दीवारों पर जुमला, सड़कों पर कचरा
स्वच्छता सर्वेक्षण अभियान 2019 में स्वच्छता संदेश लिखने और स्वच्छता एप डाउनलोड करने में कानपुर जरूर अव्वल रहा, मगर क्लीन सिटी बनने में फिसड्डी।
जागरण संवाददाता, कानपुर : स्वच्छता सर्वेक्षण अभियान 2019 में स्वच्छता संदेश लिखने और स्वच्छता एप डाउनलोड करने में कानपुर जरूर अव्वल रहा, मगर क्लीन सिटी बनने में फिसड्डी। वजह यह रही कि स्वच्छता अभियान सड़कों के बजाय दीवारों पर ही चला। दीवारों पर स्वच्छता संदेश के नाम पर लाखों रुपये खर्च कर दिए गए लेकिन सड़कों पर जमा कूड़े के ढेर अपनी जगह से नहीं हिले। शहर की सूरत यह है कि दीवारें स्वच्छता संदेश से पटी हैं जबकि सड़कें कूड़े से। गंदगी के साथ ही बेसहारा जानवरों के जमावड़े के चलते शहरवासियों का सड़क पर निकलना दूभर हो गया है।
स्वच्छता अभियान में नगर निगम ने कितनी मेहनत की, इसका अंदाजा कुछ उदाहरणों से लगा सकते हैं। चुन्नीगंज में दीवार पर लिखा है- क्लीन कानपुर ग्रीन कानपुर। कुछ ही दूरी पर फैली गंदगी व्यवस्था की पोल खोल रही है। ग्रीनपार्क में कई वर्षो से कूड़ा हटाने की मांग चल रही है, लेकिन आज तक नहीं हटाया गया। सड़क तक गंदगी फैली है। लोगों का इधर से निकलना मुश्किल है। स्वरूपनगर में पोस्टमार्टम हाउस के पास रैन बसेरा बना है और इसके बगल ही कूड़ाघर। कूड़े की दुर्गध के कारण सांस लेना दूभर है। आज तक इसका निस्तारण नहीं हो पाया है। यही हाल भैरोघाट चौराहा वीआइपी रोड में रैन बसेरा के सामने कूड़ाघर के कारण है।
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अविकसित क्षेत्रों का हाल और बेहाल
स्वरूपनगर, आर्यनगर, बेनाझाबर, काकादेव, पांडुनगर, लाजपत नगर समेत कई पॉश इलाकों में समय पर कूड़ा नहीं उठ पाता है। ऐसे में अविकसित क्षेत्रों का हाल और भी बेहाल है। जरौली, दामोदर नगर, गोपाल नगर, ट्रांसपोर्ट नगर, जूही, रावतपुर गांव, मिर्जापुर समेत कई जगह कई -कई दिन बाद कूड़ा उठता है।
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शहर में कूड़ा
1350 मीट्रिक टन रोज निकलता
1000 मीट्रिक टन रोज उठता
350 मीट्रिक टन रोज हो रहा डंप
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संसाधन
69 कूड़ा वाहन
125 कूड़ा वाहनों की जरूरत
5000 सफाई कर्मचारी तैनात
8000 पद सफाई कर्मियों के स्वीकृत
12000 सफाई कर्मचारियों की जरूरत
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कूड़ा निस्तारण प्लांट का हाल
सात लाख मीट्रिक टन कूड़ा एकत्र
400 मीट्रिक टन रोज हो रहा निस्तारण
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कूड़ा उठान
110 कुल वार्ड
102 वार्डो से घर-घर कूड़ा उठाने का दावा
80 वार्ड में ही उठ पा रहा कूड़ा
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रंगरोगन
दीवारें रंगी - 40 हजार वर्गमीटर
अब तक खर्च - दस लाख रुपये