आरटीआइ के 'डोज' से जेके कैंसर संस्थान 'चंगा'
संकल्प दृढ़ था और उसे पूरा करने की जिद भी। जनहित की लड़ाई ने सूबे के एकमात्र राजकीय जेके कैंसर संस्थान में दम तोड़ती सुविधाओं को फिर जिंदा कर दिया। जनसूचना अधिकार (आरटीआइ) का हथियार चलाकर अधिवक्ता आशुतोष द्विवेदी ने सरकार से यह जंग जीती।
जागरण संवाददाता, कानपुर : संकल्प दृढ़ था और उसे पूरा करने की जिद भी। जनहित की लड़ाई ने सूबे के एकमात्र राजकीय जेके कैंसर संस्थान में दम तोड़ती सुविधाओं को फिर जिंदा कर दिया। जनसूचना अधिकार (आरटीआइ) का हथियार चलाकर अधिवक्ता आशुतोष द्विवेदी ने सरकार से यह जंग जीती। नतीजा हुआ कि संस्था में खराब पड़ी महंगी रेडियोथेरेपी की मशीनें दुरुस्त हो गई तो कई नई मशीनें भी मंगाई गई।
आशुतोष द्विवेदी ने वर्ष 2014 में संस्थान की दशा सुधारने का बीड़ा तब उठाया जब वह एक कैंसर पीड़ित रिश्तेदार का इलाज कराने गए थे। वहां देखा कि संस्थान की व्यवस्था खुद बीमार है। अव्यवस्था एवं संसाधनों की कमी से कैंसर पीड़ितों को चिकित्सीय सुविधाओं के लिए जद्दोजहद करनी पड़ती थी। रक्त जांच की रिपोर्ट तीन-चार दिन इंतजार के बाद मिल पाती थी। रेडियोथेरेपी की दो मशीनें खराब होने से रेडिएशन के लिए दो-तीन माह वेटिंग चल रही थी। यह सब देख आशुतोष ने सूरत बदलने की ठान ली। वर्ष 2014 में ही कई आरटीआइ लगा जेके कैंसर संस्थान से विभिन्न सूचनाएं मांगीं, जैसे जांच, उपलब्ध सुविधाएं, इलाज और बजट, संसाधन, मशीनों के रखरखाव, बिल्डिंग की दुर्दशा आदि के बारे में। सूचनाएं जुटाने के बाद इलाहाबाद हाईकोर्ट में जनहित याचिका दाखिल कर दी। कोर्ट ने जेके कैंसर संस्थान पर शासन से जबाव-तलब किया तो खलबली मच गई। आनन-फानन संस्थान में सुविधाएं बढ़ाने की कवायद शुरू हो गई। लखनऊ से आला अफसर निरीक्षण करने पहुंचने लगे। समस्याएं दूर करने के लिए प्रस्ताव मांगे जाने लगे। खराब लीनियर एक्सीलरेटर एवं पुरानी कोबाल्ट मशीन की मरम्मत के लिए बजट मिलते ही उन्हें दुरुस्त कराया गया, जिसका फायदा आज कैंसर पीड़ितों को मिल रहा है।
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पैथालॉजी में मंगाई गई आधुनिक मशीनें
संस्थान की पैथालॉजी में आधुनिक मशीनें मंगाई गई हैं। अब मरीजों को एक से दो घंटे में जांच रिपोर्ट मिल जाती है। कैंसर मार्कर जांच एवं रेडियोलॉजी की सीटी, एमआरआइ, डिजिटल एक्सरे एवं अल्ट्रासाउंड जांच की सुविधा उपलब्ध है।
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नई बिल्डिंग के निर्माण की कवायद
जेके कैंसर संस्थान का भवन जर्जर हो चुका है। संस्थान में नौ मंजिला भवन निर्माण का प्रस्ताव शासन को भेजा गया है। इसके लिए शासन के स्तर से प्रयास शुरू हैं।