हिंदी जगत के वरिष्ठ हस्ताक्षर कैलाश जी का लंदन में निधन, जानें- उनका अबतक का सफर
पैतृकभूमि कानपुर को भी कभी नहीं भूले और हमेशा खास जुड़ाव रहा वे हर साल यहां आते और महीनेभर रुकते थे।
कानपुर, जेएनएन। हिंदी जगत के वरिष्ठ हस्ताक्षर कैलाश बुधवार का शनिवार को लंदन में निधन हो गया। 88 वर्षीय कैलाश जी सोराइसिस से पीडि़त थे। उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया था, जहां संक्रमण और बढ़ गया। यहीं उन्होंने अंतिम सांस ली। उनकी पत्नी विनोदिनी, बेटा और तीन बेटियों का भरा-पूरा परिवार है, जो कि लंदन में ही रहता है। कानपुर में जन्मे कैलाश जी बीबीसी की हिंदी सेवा से 1970 में जुड़े और प्रमुख होकर रिटायर हुए। वे लंदन की साहित्यिक संस्था कथा-यूके के अध्यक्ष भी थे।
शनिवार दोपहर ली अंतिम सांस
कथा यूके के महासचिव और लंदन निवासी तेजेंद्र शर्मा ने फोन पर दैनिक जागरण को बताया कि भारतीय समय के अनुसार शनिवार दोपहर 12:40 उन्होंने अंतिम सांस ली। उनके जाने से ऐसा लगा कि जैसे पिता का साया ही उठ गया है। जब वह लंदन आए थे तो कैलाश जी पिता और अभिभावक की तरह साथ निभाते रहे। वे कभी किसी की बुराई नहीं सुनते थे। लंदन आने वाले हर भारतीय के लिए उनके दरवाजे खुले रहते, बाकायदा डिनर भी देते। वे पैतृकभूमि कानपुर को भी कभी नहीं भूले। वे हर साल यहां आते और महीनेभर रुकते थे।
स्कूली दिनों से था अभिनय का शौक
वर्ष 1932 में आर्य नगर में जन्मे कैलाश जी ने किशोरी रमण कॉलेज मथुरा से बीए और प्रयागराज से एमए (इतिहास) किया था। कुछ समय विकास विद्यालय रांची व सैनिक स्कूल करनाल में अध्यापन किया। फिर, आकाशवाणी लखनऊ व दिल्ली में समाचार वाचक भी रहे। फिल्म इंस्टीट्यूट पुणे से जुड़े और मुंबई में पृथ्वी थियेटर में भी काम किया। वे स्कूली दिनों से ही अभिनय के शौकीन थे। वर्ष 2012 में उनकी 'लंदन से पत्र पुस्तक दो खंडों में प्रकाशित हो चुकी है।
आर्यनगर से पृथ्वी थिएटर होते हुए लंदन तक पहुंचे कैलाश जी
हिंदी जगत के वरिष्ठतम हस्ताक्षर कैलाश बुधवार जी आर्यनगर मोहल्ले की गलियों से ही मुंबई के पृथ्वी थिएटर और फिर लंदन तक पहुंचे थे। 50 साल तक बाहर रहकर भी उनका कानपुर से हमेशा जुड़ाव रहा। वे साल में एक बार यहां आने की कोशिश करते। जब भी आते, पूरे महीने रुकते। लोगों से मिलते-जुलते। शनिवार को उनके निधन की सूचना पर शहर के तमाम हिंदी प्रेमियों ने शोक जताया है।
क्राइस्ट चर्च कॉलेज में फिजिक्स के प्रोफेसर रहे पिता के कहने पर कैलाश बुधवार जी ने बैंक मैनेजर चाचा के साथ रहकर पठन-पाठन किया। किशोरी रमण कॉलेज मथुरा से बीए और प्रयागराज से इतिहास में एमए किया। वहां की नाट्य परिषद के सचिव रहे। विकास विद्यालय रांची व सैनिक स्कूल करनाल में अध्यापन भी किया और आकाशवाणी लखनऊ व दिल्ली में समाचार वाचक भी रहे।
हिंदी जगत की अपूरणीय क्षति
क्राइस्ट चर्च कॉलेज के इतिहास विभाग के अध्यक्ष प्रो एसपी सिंह बताते हैं कि कैलाश जी आर्य नगर मोहल्ले में पले-बढ़े थे। उनके पिता प्रोफेसर भी कैलाश जी के पिता के साथ प्रोफेसर रहे, इस नाते पारिवारिक जुड़ाव हमेशा रहा। कैलाश जी की कोशिश रहती थी कि हर साल कानपुर आएं। वे जब भी आते थे, एक महीने तक रुकते। वर्ष 1970 में वह लंदन में बीबीसी ङ्क्षहदी सेवा से जुड़े।
क्राइस्ट चर्च के पुरातन छात्रों के सम्मेलन में उनको बुलाने की कोशिश भी की गई थी, लेकिन आ नहीं पाए। उनके निधन की सूचना पर बेहद दुख है। वहीं, कथाकार राजेंद्र राव ने कहा कि उनका अचानक हमेशा के लिए यूं चला जाना हिंदी जगत की अपूरणीय क्षति है।