Kanpur Dakhil Daftar Column: साहब गंगा मइया की कसम मैं निर्दोष हूं, अपना और घर वालाें का नाम नहीं डूबाउंगा
कानपुर में प्रशासनिक महकमों की हलचल लेकर फिर आया है दाखिल दफ्तर कालम। लाभार्थी परक एक योजना में अनियिमतता पकड़ में आई तो खूब हल्ला मचा। खुद को ईमानदार बताने वाले एक साहब के दामन पर भी दाग लगा।
कानपुर, [दिग्विजय सिंह]। कानपुर शहर में प्रशासनिक तंत्र में कई मामले सुर्खियां नहीं बनते हैं लेकिन महकमे में चर्चा जुबां पर रहती है। ऐसे ही मामलों को चुटीले अंदाज में लेकर आता है दाखिल दफ्तर कालम...। पढ़िए बीते सप्ताह महकमे में क्या चर्चाएं खास रहीं..।
दीपावली पर मोटा गिफ्ट चाहिए
सड़कों का निर्माण कराने वाले विभाग के दूसरे नंबर के साहब को गिफ्ट से बड़ा प्यार है। गिफ्ट कैसा होगा, वह तय करके ठेकेदार को बता देते हैं। एक माननीय की कृपा से विभाग में कई सड़कों के निर्माण का ठेका पाने वाले ठेकेदार ने साहब के समक्ष भुगतान की फाइल प्रस्तुत की और साथ में मिठाई का डिब्बा भी रख दिया। इंजीनियर साहब ने मिठाई देखी और बोले, यार अब शुगर की समस्या हो गई है। इस मिठाई से काम थोड़ी चलेगा। दीपावली पर कोई बड़ा गिफ्ट दे देना। ठेकेदार ने कहा, साहब गोवा घूमने का प्रोग्राम बना लीजिए। रहना, खाना, यात्रा का खर्च मेरी तरफ से होगा। साहब बोले, यार अब बुढ़ापे में क्या घूमना। बेटे का मन नई बाइक पर आ गया है। थोड़ा महंगी जरूर है, लेकिन आप खरीदकर आसानी से दे सकते हो। बेटे से बोल दूंगा, वह मिलकर बाइक का नाम आपको बता देगा।
गंगा मइया की कसम निर्दोष हूं
लाभार्थी परक एक योजना में अनियिमतता पकड़ में आई तो खूब हल्ला मचा। खुद को ईमानदार बताने वाले एक साहब के दामन पर भी दाग लगा। विभाग के मुखिया ने उनके विरुद्ध कार्रवाई के लिए शासन को संस्तुति भेज दी तो साहब परेशान हो गए। एक दिन वह बड़े साहब के दरबार में हाजिर हुए। घोटाले में उनका कोई हाथ नहीं है। उन्होंने न किसी फाइल पर हस्ताक्षर किए हैं, न ही किसी लाभार्थी को वह जानते हैं, यह बताने में जुटे रहे। लेकिन, बड़े साहब ने उनकी एक न सुनी। बोले- कैसे मान लूं कि आप निर्दोष हैं। साहब को लगा कि बड़े साहब की नजर में वह गिर जाएंगे तो तपाक से बोले- सर गंगा मइया की कसम, मैंने कोई गलत काम नहीं किया। बड़े घर का लड़का हूं। गलत काम करके खुद और परिवार का नाम नहीं डूबाऊंगा। साहब बोले- अब तो कुछ नहीं हो सकता है।
साहब दयालु हैं, माफ कर देंगी
भूखंडों का आवंटन करने वाले विभाग से रिटायर हो चुके एक साहब भगवा पार्टी से खफा रहते हैं। जब नौकरी में थे तो भी वह सरकार के खिलाफ बोलते थे, मगर कभी किसी ने टोका नहीं। इससे उनका हौसला बढऩा लाजिमी है। उनकी पहुंच भी थोड़ा अफसरों में है। इसलिए साहब को विभाग के वाट््सएप ग्रुप से भी अभी तक नहीं हटाया गया है। ऐसे में वह विभाग में होने वाली हर गतिविधि के बारे में भी जानते हैं। अल्पसंख्यक समुदाय से जुड़े एक संगठन की रैली में केंद्र सरकार के विरुद्ध बयानबाजी का दो वीडियो साहब के पास कहीं से आ गया। उन्होंने उन्हें विभाग के वाट््सएप ग्रुप में भेज दिया। विभाग की मुखिया ने भी वीडियो देखा तो उन्हें यह हरकत खराब लगी और ग्रुप में ही उन्हें चेतावनी दे दी। साहब अब सफाई देते घूम रहे हैं। एक अफसर ने कहा, साहब दयालु हैं माफ कर देंगी।
नर्क और स्वर्ग यहीं पर है
भवन निर्माण कराने वाले एक विभाग के आला अधिकारी इस बात से परेशान हैं कि कार्यालय की गोपनीय बातें आखिर दूसरे लोगों तक कैसे पहुंच जाती हैं। एक दिन उन्होंने कर्मचारियों को बुलाया और फटकार लगाई। बोले- जिस दिन बात बाहर तक पहुंचाने वाले का पता चल गया, उसे काला पानी की सजा दूंगा। थोड़ा बहुत हड़काने के बाद उन्होंने कुछ कर्मचारियों के पटल भी बदल दिए। फिर भी गोपनीयता भंग होती रही। उनके एक निर्णय से जुड़े आर्डर की फाइल पर हस्ताक्षर भी नहीं हुए थे कि एक माननीय का एक ठेकेदार को काम दिलाने के लिए फोन उनके पास आ गया। साहब ने फिर बुलाया और कर्मचारियों के सामने हाथ जोड़कर खड़े हो गए। बोले- नमक हरामी न करो, नर्क और स्वर्ग यहीं है। बातें बाहर जाएंगी तो मेरा ही नहीं, सबका नुकसान होगा। एक कर्मचारी ने कहा, साहब आप बड़ बोलापन छोड़ दें सब सही हो जाएगा।