रोहिणी की घटना से सबक नहीं ले रही कानपुर पुलिस, अदालत परिसर में सुरक्षा के नाम पर होती खानापूरी
नई दिल्ली में रोहिणी कोर्ट में हुई घटना के बाद कानपुर पुलिस ने सबक नहीं लिया है अदालत परिसर में बिना जांच के लोग बेधड़क आते जाते रहते हैं। प्रवेश द्वार पर लगे मेटल डिटेक्टर दिखावा बने हैं और सुरक्षा के नाम पर खानापूरी हो रही है।
कानपुर, जेएनएन। दिल्ली की रोहिणी कोर्ट में हुई घटना के बाद भी जिला पुलिस ने कोई सबक नहीं लिया। घटना के ठीक दूसरे दिन शनिवार को डीसीपी पूर्वी प्रमोद कुमार ने कोर्ट पहुंच कर सुरक्षा व्यवस्था की स्थिति देखी थी। अदालत परिसर की सुरक्षा व्यवस्था का आकलन आसानी से किया जा सकता है...।
पड़ताल एक : शताब्दी गेट से प्रवेश द्वार पर कोई सुरक्षाकर्मी नहीं था। यहां से आगे बढ़ते हुए कोर्ट परिसर प्रवेश द्वार पर दो मेटल डिटेक्टर लगे हुए हैं, लेकिन आने जाने वाले बेधड़क आ जा रहे थे। यहां सुरक्षाकर्मी हैंड मेटल डिटेक्टर के साथ आराम से बैठे थे। पूछने पर बताया कि शक होने पर जांच करते हैं।
पड़ताल दो : हनुमान मंदिर की ओर से कोर्ट परिसर में प्रवेश करने पर मेटल डिटेक्टर अलग रखा हुआ दिखाई दिया। यहां आधा दर्जन सुरक्षाकर्मी तैनात थे। पूछने पर बताया कि यह काफी समय से खराब है। परिसर में प्रवेश करने वालों की जांच न होने के सवाल पर बताया कि भीड़ में जांच संभव नहीं हो पाती है।
पड़ताल तीन : कोर्ट परिसर के गेट नंबर दो पर सुरक्षाकर्मी तैनात थे पर न तो किसी का पहचान पत्र मांगा गया और न किसी की हैंड मेटल डिटेक्टर से जांच की जा रही थी। पोर्टिको और रैंप से दो रास्ते कोर्ट परिसर में प्रवेश को बने हैं। यहां भी पुरुष और महिला सुरक्षा कर्मी तैनात थे, लेकिन जांच किसी की नहीं हो रही थी। पूछने पर बताया कि जांच करते हैं।
पहचान पत्र से दें प्रवेश
डीसीपी ने यहां तैनात पुलिसकर्मियों को निर्देश दिए थे कि कोई भी व्यक्ति जांच बिना अंदर न जाए। अधिवक्ता और मुंशी को पहचान पत्र जारी किए गए हैं, ऐसे में उन्हें पहचान पत्र से प्रवेश दिया जाएगा। हालांकि सोमवार को जब कचहरी खुली तो डीसीपी पूर्वी के निर्देश सुरक्षाकर्मी भूल चुके थे। बिन जांच किए वादकारियों और पैरोकारों को प्रवेश दिया जा रहा था। दैनिक जागरण टीम ने इसकी पड़ताल की तो हकीकत सामने आई। न्यायालय परिसर के प्रवेश द्वार पर पुलिसकर्मी तैनात तो थे, पर जांच करने की जहमत नहीं उठा रहे थे।
यह आती है समस्या : दरअसल सुरक्षाकर्मी जांच करते हैं तो इसका विरोध भी उन्हें झेलना पड़ता है। यही कारण है कि कचहरी परिसर के अंदर सुरक्षाकर्मी रोकने टोकने और जांच करने से बचते हैं। पदाधिकारियों के मुताबिक यदि ऐसी कोई समस्या आती है तो जनपद न्यायाधीश के साथ होने वाली मानीटरिंग सेल की बैठक में अधिकारियों को यह मुद्दा रखना चाहिए था, जबकि कभी यह बात नहीं उठी।
-दिल्ली की घटना के बाद न्यायालय की सुरक्षा व्यवस्था अहम हो गई है। हाईकोर्ट भी इस पर सख्त है। व्यापक सुरक्षा व्यवस्था हो, इसके लिए मंगलवार को पुलिस कमिश्नर से मुलाकात करेंगे। -बलजीत सिंह यादव, अध्यक्ष बार एसोसिएशन