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कानपुर पुलिस का अजब गजब कारनामा, झगड़ा राजीव ने किया और जेल भेजे गए राजेश

कानपुर में पुलिस के अजब गजब कारनाने सामने आते रहते हैं। इस बार पनकी का एक मामला सामने आया है मारपीट के इस मामले में राजीव पर आरोप था और पुलिस राजेश नाम के व्यक्ति को गिरफ्तार करके जेल भेज दिया।

By Abhishek AgnihotriEdited By: Published: Wed, 06 Jul 2022 11:59 AM (IST)Updated: Wed, 06 Jul 2022 11:59 AM (IST)
कानपुर पुलिस का अजब गजब कारनामा, झगड़ा राजीव ने किया और जेल भेजे गए राजेश
कानपुर पुलिस की फिर हुई किरकिरी ।

कानपुर, आलोक शर्मा। पुलिस के काम का अंदाज अक्सर उसे तो कठघरे में खड़ा करता ही है, ये किसी न किसी के लिए परेशानी का सबब भी बन जाता है। पनकी पुलिस की ऐसी ही एक लापरवाही रक्षाकर्मी को भारी पड़ गई। बिना किसी अपराध के उसे जहां जेल जाना पड़ा, वहीं कई दिन निलंबित भी रहा। मामला कोर्ट में पहुंचा तो पुलिस बैकफुट पर आ गई। रिपोर्ट भेजकर माना कि झगड़े में राजेश नहीं बल्कि उनका भाई राजीव था।

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यह था मामला : पनकी में आठ मार्च 2020 को अवैध कब्जों के विरुद्ध नगर निगम अभियान चला रहा था। पनकी बी-ब्लाक मकान नंबर-769 के सामने पार्क की बाउंड्री से सटाकर अवैध निर्माण की सूचना पर केडीए दस्ता उसे ढहाने पहुंचा। आरोप है कि सार्वजनिक स्थल पर हो रहे निर्माण को ढहाने के दौरान मकान मालिक राजीव श्रीवास्तव ने विरोध किया और सरकारी काम में बाधा उत्पन्न की। इस पर नगर निगम दस्ते ने तहरीर दी, जिस पर पुलिस ने राजीव की जगह राजेश के विरुद्ध रिपोर्ट दर्ज कर ली।

तहरीर पर फोटो के बावजूद भेजे गए जेल : नगर निगम ने तहरीर के साथ ही मौके पर विरोध करते हुए राजीव और उनके मकान की फोटो भी पुलिस को दी थी। विवेचक विपिन कुमार ने मामले में शुरुआती नोटिस भी राजीव को उनके पते पर भेजा था, लेकिन चार्जशीट राजेश के नाम पर लगा दी। इसमें जो फोटो लगाया गया है वह राजीव का ही था। ऐसे में विवेचक ने इस महत्वपूर्ण तथ्य की अनदेखी करते हुए चार्जशीट दाखिल कर दी।

हर स्तर पर होती रही अनेदखी : पुलिस ने इस मामले में बड़ी लापरवाही की। बावजूद इसके आगे भी अनदेखी होती रही। चार्जशीट लगने के बाद कोर्ट से समन पहुंचा तो राजेश ने कोर्ट में आत्मसमर्पण किया। बताया भी कि तहरीर के साथ दी गई फोटो उसकी नहीं है। वह झगड़े के दौरान नहीं था क्योंकि घटनास्थल से उसका निवास काफी दूर है। वह रक्षाकर्मी है और उस दिन कार्यस्थल पर मौजूद था। उनके तर्कों और दलील के विपरीत निचली कोर्ट ने जमानत अर्जी खारिज कर उन्हें जेल भेज दिया। करीब एक सप्ताह बाद जिला जज की कोर्ट से उन्हें जमानत मिली।

कोर्ट ने मांगी रिपोर्ट तो पुलिस ने मानी गलती : वरिष्ठ अधिवक्ता कौशल किशोर शर्मा ने इस मामले में अपर मुख्य महानगर मजिस्ट्रेट द्वितीय की कोर्ट में कई बिंदुओं पर आधारित प्रार्थना पत्र देकर स्थिति बताई, जिस पर न्यायालय ने बिंदुवार रिपोर्ट मांगी। इसके बाद पुलिस बैकफुट पर आई और कहा कि झगड़े में राजेश नहीं था। फोटो भी उसका नहीं बल्कि उसके भाई राजीव का है। जिसके बाद अधिवक्ता ने डिस्चार्ज (आरोप मुक्त करने का) प्रार्थना पत्र दिया है, जिस पर सुनवाई होना शेष है।


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