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Kanpur Dakhil Daftar Column: कुछ न होगा, फाइल दब गई..., गिफ्ट ही लिया कोई घूस तो नहीं ली

कानपुर में सरकारी दफ्तरों की हलचल लेकर आता है दाखिल दफ्तर कॉलम। दो विभागों के अफसर आजकल बड़े परेशान हैं। वहीं एक विभाग में बड़े साहब के थोड़ा करीबी होने पर दूसरे की बुराई कर देते हैं और एक दिन आदत की वजह से उन्हें डांट पड़ गई।

By Abhishek AgnihotriEdited By: Published: Tue, 06 Jul 2021 01:26 PM (IST)Updated: Tue, 06 Jul 2021 01:26 PM (IST)
Kanpur Dakhil Daftar Column: कुछ न होगा, फाइल दब गई..., गिफ्ट ही लिया कोई घूस तो नहीं ली
कानपुर में सरकारी दफ्तरों की हलचल दाखिल दफ्तर।

कानपुर, दिग्विजय सिंह। कानपुर शहर में प्रशासनिक हलचल खासा तेज रहती है, दफ्तरों में होने वाली चर्चाएं अक्सर सुर्खियां नहीं बन पाती हैं। ऐसी चर्चाओं को चुटीले अंदाज में लोगों तक पहुंचाता है दाखिल दफ्तर कॉलम..। आइए देखते हैं इस सप्ताह सरकारी दफ्तरों में क्या खास चर्चाएं रहीं।

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कुछ न होगा, फाइल दब गई

लोगों को अनुदान देने वाले दो विभागों के बड़े साहब आजकल बहुत परेशान हैं। उनकी परेशानी का कारण कुछ और नहीं बल्कि दूसरे विभाग के कुछ अधिकारी और कर्मचारी हैं। इन अधिकारियों और कर्मचारियों ने आवेदनकर्ताओं को लाभ दिलाने के लिए चंद रुपयों के लालच में अपनी नौकरी दांव पर लगा दी। उन्होंने आंख बंद कर उन्हें भी पात्र बनाया जो वास्तव में पात्र नहीं थे। अब मामला उजागर हुआ तो बात कार्रवाई तक पहुंच गई। एक अफसर पर तो कार्रवाई हो भी गई, लेकिन अब उन्हीं के कैडर से जुड़े चार और अधिकारियों की रात की नींद हराम है, क्योंकि गलती तो उनकी नहीं है, लेकिन जांच के नाम पर परेशान वही किए जा रहे हैं। उन्हीं में से एक अफसर महोदय हनुमान जी की शरण में पहुंच गए। उन्होंने प्रभु को प्रसाद चढ़ाया। साहब अब खुश हैं। मित्र से बोले कि कुछ नहीं होगा, अब फाइल दब गई।

बड़ी अम्मा काहे बन जाते हो

विकास कार्य कराने वाले एक विभाग के एक अभियंता महोदय थोड़ा बड़बोले किस्म के हैं। उनकी वाहवाही होती रहे, इसके लिए वह अफसरों के यहां अपने पैसे से ही काम करा देते हैं। पहले भुगतान की ङ्क्षचता नहीं करते और बाद में जब भुगतान नहीं होता तो मुंह फुलाए घूमते हैं। आजकल साहब किसी से सीधे मुंह बात नहीं करते क्योंकि बड़े साहब के यहां लाखों रुपये का काम करा दिया। घर के पर्दे बदलने से लेकर एसी, नल की टोटी भी बदल दिया, लेकिन भुगतान नहीं हुआ तो अब समझ नहीं पा रहे हैं कि करें क्या। जिन्होंने काम किया है, वे साहब से पैसे मांग रहे हैं। साहब एक दिन सिर पर माथे पर हाथ रखकर बैठे हुए थे। बगल के कमरे वाले अफसर ने उनसे कारण पूछा तो बोले- भुगतान नहीं, सिर्फ काम कराया जा रहा है। अधिकारी ने कहा, फिर बड़ी अम्मा काहे बन जाते हो।

आपके दामन पर भी दाग हैं

गरीबी उन्मूलन के कार्य में लगे एक विभाग के मुखिया खुद को बड़ा ईमानदार बताने की कोशिश में लगे रहते हैं। वह बड़े साहब के थोड़ा करीबी हैं तो जब मन में आता है उनके कान में धीरे से दूसरे अफसर की बुराई भी कर देते हैं। उनकी इस आदत की वजह से गरीबों को छत उपलब्ध कराने वाले अधिकारी को एक दिन डांट पड़ गई, क्योंकि उनके अपने ही कुछ कर्मचारियों ने उनके विरुद्ध आंदोलन कर दिया। इसके बाद बड़े साहब ने उन्हें शक की निगाह से देखना शुरू कर दिया। अब अधिकारी महोदय का गुस्सा सातवें आसमान पर पहुंच गया। वह दफ्तर से निकले तो गरीबी उन्मूलन के कार्य में लगे साहब पास के कमरे में बैठे मिल गए। साहब वहां पहुंचे और फट पड़े। बोले, आपके भी दामन पर दाग हैं। कीचड़ उछालेंगे तो आपको भी निलंबित होना पड़ेगा। उनका क्रोध देख साहब का चेहरा लटक गया।

गिफ्ट ही लिया, घूस तो नहीं ली

इंटरनेट मीडिया पर सक्रिय रहने वाले विकास विभाग के एक अफसर के जन्मदिन की पार्टी आजकल चर्चा में है। साहब ने एक होटल में पार्टी दी तो मातहतों को भी निमंत्रण दिया गया। साहब ने सुरीले कंठ से फिल्मी गीत गाए तो तालियों की गडग़ड़ाहट से कमरा गूंज उठा। हर किसी ने वाह- वाह किया और फिर गिफ्ट की बारिश शुरू हो गई। साहब भी खुश और मातहत भी खुश, लेकिन कुछ ऐसे भी थे जो इस पार्टी से जल भुन गए। उनसे साहब की खुशी देखी नहीं गई तो उन्होंने एक आला अधिकारी से चुगली कर दी और उन्हें बता दिया कि साहब पार्टी में तो लाखों के गिफ्ट आए। बड़े साहब को गुस्सा आ गया। बोले, तुम भी जन्मदिन मना लो। बड़े से बड़ा गिफ्ट ले लो। अरे उसने गिफ्ट तो ही लिया, कोई घूस तो नहीं ली। अब चुगली करने वाले साहब की हंसी गायब हो गई।


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