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Kanpur Ghatampur Accident : 13 चिताएं जलीे, 13 जमीन में दफन, ड्योढ़ीघाट में 26 शव देख सिहर उठे लोग

Kanpur Ghatampur Accident कानपुर के साढ़ हादसे में जान गंवाने 26 मृतकाें के शवों का रविवार को अंतिम-संस्कार महाराजपुर के ड्योढ़ीघाट में हुआ है। इसमें 13 लोगों की चिताएं जली है। जबकि अन्य 13 लोगों को जमीन में ही दफन किया गया है।

By Jagran NewsEdited By: Nitesh MishraPublished: Sun, 02 Oct 2022 08:14 PM (IST)Updated: Sun, 02 Oct 2022 08:14 PM (IST)
Kanpur Ghatampur Accident : 13 चिताएं जलीे, 13 जमीन में दफन, ड्योढ़ीघाट में 26 शव देख सिहर उठे लोग
Kanpur Ghatampur Accident कानपुर के साढृ हादसे में जान गंवाने वाले मृतकों का महाराजपुर के ड्योढ़ीघाट में हुआ अंतिम-संस्कार।

कानपुर, जागरण संवाददाता। Kanpur Ghatampur Accident साढ़ हादसे में जान गंवाने वाले सभी 26 लोगों के शवों का अंतिम संस्कार महाराजपुर के ड्योढ़ीघाट में किया गया। मृतकों में विवाहित 13 लोगों के शवों को अग्नि में जलाया गया। जबकि अविवाहित 13 किशोर-किशोरियों व बच्चों के शवों को जमीन में दफनाया गया।

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एक साथ 26 शव जिस गांव से होकर गुजरे वहां के लोग शवयात्रा देखकर सिहर उठे। ड्योढ़ीघाट में शवों को उतारकर जब एक जगह रखा गया तो वो भयावह मंजर देख हर आंख नम हो गई। चार घंटे में सभी 26 शवों का अंतिम संस्कार पूरा हुआ। विधानसभा अध्यक्ष सतीश महाना, सपा के प्रदेश अध्यक्ष नरेश उत्तम ने घाट पहुंचकर घटना पर दुख जताया। पीड़ितों को हरसंभव मदद का आश्वासन दिया।

कैबिनेट मंत्री राकेश सचान व राज्यमंत्री अजीत पाल भी पूरे समय घाट पर मौजूद रहे। एडीएम आपूर्ति एवं राशनिंग सतीश त्रिपाठी, एसीएम जंग बहादुर यादव, तहसीलदार सदर रितेश सिंह व नर्वल तहसीलदार संजय सिंह प्रशासनिक व्यवस्थाएं संभालते रहे।

साढ़ में शनिवार रात दर्दनाक हादसे के बाद देर रात यह तय हो गया था कि सभी 26 मृतकों का अंतिम संस्कार महाराजपुर के ड्योढ़ीघाट में होगा। तैयारियों के मद्देनजर एडीएम आपूर्ति एवं राशनिंग सतीश त्रिपाठी व तहसीलदार सदर रितेश सिंह रविवार भोर चार बजे घाट पर पहुंचकर तैयारियों में जुट गए थे।

सुबह आठ बजे तक चिताएं और जमीन में गड्ढ़े खोदकर सभी तैयारियां पूरी कर ली गई थीं। 10:45 बजे सबसे पहला शव पूर्व प्रधान गीता सिंह का पहुंचा। उसके बाद एक - एक कर सभी शव आते रहे और अंतिम संस्कार की प्रक्रिया भी चलती रही। लगभग तीन बजे तक सभी शवों का अंतिम संस्कार पूरा हो गया था।

दस स्टैंड पर तो तीन जमीन पर जली चिताएं : अंतिम संस्कार के दौरान तय हुआ कि शादीखुदा लोगों को जलाया जाएगा जबकि अविवाहितों को जमीन में गाड़ा जाएगा लेकिन, अंत्येष्टि स्थल में चिताओं के लिए दस स्टैंड की ही व्यवस्था है। ऐसे में तीन चिताएं जमीन पर लगाई गईं। ड्योढ़ीघाट में लोगों ने कहा कि किसी हादसे में मरने वाले घाट पर पहली बार इतनी संख्या में आए हैं। इससे पहले ऐसा दर्दनाक मंजर कभी नहीं देखा।

शवों को कंधा देकर पुलिस ने निभाया अपनों का फर्ज : ड्योढ़ीघाट पर शव पहुंचने के बाद उनको उतारने के लिए जब कोई नहीं था तो महाराजपुर थाने के थाना प्रभारी सतीश राठौर, दारोगा विजय प्रताप, अमित विक्रम त्रिपाठी व आठ - दस सिपाही सभी शवों को कंधा दिया। एक-एक कर सभी शवों को पुलिस ने उतारकर चिताओं तक पहुंचाया। संकट के समय पुलिस की इस संजीदगी को जिसने भी देखा, खूब सराहा।

पुरोहितों ने निश्शुल्क कराया अंतिम संस्कार : दुःख की इस घड़ी में ड्योढ़ीघाट में अंतिम संस्कार कराने वाले पुरोहितों रज्जू महाराज, अनुज ,ब्रम्हकुमार व आर्यन ने भी दरियादिली दिखाते हुए सभी शवों का निश्शुल्क अंतिम संस्कार कराया। पुरोहितों ने बताया कि इस संबंध में मंदिर से भी निर्देश थे कि दुःख की इस घड़ी में किसी से भी रुपये नहीं लेने हैं। लकड़ी वाले दुकानदार ने भी लकड़ियों की कीमत में अपना मुनाफा अधिकारियों से नहीं लिया। अंतिम संस्कार के लिए लकड़ी की व्यवस्था जिला प्रशासन की तरफ से की गई थीं।

ड्योढ़ीघाट के प्रधान ने खुदवाए गड्ढ़े : ड्योढ़ीघाट महाराजपुर की ऐमा ग्राम पंचायत में आता है। यहां के प्रधान सीतेश मिश्रा ने अपने पास से मजदूर बुलाकर शवों को दफनाने के लिए गड्ढ़े खुदवाए। साथ ही अंतिम संस्कार की सामग्री सभी शवों के लिए उपलब्ध कराई। 

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