रूस और फ्रांस को पीछे छोड़ा, ब्रह्मोस मिसाइल के कलपुर्जों की हिफाजत करती कनपुरिया ग्रीस
ब्रह्मोस मिसाइल फाइटर प्लेन और ऑटोमेटिक गन के लिए आठ तरह के ग्र्रीस ऑयल और जेल कानपुर की इकाइयों में बन रहा है।
कानपुर, [विक्सन सिक्रोडिय़ा]। आपको पता है.., भारतीय सेना की शान ब्रह्मोस मिसाइल के कलपुर्जों की हिफाजत कनपुरिया ग्र्रीस करती है। जी हां, रूस और फ्रांस को पीछे छोड़कर मेक इन इंडिया के तहत सेना को ग्रीस की आपूर्ति कानपुर की मिनरल ऑयल कॉरपोरेशन वीआइएनएपी-279, लीटा व मोलीएनम कर रही है। कंपनी दो साल पहले से ब्रह्मोस के साथ ही ऑटोमेटिक गन और लड़ाकू विमानों के रखरखाव के लिए भी आठ तरह की ग्र्रीस, ऑयल और जेल बना रही है।
रक्षामंत्री राजनाथ सिंह की स्वदेशी को बढ़ावा देने और यहां शस्त्र व एसेसरीज निर्माण की घोषणा ने कंपनी का हौसला और बढ़ा दिया है। अब कंपनी ने ऐसे कई अन्य उत्पादों के लिए आत्मनिर्भर होने की तरफ कदम तेजी से बढ़ा दिए हैं। मिनरल ऑयल कॉरपोरेशन के प्रबंध निदेशक विकासचंद्र अग्रवाल ने बताया कि ब्रह्मोस मिसाइल और लड़ाकू विमानों में कई कलपुर्जे होते हैं जिनकी संख्या डेढ़ हजार तक हो सकती है। इन सभी कलपुर्जों को जंग आदि से बचाने के लिए अलग-अलग तरह की ग्रीस की जरूरत होती है।
वह बताते हैं कि पहले ऐसी ग्रीस, ऑयल और जेल देश में नहीं बनते थे, उन्हें आयात करना पड़ता था। अब इसमें ऐसे कई ल्युब्रीकेंट हैं जिन्हें कानपुर में बनाया जा रहा है जिससे विदेश से आयात घटने के साथ सेना की जरूरत भी पूरी हो रही है। यहां कंपनी में तैयार ग्र्रीस का सबसे ज्यादा उपयोग रूस से आए लड़ाकू विमानों में हो रहा है। इसके अलावा ऑटोमेटिक गन के पुर्जों के रखरखाव के लिए भी ऑयल व जेल बनाए हैं।
कई परीक्षण के बाद होता चयन
विकासचंद्र अग्रवाल नेशनल एक्रीडिटेशन बोर्ड फॉर टेटिंग एंड कैलीब्रेशन लेबोरेट्रीज (एनएबीएल) से इसका परीक्षण कराया जाता है। इसके बाद सेना व अन्य संस्थानों में भेजा जाता है। वहां कई महीने परीक्षण फिर स्वीकृति मिलने के बाद इनका इस्तेमाल होता है।
यहां बने ग्र्रीस के प्रकार
सिएटम-221,
नंबर-9
बीयू,
पीएफएमएस-4एस
ओकेबी-122-7
एएमएस-1-3
पीपीके
सिएटम-201
(ऑयल व जेल के प्रकार)
ओएक्स-52 ऑयल
पीएक्स-6
पीएक्स-11 जेल