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बंदूक का जोर न वर्दी का रौब, कानपुर का ये सिपाही कलम से करता 'हॉफ एनकाउंटर'

लखनऊ के रहने वाले सिपाही सागर पोरवाल की वर्ष 2013 में कानपुर में पुलिस विभाग में तैनाती हुई थी। शुरुआत में बर्रा थाने में रहने के बाद अब पुलिस लाइन में तैनाती है उनका हुनर विभाग के लिए मददगार साबित हो रहा है।

By Abhishek AgnihotriEdited By: Published: Tue, 22 Dec 2020 03:05 PM (IST)Updated: Tue, 22 Dec 2020 05:39 PM (IST)
बंदूक का जोर न वर्दी का रौब, कानपुर का ये सिपाही कलम से करता 'हॉफ एनकाउंटर'
कानपुर पुलिस लाइन में तैनात सिपाही सागर पोरवाल।

कानपुर, जेएनएनयूपी पुलिस के हॉफ एनकाउंटर का जितना खौफ अपराधियों के अंदर होगा, उतना ही शायद कानपुर के एक सिपाही का डर भी उनके अंदर रहता होगा। हैरत में डालने वाली बात यह कि अपराधियों पर इस डर का कारण न तो सिपाही की बंदूक का जोर है और ना ही वर्दी का रौब से है। उनकी कलम ही अब तक न जाने कितने अपराधियों तक पुलिस को पहुंचाकर हाफ एनकाउंटर करा चुकी है। 

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पुलिस लाइन में तैनात हैं सिपाही सागर

मूलरूप से लखनऊ के डॉलीगंज निवासी यूपी पुलिस के सिपाही सागर पोरवाल वर्ष 2011 में पुलिस विभाग में भर्ती हुए। प्रतापगढ़ में ट्रेनिंग के बाद वर्ष 2013 में उनकी पोस्टिंग कानपुर हो गई। कुछ दिन बर्रा थाने में रहने के बाद लंबे समय से पुलिस लाइन में तैनात हैं। उनकी कलम में ऐसी ताकत है, जिसकी मदद से पुलिस को अपराधी पकड़ना आसान हो जाता है।

कई अपराधी पकड़े गए तो कुछ के हुए हाफ एनकाउंटर

मन में कुछ सीखने की लगन हो तो गुरु की प्रतिमा सामने रखकर भी एकलव्य जैसा धनुर्धारी बना जा सकता है। सीखने की इसी ललक ने सागर को कलम वाला सिपाही बना दिया है। वह हुलिए के आधार पर किसी का हू-ब-हू स्केच बना देते हैं। अपने इस हुनर के जरिए उन्होंने कई बड़ी वारदातों में पुलिस को अपराधी तक पहुंचाया है। पुलिस टीम उनकी मदद लेकर अबतक कई अपराधियों को पकड़ चुकी है। स्केच के आधार पर अपराधी की पहचान हो जोन पर मुठभेड़ में हाफ काउंटर भी कर चुकी है।

बचपन से था चेहरा देखकर स्केच बनाने का शौक

सागर बताते हैं कि बचपन से ही उन्हें किसी का चेहरा देखकर स्केच बनाने का शौक था। पढ़ाई के दौरान आर्ट कभी उनका सब्जेक्ट नहीं रहा, बावजूद इसके स्केच बनाने का शौक लगातार कुछ करने के लिए प्रोत्साहित करता रहा। धीरे-धीरे वह इसमें पारंगत हो गए, सामने से व्यक्ति को देखकर स्केच बनाने के बाद वह बताए हुलिए के आधार पर चेहरे का स्केच बनाना सीख लिया।

उनका यह शौक अब पुलिस विभाग के लिए खासा मददगार साबित हो रहा है। सागर बताते हैं कि हमीरपुर में एक युवती की हत्या, औरैया में दो बच्चियों के साथ दुष्कर्म, और कानपुर के बिल्हौर में पत्रकार हत्याकांड में उन्होंने प्रत्यक्षदर्शियों या पीड़ितों के बताए अनुसार स्केच बनाए। 70 फीसद से ज्यादा चेहरा मेल खाने की वजह से मामलों में अपराधियों को पकड़ा गया।

सामाजिक सेवा से भी जुड़े सागर

सागर केवल स्केच के माहिर नहीं है बल्कि पुलिस मित्र बनाने की दिशा में भी बेहतर काम कर रहे हैं। उन्होंने विभाग में एक ऐसा ग्रुप तैयार किया है, जो कि रक्तदान करता है। पिछले दिनों बड़ी संख्या में पुलिसकर्मी कोविड-19 से संक्रमित हुए थे। सागर की पहल पर तमाम संक्रमित हो चुके पुलिसकर्मियों ने अपना प्लाज्मा आम लोगों के लिए दान किया। रक्तदान के अलावा प्लेटलेट्स भी उनकी टीम दान करती है। सागर बताते हैं कि उन्होंने भी अब तक 15 बार रक्तदान किया है।


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