कानपुर का यह अस्पताल मरीजों को देने जा रहा बड़ी सहूलियत, एक ही जगह हो सकेंगी सभी जांचें
मेडिकल कालेज के एलएलआर एवं संबंध अस्पतालों में अलग-अलग क्लीनिकल विभाग संचालित हैं। एलएलआर में मेडिसिन आर्थोपेडिक सर्जरी नेत्र रोग नाक कान गला विभाग न्यूरोलाजी एवं न्यूरो सर्जरी विभाग हैं। इसके अलावा ओपीडी एवं इमरजेंसी सेवाएं भी हैं।
कानपुर, [जागरण स्पेशल]। जीएसवीएम मेडिकल कालेज के एलएलआर अस्पताल (हैलट) में अब एक ही छत के नीचे खून-पेशाब, डेंगू-मलेरिया, कोरोना-स्वाइन फ्लू, एक्सरे, अल्ट्रासाउंड, सीटी स्कैन एवं एमआरआइ जांच की सुविधा मिलेगी। यह सब संभव होगा यहां बनाए जाने वाले डायग्नोस्टिक हब में। इसके लिए 50 करोड़ रुपये का प्रस्ताव तैयार किया जा रहा है। इसके बनने के बाद अब यहां दूर-दराज से इलाज के लिए आने वाले मरीजों व उनके तीमारदारों को पैथालाजिकल एवं रेडियोलाजिकल जांच के लिए भटकना नहीं पड़ेगा। डायग्नोस्टिक हब में बायोप्सी से लेकर कैंसर मार्कर टेस्ट के लिए सैंपल कलेक्शन की भी सुविधा होगी।
मेडिकल कालेज के एलएलआर एवं संबंध अस्पतालों में अलग-अलग क्लीनिकल विभाग संचालित हैं। एलएलआर में मेडिसिन, आर्थोपेडिक, सर्जरी, नेत्र रोग, नाक कान गला विभाग, न्यूरोलाजी एवं न्यूरो सर्जरी विभाग हैं। इसके अलावा ओपीडी एवं इमरजेंसी सेवाएं भी हैं। बाल रोग अस्पताल में बाल रोग विभाग, अपर इंडिया शुगर एक्सचेंज, जच्चा-बच्चा अस्पताल में स्त्री एवं प्रसूति रोग विभाग और मुरारी लाल चेस्ट अस्पताल में रेस्पिरेट्री मेडिसिन विभाग हैं। संक्रामक रोग अस्पताल (आइडीएच) में एचआइवी संक्रमित व अन्य संक्रामक रोगों से पीडि़त इलाज के लिए आते हैं। इन विभागों में डाक्टर को दिखाने के मरीज व उनके तीमारदारों को जांच कराने के लिए भटकना पड़ता है।
जीएसवीएम मेडिकल कालेज का भवन सड़क पार है, जबकि दूसरी तरफ एलएलआर अस्पताल हैं। अलग-अलग जांचें अलग-अलग विभागों में होती हैं। रुटिन की जांच अस्पताल की 24 घंटे पैथालाजी में होती है। विशेष जांचों में बायोप्सी, एफएनएसी, बोन मैरो, डेंगू और की जांच के लिए मेडिकल कालेज परिसर स्थित पैथालाजी की अलग-अलग यूनिट की लैब में जाना पड़ता है।
मेडिकल कालेज के कक्ष 27 में सैंपल कलेक्शन: मेडिकल कालेज के पैथालाजी विभाग ने कक्ष संख्या 27 में सैंपल कलेक्शन की सुविधा दी हुई है। यहां 11 बजे सुबह तक ही मरीजों के सैंपल लिए जाते हैं। उसके बाद जब एलएलआर अस्पताल से मरीजों को भेजा जाता है तो लौटा दिया जाता है। इंडोस्कोपी, कोलोनास्कोपी के अलावा सर्जरी से जुड़ी जांचें, एक्सरे एवं अल्ट्रासाउंड जांच के लिए मरीजों व उनके स्वजन स्ट्रेचर लेकर दौड़ते रहते हैं।
इनका ये है कहना:
डायग्नोस्टिक हब के लिए 50 करोड़ रुपये का प्रस्ताव बनाया जा रहा है। इस दो मंजिला भवन में हर प्रकार की जांच की सुविधा होगी। जल्द ही प्रस्ताव तैयार कर मंडलायुक्त को दिया जाएगा। - प्रो. संजय काला, प्राचार्य, जीएसवीएम मेडिकल कालेज।