Kanpur Accident : हादसे से सीएचसी की अव्यवस्था की खुली पोल, डाक्टरों के नहीं होने से तड़प-तड़प कर हुई मौतें
कानपुर के साढ़ में हुए हादसे में 26 लोगों की मौत हो गई। हादसे से खुली भीतरगांव सीएचसी की चिकित्सकीय सेवाओं की पोल खुली है। हादसे के बाद जब ग्रामीण लोगों को लेकर सीएचसी पहंचे। जहां डाक्टर के नहीं होने से उन्हें इलाज नहीं मिलने पर मौत हो गई।
कानपुर, जागरण संवाददाता। Kanpur Ghatampur Accident साढ़ क्षेत्र में ट्रैक्टर ट्राली पलटने की घटना ने सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (सीएचसी) भीतरगांव की चिकित्सकीय सेवाओं की पोल खोल दी है। हादसे के घायलों को जब स्वजन लेकर सीएचसी की इमरजेंसी पहुंचे तो वहां डाक्टर नहीं थे।
सिर्फ एक फार्मासिस्ट और नर्स के भरोसे सीएचसी की इमरजेंसी सेवाएं चलायी जा रही थीं। आक्सीजन सिलिंडर न होने से स्वजन अपनों की सांसें वापस लाने के लिए मुंह से आक्सीजन देने का प्रयास करते रहे। हद तो यह है कि सीएचसी अधीक्षक भी नदारद थे।
सीएचसी की अव्यवस्थाओं पर ग्रामीणों ने भी अधिकारियों के सामने गुस्सा जाहिर किया था। जिसके बाद रविवार को जिलाधिकारी ने इलाज में हुई लापरवाही की जांच के लिए तीन सदस्यीय कमेटी गठित कर दी है जो तीन दिन में अपनी रिपोर्ट देगी।
हादसे में घायलों को भीतरगांव सीएचसी भेजने की सूचना पर दैनिक जागरण संवाददाता वहां पहुंच गए थे। सबसे पहले 8.20 बजे कल्लू की पत्नी विनीता, छह वर्षीय शिवम और सामरी को मोटरसाइकिल से सीएचसी पहुंचे। उस समय शिवम व समारी की सांसें चल रही थीं, जबकि विनीता की थम चुकी थीं।
स्वजन ने इलाज का आग्रह किया तो नर्स ने बिना पुलिस के आए इलाज से इन्कार कर दिया। इस दौरान स्वजन दोनों बच्चों को मुंह से सांसें देने का प्रयास करते रहे। इसी तरह 10-11 गंभीर मरीजों को मोटरसाइकिल से लेकर पहुंचे। सीएचसी में आक्सीजन सिलिंडर तक नहीं थे। इस वजह से इलाज के अभाव में घायलों ने दम तोड़ दिया।
न डाक्टर और न ही कर्मचारी
ग्रामीण अंचल की सीएचसी में इमरजेंसी सेवाओं के नाम पर औपचारिकता निभाई जाती है। वहां रात में न डाक्टर रहते हैं और न ही पर्याप्त कर्मचारी की ड्यूटी लगाई जाती है। ऐसे में बड़े हादसे या समस्या होने पर ग्रामीणों की जान पर बन आती है। सीएचसी के अधीक्षक डा. मनीष तिवारी का कहना है कि इमरजेंसी ड्यूटी में 24 घंटे एक-एक डाक्टर, फार्मासमिस्ट, स्टाफ नर्स व वार्ड ब्वाय की ड्यूटी रहती है।
नौ डाक्टर पर रात में एक भी नहीं
नौ डाक्टर तैनात हैं, जिसमें एक एनेस्थेटिक्स, एक महिला नेत्र सर्जन हैं और एक छुट्टी पर हैं। उसमें से एक संविदा और दो डाक्टर राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम (आरबीएसके) के हैं। आरबीएसके के एक डाक्टर ने जुगाड़ से जिले में तैनाती करा रखी है, जबकि एक सीएचसी में तैनात हैं।
तीन सदस्यीय कमेटी करेगी जांच
जिलाधिकारी ने तीन सदस्यीय कमेटी गठित की है जो ग्रामीणों द्वारा उठाए गए सभी आरोपों की जांच करेगी। एडीएम वित्त एवं राजस्व राजेश कुमार इस कमेटी के अध्यक्ष होंगे जबकि मुख्य चिकित्सा अधिकारी और यूएचएम जिला पुरुष चिकित्सालय (उर्सला) के निदेशक कमेटी में सदस्य बनाए गए हैं। जांच कमेटी तीन दिनों में अपनी रिपोर्ट डीएम को देगी।
ग्रामीण अंचल में डाक्टरों की उपलब्धता सुनिश्चित कराने का निर्देश पहले दिया था। इसका अनुपालन सीएचसी अधीक्षकों को सख्ती से कराने का निर्देश दिया था। भीतरगांव सीएचसी में घायलों के पहुंचने पर डाक्टरों के नहीं मिलने की सूचना मिली है। इस प्रकरण की जांच कराकर सख्त कार्रवाई की जाएगी।- डा. आलोक रंजन, सीएमओ, कानपुर नगर
ग्रामीणों ने समय से इलाज न मिलने का आरोप लगाया था। इस मामले में जांच कमेटी बनायी है जो स्थलीय निरीक्षण समेत अन्य बिंदुओं पर जांच करेगी। लापरवाही मिली तो सख्त कार्रवाई होगी।- विशाख जी, जिलाधिकारी