Martyr Policemen In Kanpur : शहीद सीओ को मुखाग्नि दे रही बेटी को फफकता देख लोगों की भी आंखें हुई नम
सुबह अंतिम यात्रा उठी तो शहीद पिता को बेटियों ने भी कंधा दिया इसके बाद गंगा नदी किनारे भैरोघाट पर उनका अंतिम संस्कार किया गया।
कानपुर, जेएनएन। मुठभेड़ में शहीद हुए सीओ देवेंद्र कुमार मिश्रा के अंतिम संस्कार पर शनिवार सुबह गंगा नदी किनारे भैरोघाट पर अंतिम विदाई के लिए लोग उमड़े। यहां शहीद पिता को मुखाग्नि देते समय बेटी को रोता देखकर मौजूद पुलिस प्रशासन के अधिकारियों, जनप्रतिनिधियों और लोगों की भी आंखें नम हो गईं। इस दौरान एडीजी, आईजी, एसएसपी समेत जिले के सभी अधिकारी मौजूद रहे।
बेटियों ने दिया पिता के पार्थिव शरीर काे कंधा
बिकरू गांव में गुरुवार देर रात हिस्ट्रीशीटर विकास दुबे को पकड़ने गई पुलिस टीम पर हुए हमले में सीओ बिल्हौर देवेंद्र मिश्रा समेत आठ पुलिस कर्मी शहीद हो गए थे। सीओ देवेंद्र मिश्रा का पार्थिव शरीर रीजेंसी अस्पताल में ही रखवाया गया था। पोस्टमार्टम के समय पत्नी आशा बेसुध हो गईं थीं तो उन्हे बेटियों वैष्णवी और वैशारदी ने संभाला था। उनके छोटे भाई राजीव और रमादत्त मिश्र भी बांदा से आ गए थे। शनिवार सुबह 10 बजे अंतिम यात्रा उठी तो शहीद पिता को बेटियों ने भी कंधा दिया। यह नजारा देखकर मौजूद हर शख्स रो पड़ा। गंगा नदी के तट भैरोघाट पर उनका अंतिम संस्कार किया गया। पिता को मुखाग्नि देते समय बेटी वैष्णवी फफककर रो पड़ी तो मौजूद लोगों की आंखें नम हो गईं। रिश्तेदार व महिला सिपाही उन्हें सम्भालती रहीं। यहां पर एडीजी जयनारायण सिंह, आईजी मोहित अग्रवाल, एसएसपी दिनेश कुमार पी समेत पुलिस अधिकारी, जनप्रतिनिधि और लोग मौजूद रहे।
बेटी को बनाना चाहते थे डॉक्टर
बांदा जिले के गिरवां क्षेत्र के सहेवा गांव निवासी सीओ देवेंद्र मिश्र बेहद साधारण परिवार से ताल्लुक रखते थे। उनके पिता महेश प्रसाद शिक्षक थे। खुरहंड स्कूल से ही हाईस्कूल करने के बाद उन्होंने एचआइसी कॉलेज से इंटर पास किया था। इसके बाद जेएन कॉलेज से स्नातक करने के बाद वर्ष 1981 में कांस्टेबल के पद पर पुलिस विभाग में नौकरी पाई थी। छोटे भाई राजीव ने बड़े भाई देवेंद्र बेटी को डॉक्टर बनाना चाहते थे, इसलिए वैष्णवी का मेडिकल में दाखिला भी कराया था। रिटायरमेंट के बाद गांव में ही रहने की बात कहा करते थे। उन्होंने पुलिस की परीक्षा पास की और एसआई बनकर कानपुर की अहिरवां चौकी में तैनात हुए। वर्ष 2004-05 में वह उन्नाव जनपद के आसीवन थाना प्रभारी बने तो उन्होंने एक शातिर अपराधी का एनकाउंटर किया। इसपर विभाग ने आउट ऑफ टर्न प्रमोशन देकर प्रभारी निरीक्षक बनाया। तकरीबन दो वर्ष पहले ही वह प्रमोट होकर क्षेत्राधिकारी बने थे।