दर्दनाक है कोरथा गांव के हादसे की कहानी, 26 मौतों में किसी ने खोए पत्नी-बेटा-बेटी तो कोई हुआ अनाथ
कानपुर के घाटमपुर में हुए हादसे में 26 महिलाओं और बच्चों की मौत के बाद कोरथा गांव में मातमी सन्नाटे को घरों से उठने वाला करुण क्रंदन तोड़ता है। महिलाएं रोकर बेहोश हो जाती हैं तो पुरुष बदहवास सिर पर हाथ रखकर एक जगह बैठ जाते हैं।
कानपुर, जागरण संवाददाता। घाटमपुर के साढ़ क्षेत्र के कोरथा गांव में हादसे में जान गंवाने वाले सभी लोगों का रविवार को अंतिम संस्कार हो गया। लोगों के अपने तो चले गए, रह गया तो बस दुख, दर्द और असहनीय पीड़ा। कोरथा गांव में घर-घर मातम छाया है और रह रहकर करुण क्रंदन मातमी सन्नाटे को तोड़ देता है। घरों में महिलाएं रोते-रोते बेहोश हो रही हैं तो पुरुष शांत होकर एक जगह बैठ जाते हैं। 26 अर्थी जाने के बाद गांव की गलियाें में सन्नाटा छाया है।
15 लोगों का परिवार था, छह लोगों की मौत
गांव निवासी सियाराम बुजुर्ग हैं। बेटे रामदुलारे और शिवराम अगल-बगल ही रहते थे। 15 लोगों का भरा पूरा परिवार था। हादसे ने महिलाओं और बच्चों समेत छह लोग झटक लिए। सियाराम की पत्नी फूलमती, रामदुलारे की पत्नी 46 साल की लीलावती, बेटी 15 साल की मनीषा, बेटा 11 साल का रोहित वहीं, शिवराम की पत्नी 30 साल की जयदेवी, छह साल का बेटा रवि चल बसे। अब बचे हैं तो सियाराम, रामदुलारे और उनके तीन बच्चे, शिवराम और उनके दो बच्चे। लीलावती और जयदेवी जेठानी-देवरानी होने के साथ सगी बहनें भी थीं। दोनों बहनों ने एक ही घर में शादी की थी और अब एक ही साथ चल बसीं।
हादसे में पत्नी, बेटा, बेटी सब खोए
गांव निवासी कल्लू का भरा-पूरा चार लोगों का परिवार था। हादसे ने उनसे सब छीन लिया। देवी मां के दर्शनों को खुशी-खुशी घर से निकलीं पत्नी विनीता, बेटा शिवम और बेटी शान्वी शाम को घर नहीं पहुंची। रास्ते में हादसे ने उन्हें लील लिया। पूरा परिवार खोने के बाद सुधबुध खो बैठा कल्लू रविवार को किसी तरह से अंतिम संस्कार की तैयारियों में लगा रहा। बीच-बीच में दहाड़ मारकर रोता और फिर चुप होकर अर्थी सजाने में जुट जाता।
राजू गायब, दुनिया से विदा हुई बेटी और मां
हादसे के लिए कई ग्रामीणों ने बेटे के मुंडन संस्कार का न्योता देने वाले ट्रैक्टर चालक राजू को ही जिम्मेदार ठहराया। बताया कि राजू ने लौटते समय ठेके पर शराब पी थी, जिससे वह ट्रैक्टर-ट्राली पर नियंत्रण नहीं रख सका और इतनी बड़ी घटना हो गई। हादसे के बाद राजू अस्पताल पहुंचा था, लेकिन वहां से गायब हो गया। उसकी चार वर्ष की बेटी बिंदिया और 70 वर्षीय मां रामजानकी की जान चली गई। वहीं, पत्नी ज्ञानवती, मासूम बेटा अभी व एक बेटी प्रिया अस्पताल में भर्ती हैं। रविवार को राजू मां व बेटी का अंतिम संस्कार करने भी नहीं पहुंचा। छोटे भाई दिनेश व बहू विद्यावती ने अंतिम संस्कार किया।
डोली उठाने से पहले उठी अर्थी
हादसे में जान गंवाने वाली मनोहर लाल की 18 साल की बेटी सुनीता का रिश्ता हाल ही में बिल्हौर में तय हुआ था। मंगलवार को परिवार वालों को तिलक चढ़ाने बिल्हौर जाना था। सभी लोग तैयारी में व्यस्त थे।
रविवार को स्वजन कपड़ों की खरीदारी करने वाले थे, ताकि मंगलवार को तिलक लेकर जा सकें, लेकिन हादसे ने सारी खुशियों पर ग्रहण लगा दिया। डोली उठने से पहले उसकी अर्थी उठने से परिवार बेहाल है। मां भागवती रोती हुईं कहती हैं - 'कनिया मा खेलत-खेलत बिटिया इत्ती बड़ी हुईगे पता न चलो और अब छोड़ कै चली गे।' मनोहर की आंखों के आंसू तो मानो सूख से गए। अंतिम संस्कार के समय वह फफक कर रोए।
बीमारी से पिता की मौत और हादसे ने छीन ली मां
कोरथा निवासी 55 वर्षीय ऊषा देवी परिवार का अकेला सहारा थीं। हादसे में उनकी भी मौत हो गई। ग्रामीणों ने बताया कि ऊषा देवी के पति ब्रजलाल का कुछ वर्ष पहले बीमारी के कारण निधन हो गया था। परिवार में तीन बच्चे 12 वर्षीय प्रदीप, 12 वर्षीय लक्ष्मी व 10 वर्ष का अजय है।
ऊषा की मौत के बाद तीनों बच्चे अनाथ हो गए। बेटे प्रदीप ने बताया कि घर की देखभाल के लिए मम्मी हम तीनों को गांव में ही छोड़ गई थीं। शाम तक घर आने की बात कही थी, लेकिन रात में पड़ोसी ने बताया कि ट्रैक्टर पलटने से मम्मी घायल हो गई हैं। छोटे भाई बहन को घर पर छोड़कर अस्पताल पहुंचा तो मां की मौत हो चुकी थी।
मां की मौत से बेखबर मासूम
ट्राली पलटने में गांव निवासी वीरेंद्र की पत्नी अनीता की भी जान गई। घर में अनीता की मासूम बेटियां स्वाति और खुशी कुछ समझ नहीं पा रही थीं। कभी वो खेलना शुरू कर देतीं तो कभी सबका रोना सुनकर चुपचाप एक कोने में बैठ जाती थी। फिर दौड़कर अपने मामा रामभरोसे से लिपट जाती। इन मासूम बच्चियों को देखकर लोगों की आंखे भर आईं।
यह भी पढ़ें :- बिकरू कांड के आरोपित सुशील और गुड्डन त्रिवेदी को मिली जमानत, मुबई एटीएस ने पकड़ा था
यह भी पढ़ें :- मंत्री को कोरथा गांव में घुसने से रोका, ग्रामीण बोले- बुला रहे थे तब क्यों नहीं आए