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हौसले से मुकाम हासिल कर रहीं काजल, बनना चाहती है कानपुर की मैरीकॉम

ग्वालटोली की रहने वाली काजल रही बॉक्सिंग में कांस्य पदक हासिल कर चुकी हैं।

By AbhishekEdited By: Published: Wed, 25 Mar 2020 09:05 AM (IST)Updated: Wed, 25 Mar 2020 05:29 PM (IST)
हौसले से मुकाम हासिल कर रहीं काजल, बनना चाहती है कानपुर की मैरीकॉम
हौसले से मुकाम हासिल कर रहीं काजल, बनना चाहती है कानपुर की मैरीकॉम

कानपुर, [अंकुश शुक्ल]। मुकाम हासिल करने के लिए साधन नहीं हौसले की जरूरत होती है। इस बात को ग्वालटोली की काजल राही भलीभांति साबित कर रही हैं। बॉक्सिंग के प्रशिक्षण के लिए उन्हें रिंग तक की सुविधा नहीं मिल रही, इसके बावजूद वह प्रदेश स्तर पर दो बार कांस्य पदक हासिल कर चुकी हैं। अब वह राष्ट्रीय बॉक्सिंग में पदक हासिल कर शहर की मैरीकॉम बनना चाहती हैं।

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खिलाड़ियों की टोली बनाती रिंग

काजल पालिका स्टेडियम में बॉक्सिंग का प्रशिक्षण कोच भगवानदीन से हासिल कर रही हैं। यहां प्रशिक्षण लेने वाले खिलाड़ियों का जज्बा देखते ही बनता है। रिंग के अभाव में खिलाड़ियों की टोली स्वयं रिंग का आकार लेती है। कोच बस्तियों में रहने वाले बालक व बालिका वर्ग के खिलाड़ियों को निश्शुल्क बॉक्सिंग प्रशिक्षण देते हैं।

पिता कराटे खिलाड़ी बनाना चाहते थे

काजल बतातीं है कि पिता ने कराटे के प्रशिक्षण के लिए पालिका स्टेडियम भेजा था। खिलाड़ियों को बॉक्सिंग करते देखकर बॉक्सिंग करना शुरू किया। तीन वर्ष के प्रशिक्षण में उन्होंने पहचान बना ली है।

स्वभाव में सरल और खेल में आक्रामक तेवर

स्वभाव में सरल रहने वाली काजल प्रतियोगिता में प्रतिद्वंदी पर बहुत तेज मुक्के बरसाती हैं। आक्रमण शैली का खेल ही काजल की ताकत है। पंच के बेहतर तालमेल व डिफेंस, अटैक, कदमताल तथा परिस्थितियों के मुताबिक प्लानिंग में बदलाव काजल की रिंग जीत का कारण बनती।

कोच व स्वजन के साथ ने बढ़ाया हौसला

पिता रामप्रकाश संविदा बिजली कर्मी है। परिवार के पालन-पोषण के साथ उन्होंने बेटी को आत्मरक्षा के लिए खेल में आगे बढ़ाया। वीएसएसडी कॉलेज में बीए प्रथम वर्ष की छात्र ने मां सरोज राही व कोच के विश्वास को रिंग में प्रतियोगिता दर प्रतियोगिता साबित किया।

रिंग की आस में कोच व खिलाड़ी

पालिका स्ट डियम में भगवानदीन बगैर रिंग के भी राष्ट्रीय खिलाड़ियों को तैयार कर रहे है। उन्होंने नगर निगम व खेल विभाग में कई बार रिंग लगाने को लेकर प्रस्ताव भेजा। परंतु अधिकारियों की लापरवाही के कारण हर बार उसे नाकामी मिली। तब खिलाड़ियों को रिंग का आकार देकर प्रशिक्षण देना शुरू किया।


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