लिया कि जिला पंचायत चुनाव में अब तक कितने दिन प्रचार करने गए। नेता जी बोले, किसी ने बुलाया ही नहीं। तब पदाधिकारी महोदय मुस्कराए और बोले, इसका मतलब जहां से टिकट मांग रहे हो वहां तुम्हारी कोई पहचान ही नहीं है। नेता जी ने कहा, ऐसा नहीं है। तब पदाधिकारी महोदय ने कहा, तो जाइए विधानसभा क्षेत्र में जिला पंचायत सदस्य के जो भी उम्मीदवार हैं, जिताकर लाइए। उम्मीदवार जीतेंगे तो विधानसभा चुनाव में आपका टिकट भी पक्का हो जाएगा। टिकट चाहिए तो उम्मीदवारों को आर्थिक मदद भी कर देना।

मेरी मजबूरी तो समझो

सत्ता के लिए संघर्ष कर रही एक विपक्षी पार्टी के विधायक जन समस्याओं को लेकर संघर्ष करते नजर आते हैं, लेकिन एक पूर्व विधायक जी, जो फिर विधानसभा चुनाव लडऩे का मन बना रहे हैं, वह सड़क पर उतरकर संघर्ष करने से बच रहे हैं। कारण चाहे जो हो, लेकिन उनकी चुप्पी अब पार्टी नेताओं को भी अखरने लगी है। कई बार ऐसा हुआ जब सरकार के विरुद्ध आंदोलन हुआ तो पूर्व विधायक जी आए जरूर, लेकिन फोटो ङ्क्षखचवाने के बाद वहां से निकल गए। पिछले दिनों पूर्व विधायक जी पार्टी नेताओं को सत्ता में वापसी के लिए संघर्ष का पाठ पढ़ा रहे थे तभी एक नेता जी ने कहा कि संघर्ष वे लोग कैसे करेंगे जो सिर्फ फोटो खचवाते हैं और धीरे से निकल लेते हैं। पूर्व विधायक जी समझ गए कि निशाना उन्हीं पर है। कुछ देर चुप रहे और फिर हंसते हुए बोले, मेरी मजबूरी तो समझो।

अपनी स्थिति जांचने में जुटे माननीय

एक पूर्व विधायक जी आजकल कंफ्यूज हो गए हैं। राजनीति के क्षेत्र विरोधियों को चित्त करने वाले माननीय पिछले चुनाव मेें गच्चा खा गए थे। इस बार ऐसा न हो, इसलिए वह रायशुमारी करा रहे हैं। जो लोग उनसे मिलने आते हैं, उनसे वह यह जरूर पूछते हैं कि जनता के भाजपा सरकार की क्या छवि बन रही है। जैसे ही उत्तर मिलता है, वह तत्काल पूछ लेते हैं कि मैं विधानसभा चुनाव फिर लड़ूं या लोकसभा की तैयारी करूं। चाटुकार किस्म के लोग तो कह देते हैं कि जो चुनाव लड़ेंगे जीत जाएंगे, लेकिन माननीय को अभी अपनी जीत पर संशय है। यही वजह है कि वह परेशान हैं। कई बार झुंझलाहट में वह अपनी पार्टी के नेतृत्व को भी सार्वजनिक रूप से कोसने लगते हैं। अगर कोई उनसे पूछ ले कि विधानसभा का चुनाव लड़ेंगे या नहीं तो वह बिना किसी लाग लपेट के कह देते हैं, देखेंगे।


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