स्वच्छता सर्वेक्षण रैकिंग में Kanpur Nagar Nigam फिसला, गीला व सूखा कूड़ा अलग-अलग न उठा पाना रही वजह
Kanpur Nagar Nigam की स्वच्छता सर्वेक्षण अभियान में पिछले चार साल रैंकिंग में सुधार हो रहा था लेकिन इस साल शहर की रैंकिंग गिर गई है। कानपुर घरों से गीला कूड़ा और सूखा कूड़ा एक साथ लेने की वजह से रैंकिंग में फिसल गया है।
कानपुर, जागरण संवाददाता। Kanpur Nagar Nigam चार साल से लगातार स्वच्छता सर्वेक्षण रैकिंग में ऊपर चढ़ रहा नगर निगम कानपुर इस बार फिसल गया। 21 वीं रैकिंग से 29 वीं रैकिंग पर पहुंच गया। एक बार फिर घर-घर से कू़ड़ा उठाने और गीला व सूखा कूड़ा अलग-अलग नहीं उठने के कारण नंबर कम हो गए जबकि अन्य नगर निगमों ने घर-घर से कूड़ा उठाने के साथ ही गीला व सूखा कूड़ा अलग-अलग उठने के चलते ज्यादा नंबर पाए और रैकिंग में सुधार किया है। स्वास्थ्य अफसरों की नगर निगम में फौज है लेकिन काम करने वाले सफाई कर्मचारी जरूरत से 50 फीसद कम है।
शहर स्मार्ट और मेट्रो सिटी का दर्ज मिल गया है लेकिन सुविधाएं अभी भी महानगर के बराबर भी नहीं है। शहर का विस्तार तेजी से हो रहा है। सुविधाएं बढ़ाने के बजाए स्मार्ट सिटी से केवल शहर के प्रमुख इलाकों का रंगरोगन करा के बेहतर दिखाया जा रहा है। स्वच्छता सर्वेक्षण अभियान में नगर निगम की चार साल पहले 65 रैकिंग थी।
पिछले साल रैकिंग 21 पहुंच गयी थी। अबकी बार बढ़ने के बजाए खिसक गयी और 29 नंबर रह गयी है।
सफाई कराने को लेकर ट्रासफर स्टेशन और भूमिगत कूड़ाघर बनाए जा रहे है, लेकिन पांच साल से नगर निगम 110 वार्डों से गीला व सूखा कूड़ा अलग-अलग नहीं उठा पाया है। कूड़ा ही नहीं उठा पाया है अभी तक सिर्फ 35 फीसद ही घरों से कूड़ा उठ पा रहा है।
गीला व सूखा कूड़ा अलग-अलग नहीं होने के कारण भाऊसिंह पनकी में स्थित डंपिंग ग्राउंड में कूड़ा अलग-अलग करने में मशक्कत करनी पड़ी है। इससे समय भी लगता है और देरी होती है। यहीं से यह व्यवस्था हो जाए तो समय भी बचे और ज्यादा कार्य हो सके। इसके अलावा अभी तक मलबा से टाइल्स बनाने और प्लास्टिक से बायो डीजल बनाने का प्लांट नहीं चालू हो पाया है। इसके कारण भी नंबर कम आए है। वहीं प्लांट में ही 11 लाख टन गंदगी एकत्र है।
संस्थान कम होने के कारण देर से उठता कूड़ा
कूडा उठाने के वाहन भी कम है। शहर में 68 वाहन मौजूद है जबकी जरूरत 90 वाहनों की है। इसके कारण दोपहर तक कूड़ा उठता रहता है। इस कारण सड़क पर गंदगी फैली रहने के कारण लोगों को आने जाने में दिक्कत होती है। अविकसित इलाकों में कूड़ा कई बार नहीं उठ पाता है।
न्यू सिविल लाइंस, बादशाही नाका,हीरांगंज, यशोादानगर, गोपाल नगर, पनकी, रामादेवी , जरौली, गुजैनी, दबौली, रावतपुर गांव, मिर्जा पुर, कल्याणपुर कला व खुर्द, अशोक नगर खलवा, गुबा गार्डन समेत कई इलाकों में गंदगी फैली रहती है।
सफाई कर्मचारी कम होने से नाली सफाई नहीं हो पाती रोज
सफाई कर्मचारी कम होने के कारण कई इलाकों में रोज नाली साफ करना दूर झाड़ू तक नहीं लग पाती है गंदगी फैली रहती है।
इनकी भी कमी
अभियंत्रण विभाग ने कूड़ाघरों के आसपास की सड़कों को ठीक नहीं किया है इसके कारण गंदगी पूरी नहीं उठ पाती है। कू़ड़ाघरों के बाहर फैली गंदगी हटाने के लिए हर कूड़ाघरों में एक सफाई कर्मचारी तैनात है लेकिन मौके से गायब रहते है। इसके चलते सड़क तक गंदगी फैली रहती है।
शहर में कूड़े का हाल
रोज कूड़ा निकलता - 12 सौ टन
इसमें शामिल प्लास्टिक निकलती है - 150 टन
रोज कूड़ा उठता है - 1150 टन
वाहन कूड़ा उठाने वाले
वाहन - 68
जरूरत - 90
सफाई कर्मचारी - 56 सौ
जरूरत - 10 हजार
कुल वार्ड - 110
शहर में मकान - 4 लाख 65 हजार
टैक्स आता - 230 करोड़ रुपये
कू़ड़ा उठ रहा वार्डों से - 35 फीसद
गीला व सूखा कूड़ा का हाल - अलग-अलग कूड़ा नहीं उठता है
प्लांट - भाऊसिंह पनकी
कूड़ा एकत्र पुराना - 11 लाख टन
रोज निस्तारण हो रहा पुराना कू़ड़ा - एक हजार टन
नया कूड़ा रोज निस्तारित हो रहा - एक हजार टन
ट्रांसफर स्टेशन - छह बने
कूड़ा घर - 112
भूमिगत कूड़ाघर - तीन बने
चार साल से लगातार शहर सफाई में ऊपर जा रहा था। घर-घर से कूड़ा उठाने की व्यवस्था में कहा दिक्कत आ रही है इसको अफसरों के साथ बैठक करके सुधार जाएगा ताकि शहर की स्वच्छता सर्वेक्षण में रैकिंग बेहतर हो सके। - प्रमिला पांडेय महापौर