IIT Kanpur की मदद लेगा कमिश्नरेट पुलिस, साफ्टवेयर बताएगा कहां बढ़ा अपराध
कानपुर पुलिस आयुक्त असीम अरुण ने आइआइटी निदेशक से मिलकर तकनीक की मदद मांगी है। डिजिटल टेक्नोलॉजी के माध्य से अपराधियों पर शिकंजा और अपराध पर लगाम कसने की तैयारी शुरू कर दी है। प्रीडिक्टिव पुलिसिंग का प्रयोग देश में पहली बार कानपुर कमिश्नरेट पुलिस कर रही है।
कानपुर, जेएनएन। कमिश्नरेट पुलिस अपराधियों की कमर तोडऩे में तकनीक की मदद लेगी। मंगलवार देर रात पुलिस आयुक्त असीम अरुण ने आइआइटी के निदेशक अभय करंदीकर से मुलाकात कर तकनीक की मदद मांगी। आइआइटी विशेषज्ञों ने क्राइम कंट्रोल करने वाला एक बेजोड़ साफ्टवेयर कानपुर पुलिस को दिया है। प्रीडिक्टिव पुलिसिंग का यह प्रयोग देश में पहली बार बिठूर, पनकी और कल्याणपुर थानों में किया जाएगा।
पुलिस आयुक्त असीम अरुण, अपर पुलिस आयुक्त आकाश कुलहरि व डॉ. मनोज कुमार के साथ आइआइटी निदेशक अभय करंदीकर से मिले। उन्होंने क्राइम कंट्रोल के लिए तकनीक की उपयोगिता पर चर्चा की। पुलिस आयुक्त ने बताया कि आइआइटी के साथ डीजीपी स्तर पर एक समझौता पूर्व में हो चुका है, जिसमें क्राइम कंट्रोल के लिए तकनीकी अनुसंधान पर काम करना था। आइआइटी के बताए रास्ते पर ही यूपी-112 बीते चार-पांच साल से काम कर रहा है। इसके तहत आइआइटी ने ही बताया था कि पुलिस की पीआरवी को कब और कहां गश्त करना है।
साफ्टवेयर से अपराध पर लगाएंगे लगाम
आइआइटी ने कानपुर पुलिस को एक साफ्टवेयर दिया है, जिसे आइआइटी के डॉ. निशीथ व उनकी टीम ने तैयार किया है। अपराध के पुराने आंकड़ों के आधार पर साफ्टवेयर भविष्यवाणी करता है कि आने वाले दिनों में कहां अपराध होने की आशंका है, जिससे वहां पर पुलिस की मौजूदगी बढ़ाकर अपराध को कम किया जा सकता है। पुलिस आयुक्त के मुताबिक उन्होंने पहले चरण में इस साफ्टवेयर का प्रयोग कल्याणपुर, बिठूर और पनकी में करने का फैसला किया है। प्रयोग सफल रहा तो जरूरी बदलाव करते हुए इसे पूरे कमिश्नरेट में लागू किया जाएगा।
ऐसे काम करता है साफ्टवेयर
आइआइटी के साफ्टवेयर में बीते पांच सालों के अपराध के आंकड़ों को फीड किया जाता है। इससे निकले निष्कर्ष पर पुलिस चिह्नित स्थान पर गश्त बढ़ाकर अपराध रोक सकती है। पुलिस आयुक्त के मुताबिक प्रीडिक्टिव पुलिसिंग का यह प्रयोग देश में पहली बार कानपुर कमिश्नरेट पुलिस कर रही है।