कानपुर की फिर जहरीली हुई हवा, जानिए इसका कारण व निदान के उपाय
एनजीटी की निगरानी के बावजूद खराब होती जा रही कानपुर की हवा सड़कें खस्ताहाल जलता कूड़ा अनियंत्रित ट्रैफिक बढ़ा रहा दर्द।
कानपुर, जेएनएन। जिनके कंधों पर वायु प्रदूषण रोकने की जिम्मेदारी है, वही मुंह फेरे हुए हैं। इसी वजह से कानपुर में वायु प्रदूषण खतरनाक स्तर पर पहुंच गया है। हवा की गुणवत्ता सुधारने की बजाय जिम्मेदार हाथ पर हाथ धरे बैठे हुए हैं। शहर की प्लानिंग की ओर नजर नहीं जा रही है। सड़क जगह-जगह से टूट गई है। उस पर जलता कूड़ा और धुआं उगलते वाहन मुसीबत बढ़ा रहे हैं। सड़कों पर बेतरतीब खोदाई कोढ़ में खाज का काम कर रही है। हालांकि नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने कानपुर समेत प्रदेश के 15 शहरों की निगरानी शुरू कर दी है। वायु गुणवत्ता सूचकांक बेहतर करने की तैयारियां तेज हो गई हैं।
वायु गुणवत्ता सूचकांक
पीएम 2.5- 318
एनओटू- 176
एसओटू- 117
सीओ- 133
(सभी का मानक 60 माइक्रोग्राम प्रति मीटर क्यूबेक है)
इस वजह से जहरीली हो रही हवा
- जलता हुआ कूड़े का ढेर
- अनियोजित खोदाई
- खस्ताहाल सड़कें
- चौपट सफाई व्यवस्था
- अनियंत्रित ट्रैफिक
- धुआं उगलते वाहन
जिला प्रशासन की ओर से जारी एडवाइजरी
- कूड़ा करकट जलाया न जाए
- ट्रैफिक सुचारु रूप से चले
- सड़क किनारे घास उगाई जाए।
- खस्ताहाल वाहनों पर नियंत्रण
- बिजली की निर्बाध आपूर्ति
- पौधरोपण, सड़क किनारे पानी का छिड़काव
- भवन निर्माण सामग्री ढक कर ले जाएं
अनियोजित प्लानिंग से संकट
- पब्लिक ट्रांसपोर्ट सिस्टम के दम तोडऩे से वाहनों की संख्या बढ़ गई।
- प्रदूषण जांच केंद्रों में सही तरह से वाहनों की जांच नहीं हो रही।
- सड़क निर्माण में घटिया सामग्री का प्रयोग, जिससे कुछ ही दिन में टूट जा रही।
- विभिन्न विभागों में तालमेल नहीं होने से खोदाई जारी।
- कूड़ा जलाने पर नहीं हो रही कार्रवाई।
- अत्याधुनिक तरह से सफाई व्यवस्था नहीं।
जिम्मेदारों का क्या है कहना
वायु प्रदूषण बड़ी समस्या है। इसको दूर करने का प्रयास किया जा रहा है। एक दो दिन में विभागों की बैठक बुलाई जाएगी।
- विजय विश्वास पंत, जिलाधिकारी
एनजीटी के निर्देशों का अनुपालन बेहद जरूरी है। वायु प्रदूषण बढऩे की कई वजह है। इसको मिलकर दूर किया जाना चाहिए।
- कुलदीप मिश्र, मुख्य पर्यावरण अधिकारी
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