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Kanpur Drainage: जलनिकासी के लिए हर साल करोड़ों हो जाते खर्च, फिर भी हर तरफ पानी-पानी

कानपुर के लिए गंगा एक्शन प्लान और जेएनएनयूआरएम का क्रियान्वयन अनियोजित ढंग से कराये जाने के कारण जनता को कोई लाभ नहीं मिला है।

By Abhishek AgnihotriEdited By: Published: Thu, 03 Sep 2020 12:53 PM (IST)Updated: Thu, 03 Sep 2020 12:53 PM (IST)
Kanpur Drainage: जलनिकासी के लिए हर साल करोड़ों हो जाते खर्च, फिर भी हर तरफ पानी-पानी
Kanpur Drainage: जलनिकासी के लिए हर साल करोड़ों हो जाते खर्च, फिर भी हर तरफ पानी-पानी

कानपुर, जेएनएन। आजादी के बाद कई सरकारें आईं और कानपुर शहर के विकास के लिए अरबों रुपये खर्च भी किए गए, लेकिन अनियोजित प्लानिंग और भ्रष्टाचार के चलते नया ड्रेनेज सिस्टम तैयार न हो सका। इसका अभी तक जनता को लाभ नहीं मिल पाया है। हर साल ड्रेनेज सिस्टम को बेहतर करने के लिए सफाई के नाम पर करोड़ों रुपये खर्च हो जाते हैं, लेकिन फिर भी बरसात में पानी भर जाता है।

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गंगा एक्शन प्लान अौर जेएनएनयूआरएम भी भेंट चढ़ा

अंग्रेजों ने ड्रेनेज सिस्टम के साथ ही सीवरेज सिस्टम जोड़ रखा था। अाबादी के हिसाब से नालों को विकसित किया था। उस समय गंगा भी घाटों तक बहती थी तो गंदा पानी मिल जाता था। शहर बढ़ने के साथ सीवर का लोड बढ़ता गया। इसको लेकर गंगा एक्शन प्लान लाया गया। इसमें सीवरेज सिस्टम को अलग करने का काम चला, लेकिन पैसे के अभाव में बीच में ही बंद हो गया। वर्ष 2007 में जवाहर लाल नेहरू नेशनल अरबन रिन्यूवल मिशन (जेएनएनयूअारएम) से सिस्टम सुधारने का काम शुरू हुअा। इसमें नाले से सीवर सिस्टम को अलग करने के बजाए जोड़ दिया गया। पूरा सिस्टम अनियोजित प्लानिंग की भेंट चढ़ गया।

बिना लेआउट के बनी 157 सोसाइटी

केडीए की अनदेखी के चलते बिना लेआउट के बनती सोसाइटियां मुसीबत बनती जा रही हैं। मूलभूत सुविधाएं लापता हैं। कहीं भी ड्रेनेज सिस्टम नहीं है। सड़क पर ही दूषित पानी बहता रहता है। 157 से ज्यादा सोसाइटी अवैध रूप से बन गईं जो अभी तक नियमित नहीं हो पाईं। ये वो सोसाइटी क्षेत्र हैं जो केडीए के रिकार्ड में हैं। एेसी कई सोसाइटियां बस गईं।

अभियंताअों की मेहरबानी भी ड्रेनेज पर पड़ी भारी

केडीए अभियंताअों की मेहरबानी भी शहर के ड्रेनेज सिस्टम पर भारी पड़ी। योजना अौर अाबादी के हिसाब से सिस्टम बनाया गया था। सिस्टम तो विकसित हुअा नहीं, बिना नक्शे के अवैध इमारतें जरूर खड़ी हो गईं आबादी बसाने और बढ़ाने के लिए। इसका असर ड्रेनेज सिस्टम अौर मूलभूत सुविधाअों पर पड़ा।

390 बस्तियां भी बनी नासूर

शहर में वर्तमान समय में 390 से ज्यादा मलिन बस्तियां हैं, जिसमें ड्रेनेज सिस्टम नहीं है। बरसात के अलावा भी जल निकासी न होने के कारण पानी भरा रहता है।

क्या बोले जिम्मेदार

  • जल निगम की गलत डिजाइनिंग ने ड्रेनेज अौर सीवर सिस्टम को डैमेज कर दिया है। ड्रेनेज से सीवर सिस्टम को मिला दिया, इससे नालों पर भार पड़ा। सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट सिस्टम पर भी ट्रीट करने का भार पड़ा। अगर दोनों अलग होते तो सीवर का पानी ही प्लांट तक ट्रीट होने जाता। इससे रसायन व बिजली बचती। प्लांट छोटे बनते तो खर्च कम लगता। गलत डिजाइन को लेकर विरोध जताया था। -अारपी शुक्ल, सेवानिवृत्त मुख्य अभियंता

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