Pollution: कानपुर में सांस लेना भी मुश्किल... AQI 500 पार, प्रदूषण बेकाबू
कानपुर में वायु प्रदूषण खतरनाक स्तर पर पहुँच गया है। एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) 500 के पार चला गया है। शहर में सांस लेना भी मुश्किल हो गया है। प्रदूषण का स्तर लगातार बढ़ने से स्थिति गंभीर बनी हुई है।

दोपहर एक्सप्रेस रोड, कैनाल पटरी और घंटाघर के क्षेत्र में दिखाई देती धूंध की चादर। जागरण
जागरण संवाददाता, कानपुर। Kanpur Pollution: कुछ दिनों पहले ही स्वच्छ वायु सर्वेक्षण में देश में पांचवां स्थान मिला है। औद्योगिक नक्शे पर कभी अपनी मेहनत, मशीनों और मैनपावर के दम पर पहचान बनाने वाला शहर अचानक धुएं और धूल में घुटने लगा है।
बदलते मौसम में प्रदूषण भी अपना पैमाना बदल रहा है। आंकड़े बता रहे हैं कि शहर की हवा अब सिर्फ प्रदूषित नहीं, बल्कि दमघोटू बन गई है। हालांकि इन सबके बीच यह भी चौकाने वाला है कि केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के वायु मापक स्टेशन और नगर निगम के वायु मापक यंत्रों के अलग-अलग आंकड़े हैं।
प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के आंकड़ों के हिसाब से शहर औरेंज जोन में है, लेकिन नगर निगम के आंकड़े बता हैं कि खतरा रेड अलर्ट का है और खतरे का पैमाने रोज की रोज बढ़ता ही जा रहा है। फिलहाल सच्चाई यह है कि मौजूदा हवा शहरवासियों की सेहत के लिए ठीक नहीं हैं।
जिम्मेदार शांत, धूल के कहर से राहगीर परेशान ...
रावतपुर से कंपनीबाग चौराहा जाने वाला मार्ग पर पाइप लाइन डालने केे लिए खोदाई होने के साथ मेट्रो का काम चल रहा है। ऐसे में अभी सड़क का निर्माण कार्य अधूरा पड़ा होने के कारण राहगीरों को मुसीबत का सामना करना पड़ता है। सड़क पर उड़ती धूल के गुब्बार से सभी परेशान हैं। धूल और प्रदूषण से सबसे ज्यादा परेशानी आसपास रहने वाले मेडिकल कालेज के चिकित्सकों और सीएसए छात्रावास के छात्रों को हो रही है। एक छात्र ने बताया उड़ती धूल के कण आंखों में चुभते है, सांस लेना मुश्किल हो जाता है। लेकिन जिम्मेदार विभाग के अधिकारी पानी का छिड़काव तक नहीं करवा रहे, जिससे समस्या और गंभीर हो रही है। संजय यादव
मंगलवार को नेहरू नगर में प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड स्टेशन में एक्यूआई 230 दर्ज किया गया, जो औरेंज जोन में पहुंच गया है, जबकि कल्याणपुर एनएससी और किदवई नगर एफटीआइ वायु मापक स्टेशन यलो जोन में रहे। वहीं नगर निगम ने स्मार्ट सिटी योजना के तहत 40 चौराहों में वायु मापक यंत्र लगाए हैं, जिसके आंकड़े ज्यादा खतरनाक हैं।
10 से ज्यादा चौराहों पर एक्यूआइ का स्तर पांच सौ तक पहुंच गया है। हालांकि केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड इन्हें मान्यता नहीं प्रदान करता और न ही इनके आंकड़े शामिल किए जाते हैं। लेकिन, नगर निगम के आंकड़ों में मंगलवार को गीता नगर, विजय नगर, यशोदा नगर, श्याम नगर, टाटमिल और स्टील प्लांट तिराहे पर वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआइ) 500 तक पहुंच गया, जो जीवन के लिए खतरनाक है।
नगर निगम के पर्यावरण विभाग की रिपोर्ट बताती है कि शहर के 25 चौराहों पर एक्यूआइ 300 से ऊपर दर्ज किया गया। अफीम कोठी (471), घंटाघर (459), नरौना (376), किदवई नगर (366) और मारियमपुर (354) जैसे इलाकों में हवा लगातार बहुत खराब श्रेणी में रही। हालांकि प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के स्टेशनों के अनुसार औरेंज जोन तक ही हवा का स्तर खराब हुआ है।
वाहनों का धुआं, टूटी सड़कें और निर्माण कार्य जिम्मेदार
वाहनों का उड़ता जहरीला धुआं, टूटी सड़कें, दिनभर उड़ती धूल, वाहनों से झरता धुआं पीएम (2.5) का स्तर कई स्थानों पर 600 माइक्रोग्राम प्रति घनमीटर तक पहुंच गया है, जबकि सुरक्षित सीमा मात्र 60 है। प्रदूषण नियंत्रण विभाग के अधिकारियों का कहना है कि सर्दी की शुरुआत के साथ हवा की गति कम हो गई है, जिससे धूल और धुआं वातावरण में जमने के कारण एक्यूआइ का स्तर बढ़ता है। मौजूदा समय में प्रदूषण का कारण धूल और धुआं हैं।
शहर के 20 सबसे प्रदूषित चौराहे
- चौराह का नाम वायु गुणवत्ता
- गीता नगर क्रासिंग-500
- यशोदा नगर चौराहा- 500
- विजय नगर चौराहा -500
- श्याम नगर चौराहा- 500
- टाटमिल चौराहा- 500
- अफीम कोठी चौराहा- 471
- घंटाघर जंक्शन -459
- कोयला नगर- 391
- किदवई नगर चौराहा 366
- नरौना चौराहा 376
- मारियमपुर चौराहा 354
- एलएमएल चौराहा -339
- ब्रह्म नगर चौराहा -322
- दीप टाकीज़ तिराहा- 306
- ग्रीन पार्क चौराहा -347
- जरीब चौकी- 312
- गोल चौराहा -347
- रामादेवी चौराहा -230
- सरसैया घाट चौराहा -346
- रावतपुर तिराहा -233
नोट: यह सभी आंकड़े नगर निगम के द्वारा लगाए गए वायु मापक यंत्रों पर आधारित हैं।
बोले जिम्मेदार:::
केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड से प्रमाणित चार वायु मापक स्टेशनों का संचालन होता है। जिसमें तीन के आंकड़े आनलाइन रहते हैं, जबकि चौथा स्टेशन आइआइटी में रिसर्च के लिए प्रयोग होता है। नगर निगम के वायु मापक यंत्रों की प्रमाणिकता सीपीसीबी से मान्य नहीं हैं। मौजूदा समय में एक्यूआइ बढ़ने के पीछे मुख्यता कारण सड़कों की धूल और निर्माण कार्य हैं। इसको नियंत्रित करने के लिए संबंधित विभागों को पत्र भेजा गया है।
अजीत कुमार सुमन, क्षेत्रीय प्रदूषण नियंत्रण अधिकारी, प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड
प्रदूषण से बढ़ाए चेस्ट रोगी, ओपीडी व वार्ड में मरीजों की भरमार
मुरारी लाल चेस्ट चिकित्सालय के विभागाध्यक्ष प्रो. अवधेश कुमार ने बताया कि प्रदूषण के कारण हर वर्ष सबसे ज्यादा मरीज खांसी और घरघराहट की समस्या लेकर भर्ती होते हैं। प्रदूषित हवा के कारण वायुमार्ग में जलन होती है, जो लगातार खांसी व घरघराहट की समस्या बनती है। कई मामलों में सांस लेने में कठिनाई व फेफड़ों की कार्यक्षमता पर भी असर पड़ रहा है। ओपीडी में इन दिनों अस्थमा, सीओपीडी के साथ ब्रोंकाइटिस, निमोनिया और चेस्ट संक्रमण के साथ मरीज पहुंच रहे हैं। इसमें गंभीर लक्षण वाले हर दिन 15 से 20 मरीज भर्ती करने पड़ रहे हैं। उन्होंने बताया कि सर्दी की शुरुआत व प्रदूषण बढ़ने के कारण अस्थमा व सीओपीडी के मरीजों में पहले से मौजूद श्वसन संबंधी बीमारियों के लक्षण को प्रदूषण बढ़ा देता है। लंबे समय तक वायु प्रदूषण से फेफड़ों के कैंसर के खतरा भी हो सकता है। जो जहरीले कण के कोशिकाओं में मिलने से होता है।
नगर निगम द्वारा लगाए गए प्रदूषण मापक यंत्र के आंकड़े सही हैं। आइआइटी, कानपुर के विशेषज्ञों ने भी इनकी जांच की है और सही पाया है। इन आंकड़ों का लाभ लिया जाना चाहिया।
राहुल सब्बरवाल, आइटी मैनेजर, स्मार्ट सिटी मिशन

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