Coronavirus : कानपुर में तब्लीगी जमाती के संपर्क में आए बुजुर्ग की क्वारंटाइन में मौत, सामने आई लापरवाही
रामा मेडिकल कॉलेज के क्वारंटाइन सेंटर में सुबह से हालत बिगड़ने पर डॉक्टर देखने नहीं पहुंचे।
कानपुर, जेएनएन। शहर में तब्लीगी जमात के सदस्यों में कोरोना वायरस की पुष्टि होने के बाद उनके संपर्क में आए लोगों की तलाश शुरू है। ऐसे ही संपर्क में आए संदिग्ध बुजुर्ग की रामा मेडिकल कॉलेज के क्वारंटाइन सेंटर में शनिवार सुबह हालत बिगड़ने के बाद मौत हो गई। यह तब हुआ जब ठीक एक दिन पहले इसी क्वांरटाइन सेंटर से चार कोरोना संक्रमित तब्लीगी जमात के सदस्यों को कोविड-19 के आइसोलेशन वार्ड में शिफ्ट किया गया था। घरवालों ने बुजुर्ग की मौत पर चिकत्सकीय व्यवस्था पर लापरवाही का आरोप लगाया है।
शहर में तब्लीगी जमात के सदस्यों को क्वांरटाइन करने के बाद छह जमातियों में कोरोना संक्रमण की पुष्टि के बाद उनके संपर्क में आए लोगों की तलाश शुरू हो चुकी है। ऐसे ही घाटमपुर के सजेती थाना क्षेत्र के बरीपाल निवासी 65 वर्षीय हाजी इस्माइल समेत सात लोगों को लेखपाल और तहसीलदार शुक्रवार शाम रामा मेडिकल कॉलेज लेकर आए थे। साथ आए मुनीर ने बताया कि हाजी इस्माइल को रात से सीने में दर्द और डायबिटीज बढ़ी थी। उन्होंने अपनी परेशानी लेखपाल और तहसीलदार को बताई थी और दवाएं चलने की जानकारी दी थी। इसपर उनसे सीएचसी में सभी दवाएं मिल जाने की बात कहते हुए उन्हें ले आए और क्वारंटाइन सेंटर में रख दिया था।
मुनीर ने बताया कि हाजी इस्माइल को दवाएं भी लाने दी गई थीं। शुक्रवार की रात से अचानक उन्हें बेचैनी होने लगी तो कर्मचारियों को जानकारी दी लेकिन कोई देखने नहीं आया। शनिवार सुबह इस्माइल को उल्टी-दस्त शुरू हो गए और सूचना देने के बाद भी कोई डाॅक्टर देखने नहीं आया। उनका आरोप है कि क्वारंटाइन सेंटर में स्वास्थ विभाग का कोई डॉक्टर नहीं आता है। हालत बिगड़ने लगी तो कर्मचारियों ने कहा-सीएमओ को सूचना दी गई है वही कुछ बंदोबस्त करेंगे। मुनीर ने बताया कि पांच घंटे पड़े तड़पने के बाद दोपहर 3.35 बजे इस्माइल की मौत हो गई।
रामा मेडिकल कॉलेज और नारायणा मेडिकल कॉलेज के क्वारंटाइन सेंटरों के लिए डॉ. अरविंद भूषण को जिम्मेदारी दी गई और डॉ. विपुल चतुर्वेदी को सेंटर प्रभारी बनाया गया है। क्वारंटाइन सेंटर में रहने वालों की मानें तो दोनों में से काेई डॉक्टर नहीं आता है। वहीं इस बारे में सीएमओ डॉ. अशोक शुक्ला ने बताया कि घाटमपुर तहसीलदार बुजुर्ग को रात 11 बजे छोड़ गए थे, उसका चेकअप किया गया था। उनके साथियों के आरोप गलत हैं, रात और दिन में भी डॉक्टरों ने उन्हें अटेंड किया है। मुझे बताया गया है कि सुबह पेट में दिक्कत की वजह से उल्टी दस्त होने पर दवाएं दी गई थीं, जिससे आराम मिल गया था। जिस डॉक्टर उनका चेकअप किया, उन्होंने जानकारी दी है कि उसमें कोरोना जैसे कोई लक्षण नहीं थे। वह मधुमेह और हार्ट की बीमारी से पीड़ित थे। जब दोपहर 3.30 बजे दिक्कत शुरू हुई तो डॉक्टर ने अटेंड किया था, प्रयास करने के बाद भी उसकी जान नहीं बच सकी। बुजुर्ग की मौत हार्ट अटैक से होने की संभावना है। उनका नमूना लेकर जांच के लिए लखनऊ भेजा गया है।