जनता चुनेगी जिला पंचायत अध्यक्ष!
जागरण संवाददाता, कानपुर : जिला पंचायत के अध्यक्ष और ब्लाक प्रमुख के चुनाव में अब धनबल और बाह
जागरण संवाददाता, कानपुर : जिला पंचायत के अध्यक्ष और ब्लाक प्रमुख के चुनाव में अब धनबल और बाहुबल को रोकने को राज्य सरकार विचार कर रही है। सरकार का प्रयास है कि अगली बार जब पंचायत का चुनाव हो तो महापौर, नगर पालिका और नगर पंचायत अध्यक्ष की तरह ही जनता जिला पंचायत के अध्यक्ष और ब्लाक प्रमुख का चुनाव करे। वैचारिक स्तर पर सरकार में इसको लेकर चर्चा शुरू हो चुकी है। इसे जल्द ही अमल में लाया जा सकता है। इस बात के संकेत बुधवार को शहर आए उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने दिए।
अक्सर देखा जाता है कि जिस पार्टी की सरकार होती है, उसी का जिला पंचायत अध्यक्ष बनता है। अध्यक्ष का प्रत्याशी जिला पंचायत सदस्यों को आठ से दस लाख रुपये देकर खरीद लेता है, जबकि ब्लाक प्रमुख पद के लिए तीन से चार लाख रुपये में क्षेत्र पंचायत सदस्यों के वोट खरीदे जाते हैं। बाहुबल के दम पर सदस्यों को प्रत्याशी होटलों में जबरन रोक लेते हैं। सत्तारूढ़ दल अपने प्रत्याशी को जिताने के लिए पुलिस और प्रशासनिक मशीनरी का उपयोग भी करता है। जब सत्ता बदलती है तो फिर धनबल और बाहुबल के दम पर अविश्वास प्रस्ताव लाए जाते हैं। अध्यक्ष व ब्लाक प्रमुखों को प्रस्ताव के जरिए हटाकर सत्ताधारी दल के अध्यक्ष एवं प्रमुख बन जाते हैं। उपचुनावों में कई बार कानून व्यवस्था भी बिगड़ती है। हाल ही में औरैया में हुए अध्यक्ष का उपचुनाव इस बात का ताजा उदाहरण है जहां विधायक के भाई की गाड़ी को आग के हवाले किया गया। इसी को देखते हुए भाजपा सरकार इन पदों का चुनाव सीधे जनता से कराने की तैयारी कर रही है। उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने सर्किट हाउस में स्वीकार किया कि धनबल और बाहुबल को रोकने के लिए सरकार जिला पंचायत अध्यक्ष और ब्लाक प्रमुख का चुनाव जनता से कराने की तैयारी कर रही है। वैचारिक स्तर पर इसे लेकर कवायद चल रही है।
1995 में जनता ने पहली बार चुना था महापौर
पहले महापौर का चुनाव भी जनता की जगह जीतकर आए सभासद करते थे। इसमें भी धनबल का खूब प्रयोग होता था। इसी को देखते हुए 30 मई 1994 को महापौर, नगर पंचायत व नगर पालिका अध्यक्ष का चुनाव जनता से कराने की अधिसूचना जारी की गई। नवंबर 1995 में हुए निकाय चुनाव में जनता ने अपनी पसंद का महापौर और नगर पालिका व नगर पंचायत अध्यक्ष को चुनकर भेजा।