Move to Jagran APP

Kanpur : हैलट में नार्मल स्लाइन खत्म, एंटीबायोटिक दवाओं का भी टोटा, यूपीएमएससी से दवाओं की नहीं हो रही आपूर्ति

कानपुर के हैलट अस्पताल में नार्मल स्लाइन खत्म हो गई है। जिसमें एंटीबायोटिक दवाओं का भी टोटा है। सात दिन बाद अस्पताल में बुखार व एसिडिटी के इंजेक्शन भी खत्म हो जाएंगे। डेढ़ करोड़ रुपये भुगतान के बाद भी यूपीएमएससी से दवाओं की आपूर्ति नहीं हो रही है।

By Jagran NewsEdited By: Nitesh MishraPublished: Tue, 04 Oct 2022 07:29 AM (IST)Updated: Tue, 04 Oct 2022 07:29 AM (IST)
Kanpur : हैलट में नार्मल स्लाइन खत्म, एंटीबायोटिक दवाओं का भी टोटा, यूपीएमएससी से दवाओं की नहीं हो रही आपूर्ति
कानपुर के हैलट अस्पताल में नार्मल स्लाइन खत्म हो गई।

कानपुर, जागरण संवाददाता। योगी सरकार जहां मरीजों को सरकारी अस्पतालों में निश्शुल्क दवाएं मुहैया कराने का आदेश है। मरीजों को बाहर की दवाएं व जांचें कतई न लिखी जाएं। इसके बावजूद सरकार के हुक्मरानों ने दवा खरीद एवं आपूर्ति की प्रक्रिया इतनी जटिल कर दी है कि अस्पतालों में दवाओं के लिए हाहाकार मचा है।

loksabha election banner

सोमवार को एलएलआर अस्पताल (हैलट) में नार्मल स्लाइन एवं एसिडिटी दूर करने वाले इंजेक्शन तक खत्म हो गए, जबकि अस्पताल में भर्ती प्रत्येक मरीज के लिए जरूरी है। शरीर में पानी की कमी दूर करने के लिए नार्मल स्लाइन सबसे जरूरी है। गंभीर मरीजों के लिए बुखार का पैरासिटामाल इंजेक्शन भी सात दिन का बचा है।

एलएलआर एवं संबद्ध अस्पतालों में दवा खरीद के लिए छह माह में चार करोड़ रुपये मिले हैं।

शासन ने उत्तर प्रदेश मेडिकल सप्लाई कारपोरेशन (यूपीएमएससी) से मेडिकल कालेजों के अस्पतालों में दवाओं की आपूर्ति का नियम बनाया है। उसके बाद से अस्पताल में दवाओं का टोटा है। यूपीएमएससी दवा आपूर्ति कर पा रहा है और शासन कालेज प्रशासन को दवा खरीद की अनुमति नहीं दे रहा है।

दवा आपूर्ति को अस्पताल प्रशासन ने यूपीएमएससी को डेढ़ करोड़ रुपये का अग्रिम भुगतान किया है, लेकिन कारपोरेशन दवा आपूर्ति नहीं कर सका है। यूपीएमएससी के जिम्मेदार कभी भुगतान न होने तो कभी दवाओं का स्टाक न होने का बहाना बना रहे हैं। अब वैकल्पिक इंतजाम न होने से हैलट के मुख्य औषधि भंडार में जीवनरक्षक एवं जरूरी एंटीबायोटिक दवाएं खत्म हो चुकी हैं।

पांच करोड़ आवंटित, एक करोड़ की मिली दवाएं

हैलट अस्पताल को दवा मद के पांच करोड़ अबतक आवंटित हुए हैं। चालू वित्तीय वर्ष के छह महीने गुजरने के दौरान सिर्फ एक करोड़ रुपये की दवाएं खरीदी जा सकी हैं।उसमें से भी कारपोरेशन दवा के नाम पर सिर्फ आश्वासन दे रहा है। शासन और यूपीएमएससी से कई बार दवाएं समय से भेजने के लिए पत्र लिखा है, लेकिन सुनवाई नहीं हुई। अब मरीजों की जान पर बनने की स्थिति है।

यह दवाएं स्टाक में नहीं

जीवन रक्षक एंटीबायोटिक मेरोपेनम इंजेक्शन, एड्रेनालाइन इंजेक्शन, सोडियम बाईकार्बोनेट इंजेक्शन, सांप काटने पर मरीजों को लगाया जाने वाला एंटी स्नेक वेनम इंजेक्शन भी खत्म हैं। बुखार का पैरासिटामाल इंजेक्शन, गैस व एसिडिटी में लिए उपयोगी पैनटाप इंजेक्शन व पैंटाप्रोजाल इंजेक्शन भी खत्म होने को हैं।

अस्पताल में दवाओं का संकट है। किसी तरह काम चलाया जा रहा था। यूपीएमएससी से दवाओं की आपूर्ति नहीं होने से अब व्यवस्था करना मुश्किल हो गया है। प्राचार्य के निर्देश पर 20 लाख रुपये की दवाओं के आर्डर सोमवार को दिए गए हैं। दवा आपूर्ति में समय लगने से मरीजों को दिक्कत हो सकती है।- प्रो. आरके मौर्या, प्रमुख अधीक्षक हैलट एवं संबद्ध अस्पताल 


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.