Kanpur Ghatampur Accident : खाकी से लेकर नेता... सबने बांटा दर्द, घाट पर सतीश महाना समेत कई नेता रहे मौजूद
Kanpur Ghatampur Accident कानपुर के साढ़ चौराह के पास हुए हादसे में 26 लोगों की जान चली गई। ड्योढ़ी घाट पर 26 शवों के अंतिम संस्कार तक पीड़ितों का दर्द बांटने के लिए विधानसभा अध्यक्ष महाना मंत्री राकेश व अजीत भी पहुंचे।
कानपुर, जागरण संवाददाता। नवरात्र पर भीषण सड़क हादसे में कोरथा गांव के किसी का पूरा परिवार उजड़ गया तो कोई मां से बिछड़ गया और किसी ने बेटे-बेटी को खो दिया। कोई अनाथ हो गया। साढ़ चौराहा के पास घाटमपुर मार्ग पर शनिवार रात आठ बजे तेज रफ्तार ट्रैक्टर-ट्राली के पानी से भरी खंती में पलटने से 26 लोगों की मौत ने कई परिवारों को जिंदगी भर का दर्द दे गई।
रात ढाई बजे से रविवार सुबह साढ़े पांच बजे तक शवों के पोस्टमार्टम के बाद उन्हें गांव लाया गया। ग्रामीण शवों से फफक रोते रहे, लेकिन अंतिम संस्कार के लिए तैयार नहीं हुए तो डीएम विशाख जी व एसपी आउटर तेज स्वरूप सिंह ने घर-घर जाकर हाथ जोड़े। इसी बीच सांसद देवेंद्र सिंह भोले ने मनुहार की और गांव के कुछ युवाओं को आगे बढ़ाया तो बात बन गई। केंद्रीय मंत्री साध्वी निरंजन ज्योति ने अपनों के बीच पहुंचकर समझाया। इससे कुछ देर बाद ही अर्थी बंधने लगीं। स्वजन समेत खाकी के कांधे भी मिलने लगे। ये स्थिति गांव से घाट तक दिखी।
सुबह साढ़े नौ बजे सभी अर्थी लेकर अलग-अलग एंबुलेंस ड्योढ़ी घाट जाने को आगे बढ़ीं तो ग्रामीण फफककर शवों से लिपट गए। ग्रामीणों को लाने के लिए बसें लगाई गईं। दोपहर साढ़े 12 बजे जब अंतिम संस्कार की शुरुआत हुई तो फिर चीखें गूंज पड़ीं। मंजर देख हर शख्स का दिल दहल गया।
कोरथा गांव निवासी राजू निषाद सात माह के बेटे अभी का मुंडन संस्कार कराने के लिए ट्रैक्टर ट्राली लेकर उन्नाव के बक्सर स्थित चंडिका देवी मंदिर गए थे। ट्राली में राजू के परिवार समेत गांव की 50 महिलाएं, पुरुष, बच्चे, किशोर व किशोरियां भी थीं।
मुंडन के बाद मेला घूमकर शनिवार शाम को सभी वापस लौट रहे थे कि रास्ते में गंभीरपुर गांव के पास रात आठ बजे ट्रैक्टर-ट्राली अनियंत्रित होकर पानी से भरी खंती में पलट गई। हादसे में महिलाओं, बच्चों समेत 26 लोगों की मौत हो गई, जबकि कई घायल हो गए।
केंद्र व प्रदेश सरकार की ओर से मृतकों के लिए दो-दो लाख और घायलों के लिए 50-50 हजार रुपये आर्थिक मदद की घोषणा की गई। पुलिस की लापरवाही पर लोगों का गुस्सा देख साढ़ थाना प्रभारी को निलंबित भी किया गया।
इसके बाद अधिकारियों ने शनिवार रात में ही शवों का पोस्टमार्टम शुरू कराया और खुद मौके पर डटे रहे। इस दौरान सांसद देवेंद्र सिंह भोले और विधायक अभिजीत सिंह सांगा पूरी रात डटे रहे। एमएसएमई मंत्री राकेश सचान व जिला पंचायत अध्यक्ष स्वप्लिन वरुण भी रात तक ग्रामीणों को समझाती रहीं।
इस बीच कई बार ग्रामीणों व अफसरों में झड़प भी हुई। रविवार सुबह साढ़े पांच बजे तक पोस्टमार्टम की प्रक्रिया पूरी हुई तो शवों को एंबुलेंस से गांव लाया गया। भीड़ बार-बार उत्तेजित होती रही, जिसे सांसद भोले ने समझाया। एहतियातन पूरे गांव में कई थानों का फोर्स लगाया गया।
प्रशासन ने सुबह साढ़े सात बजे शवों को ड्योढ़ी घाट पहुंचाने के इंतजाम किए थे। इसके लिए अंतिम संस्कार का पूरा सामान, शव ले जाने के लिए एंबुलेंस व ग्रामीणों को ले जाने के लिए बसों का इंतजाम कराया गया था, लेकिन लोग शव उठाने को तैयार नहीं हुए। आठ बजे तक उन्होंने शव अर्थी पर नहीं रखे। इस पर अफसरों व नेताओं ने उन्हें समझाया तो लोग राजी हुए। दोपहर 12 बजे तक शव ड्योढ़ी घाट पहुंचे।
प्रशासन ने यहां पहले से ही 13 चिताएं तैयार करा रखी थीं। बच्चों व किशोरियों को दफनाने की तैयारी कर ली थी। करीब दो बजे तक सभी शवों का अंतिम संस्कार करा दिया गया। घाट पर विधानसभा अध्यक्ष सतीश महाना, कैबिनेट मंत्री राकेश सचान, मंत्री अजीत पाल व सपा के प्रदेश अध्यक्ष नरेश उत्तम भी रहे।