Move to Jagran APP

Kanpur Dakhil Daftar Column: भ्रष्टाचार वह करें और मैं जेल जाऊं.., प्रोजेक्ट बनाने से भी लगता है डर

कानपुर महानगर में प्रशासनिक और विभिन्न विभागों की हलचल दाखिल दफ्तर कालम है। ग्रामीण क्षेत्रों में सड़कों का निर्माण कराने वाले एक विभाग में सत्तारूढ़ दल के एक नेताजी का दबदबा है क्योंकि वह ठेकेदारी भी करते हैं।

By Abhishek AgnihotriEdited By: Published: Tue, 07 Sep 2021 12:51 PM (IST)Updated: Tue, 07 Sep 2021 12:51 PM (IST)
Kanpur Dakhil Daftar Column: भ्रष्टाचार वह करें और मैं जेल जाऊं.., प्रोजेक्ट बनाने से भी लगता है डर
कानपुर में प्रशासनिक महकमे की हलचल दाखिल दफ्तर।

कानपुर, [दिग्विजय सिंह]। कानपुर शहर में प्रशासनिक महकमों में अफसरों की वो बातें जो सुखियां नहीं बन पातीं हैं लेकिन चर्चा में अधिक रहती है, ऐसी चर्चाओं को दाखिल दफ्तर कालम लेकर आता है। आइए पढ़ते हैं, बीते सप्ताह प्रशासनिक गलियारों में क्या खास चर्चा बनी रही...।

loksabha election banner

नेताजी 56 इंच का सीना है

ग्रामीण क्षेत्रों में सड़कों का निर्माण कराने वाले एक विभाग में सत्तारूढ़ दल के एक नेताजी का दबदबा है। वह ठेकेदारी भी करते हैं। उन्हें काम भी खूब मिलता रहा है, लेकिन कुछ महीने से विभाग के मुखिया से किसी बात को लेकर उनकी दोस्ती में खटास आ गई है। नतीजतन, नेताजी को काम मिलना बंद हो गया है। परेशान नेताजी एक दिन सहयोगियों के साथ पहुंच गए और काम नहीं देने का कारण पूछा। बातों ही बातों में अधिकारी और नेताजी में कहासुनी हो गई। इस पर नाराज अधिकारी ने कहा, नेताजी सौ फीसद खरा काम करता हूं। इसलिए 56 इंच का सीना भी रखता हूं। कल निलंबित कराने की कोशिश करने वाले हों तो आज कर लें। अब तक भ्रष्टाचार नहीं किया है तो कोई माई का लाल निलंबित भी नहीं कर पाएगा। नेताजी समझ गए और तुरंत गुस्सा थूकते हुए बोले, यार मजाक कर रहा था।

अनुदान घोटाले से अब नींद नहीं आती

शादी अनुदान और पारिवारिक लाभ योजना में हुए घोटाले से समाज कल्याण, पिछड़ा वर्ग कल्याण और अल्पसंख्यक कल्याण विभाग के लिपिक और अफसर परेशान चल रहे हैं। पिछले दिनों समाज कल्याण विभाग के एक लिपिक की गिरफ्तारी के बाद तो वे कुछ ज्यादा ही डरे हैं। यही स्थिति लेखपालों और कानूनगो की भी है। वे भी अनुदान से जुड़ी फाइलों की जांच अब खुद मौके पर जाकर करने लगे हैं। शुक्रवार को एक कानूनगो को साहब ने किसी जांच के लिए कहा तो वह बोले, साहब शादी अनुदान के फार्म की जांच कर रहा हूं, क्योंकि इस अनुदान में हुआ घोटाला अब सोने नहीं देता। न रात को नींद आ रही है, न दिन में सुकून मिल रहा है। साहब बोले- यार तुम्हारा ही नहीं, सभी का यही हाल है। उनसे पूछो, जिनके विरुद्ध कार्रवाई की संस्तुति कर दी गई है और फाइल पर कोई निर्णय नहीं हो रहा है।

प्रोजेक्ट बनाने से भी डर लगता है

यातायात को गति देने के लिए सड़क और पुल का निर्माण कराने वाले एक विभाग के बड़े साहब ने अपने कार्यालय में चाय पार्टी का आयोजन किया। चाय और समोसा के साथ चाट भी मंगाई गई। सभी चाय की चुस्कियों के साथ हंसी मजाक कर रहे थे, तभी बड़े साहब के मोबाइल फोन की घंटी बजी तो उनके चेहरे के रंग बदल गए। फोन करने वाले ने पहले साहब को फटकार लगाई, फिर कुछ काम बताया। फोन कटा तो भी साहब कुछ समय तक खामोश रहे। फिर साथियों से बोले, यार अब तो प्रोजेक्ट बनाने से डर लगने लगा है। बोले, एक जनप्रतिनिधि महोदय का फोन था। कह रहे हैं, जो प्रोजेक्ट बनाओ उसका प्रस्ताव ले लिया करो। आखिर एक काम का कितने लोगों से प्रस्ताव लें। सामने बैठे अधिकारियों ने एक सुर में कहा, यार जो गति आपकी है वही हम सबकी है। चलो यह वक्त भी कट जाएगा।

भ्रष्टाचार वह करें और मैं जेल जाऊं?

एक जनप्रतिनिधि अपने खास लोगों को ठेका दिलाने के लिए परेशान रहते हैं। जब भी कोई अधिकारी मनमाफिक काम नहीं करता तो वह शिकायत पर उतर आते हैं। पिछले दिनों ही विकास कार्यों से जुड़ी बैठक में उन्होंने करोड़ों के निर्माण कार्य कराने वाले दो विभागों के अध्यक्षों के विरुद्ध जमकर भड़ास निकाली। उनके विरुद्ध जांच करवाने तक की बात कह दी। मीटिंग खत्म हुई तो वहां मौजूद एक आला अधिकारी ने विभागाध्यक्षों को पास बुलाया और पूछा कि आखिर नाराजगी किस बात की है जो तुम सबकी इतनी शिकायतें हो गईं। एक विभागाध्यक्ष ने कहा, साहब नियम विरुद्ध उनके आदमी को काम दूं। वह भ्रष्टाचार करें और जेल मैं जाऊं, यह तो नहीं होगा। मेरा दामन गंगा की तरह पवित्र है। इसे मैला तो नहीं करूंगा, चाहे किसी को अच्छा लगे या न लगे। दूसरे विभागाध्यक्ष ने भी उनकी हां में हां मिलाई। आला अधिकारी बोले, तुम्हारे साथ हूं।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.