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प्रयागराज की तर्ज पर कानपुर में भी बने एयरपोर्ट की टर्मिनल बिल्डिंग, लेटलतीफी पर उठ रहे सवाल

प्रयागराज में 900 कर्मचारियों ने दो पाली में काम कर 11 माह में एयरपोर्ट टर्मिनल की बिल्डिंग तैयार की थी। जबकि चकेरी एयरपोर्ट में 50-60 कर्मचारी एक पाली में बिल्डिंग बनाने का काम कर रहे हैं। लेटलतीफी से काम का समय बढ़ता ही जा रहा है।

By Abhishek AgnihotriEdited By: Published: Mon, 16 May 2022 09:49 AM (IST)Updated: Mon, 16 May 2022 09:49 AM (IST)
प्रयागराज की तर्ज पर कानपुर में भी बने एयरपोर्ट की टर्मिनल बिल्डिंग, लेटलतीफी पर उठ रहे सवाल
कानपुर चकेरी एयरपोर्ट में टर्मिनल बिल्डिंग का काम धीमा है।

कानपुर, जागरण संवाददाता। मवइया में चकेरी एयरपोर्ट की अधूरी नई टर्मिनल बिल्डिंग की तरह इसके कामों में लेटलतीफी पर उठते सवाल का जवाब भी अब तक अधूरा है। 16 माह में पूरा किया जाना काम 32 माह बाद भी क्यों घिसट रहा है, जिम्मेदार इस पर स्पष्ट बोलने को तैयार नहीं। मगर, प्रयागराज में 11 माह में बनकर तैयार टर्मिनल बिल्डिंग को आइने के तौर सामने रखें तो तमाम सवालों का यह बहुत कुछ जवाब देती है। मालूम पड़ता है कि कानपुर के मामले में हवाई अड्डा सलाहकार समिति की समीक्षा बैठकें, उच्चाधिकारियों के निरीक्षण और एयरपोर्ट अथारिटी आफ इंडिया (एएआइ) के अफसरों की बड़ी टीम, सभी फिलहाल नकारा साबित हुए हैं। समय से काम पूरा करने के लिए प्रयागराज की टर्मिनल बिल्डिंग से सीख नहीं ली, जो छह हजार स्क्वायर यार्ड के उतने ही क्षेत्रफल में बनी है, जितने में कानपुर में काम चल रहा है। आइए जानते हैं क्या अंतर रहा दोनों जगह काम को लेकर-

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प्रयागराज में कार्यदायी संस्था टाटा कंसल्टेंसी थी। एएआइ के ज्वाइंट जीएम के नेतृत्व में चंद अफसरों की टीम लगाई गई थी। वहां 900 कर्मचारियों ने दो पाली में काम किया था। तब जाकर टर्मिनल बिल्डिंग 11 माह में बनी। इसके उलट कानपुर में एएआइ के जनरल मैनेजर के साथ आठ अफसरों की फौज तैनात की गई। कार्यदायी संस्था प्रदेश राजकीय निर्माण निगम (यूपीआरएनएन) को बनाया गया। सरकार ने भी यहां की नई टर्मिनल बिल्डिंग को अपनी प्राथमिकता बताकर समय से काम पूरा करने के निर्देश दिए मगर, जल्द हवाई सफर का पूरा होने का सपना अब तक धूल फांक रहा है। कानपुर में टर्मिनल बिल्डिंग के काम में अब तक अधिकतम 280 कर्मचारी ही एक साथ एक पाली में काम कर चुके हैं। वो भी तब, जब पिछले वर्ष तत्कालीन उड्डयन मंत्री नंद गोपाल गुप्ता नंदी ने मौके पर निरीक्षण कर यूपीआरएनएन के अफसरों को निलंबित करने की चेतावनी दी थी। डेढ़ माह बाद ही कर्मचारियों की संख्या घटकर 50-60 पर आ गई और आज भी है। एयरपोर्ट के अधिकारी भी स्वीकारते हैं हैं कि एक बार फिर उसी मंशा से काम करने की जरूरत है जो प्रयागराज टर्मिनल बिल्डिंग को लेकर दिखाई गई थी।

टैक्सी लिंक व अंडर ग्राउंड केबल का इस सप्ताह मिले जाएगा पैसा : एयरपोर्ट के रन-वे को टर्मिनल बिल्डिंग से जोडऩे के लिए एयरपोर्ट की दीवार को तोड़ा जाना है ताकि विमान इस मार्ग से रन-वे तक आ जा सकें। इस वर्ष 24 मार्च को इस काम को रक्षा मंत्रालय से अनुमति मिल गई थी लेकिन, शुरुआत अभी तक नहीं हो सकी है। प्रदेश सरकार को इसके लिए 50 लाख रुपये रक्षा मंत्रालय को किराये के रूप में प्रतिवष देने हैं। टर्मिनल बिल्डिंग में बिजली की जरूरतों को देखते हुए अंडर ग्राउंड केबल का काम होना है। इसके लिए राज्य सरकार को सुरक्षा धनराशि के लिए 1,68,618 रुपये और किराये के रूप में 84,308 रुपये प्रतिवर्ष देने है। यह पैसा भी अगले सप्ताह तक मिल जाएगा।

जल्द शुरू होगा सड़क का काम : नई टर्मिनल बिल्डिंग से हाईवे तक 2.7 किमी लंबी फोरलेन सड़क लोक निर्माण विभाग को बनानी है। इसके लिए पैसा और अनुमति दोनों मिल चुकी है। यह काम भी जल्द शुरू करने की तैयारी है।

ड्रेनेज सिस्टम के लिए 52 लाख का टेंडर : पानी निकासी के लिए 52 लाख रुपये से ड्रेनेज सिस्टम बनाया जाना है। इसके लिए टेंडर निकाले गए हैं। यह काम भी इसी सप्ताह से शुरू करने का दावा है।

एक नजर में टर्मिनल बिल्डिंग की स्थिति

-106 करोड़ रुपये से यूपीआरएनएन कर रहा काम

-50 एकड़ कुल जमीन है नई टर्मिनल बिल्डिंग की

-छह हजार स्क्वायर यार्ड में बन रही बिल्डिंग

-16 माह में फरवरी 2021 तक पूरा होना था काम

-58 करोड़ रुपये कार्यदायी संस्था को हो चुके हैं जारी

-15 अगस्त 2022 तक पूरा होना है काम


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