जरूरतमंदों के इंसाफ की लड़ाई लड़ रहा 'जमीअत'
पैरोकारी के अभाव में जेल में बंद सभी धर्मो के लोगों की मदद, देश भर में 20 हजार लोग चिह्नित, की जा रही है पैरवी
जमीर सिद्दीकी, कानपुर : जमीअत उलमा ¨हद अब अदालतों में ऐसे लोगों की पैरवी कर रिहाई दिलाएगा, जो पैरोकारी के अभाव में सलाखों के पीछे हैं। जमीअत ने देश भर की जेलों में बंद 20,000 से अधिक लोगों को सूचीबद्ध किया है। ¨हदू हो या मुस्लिम, सिख हो या फिर ईसाई, सभी के इंसाफ की लड़ाई शिद्दत से लड़ी जा रही है और संगठन की मदद से कई लोग खुली हवा में सांस ले पा रहे हैं। पैरवी से पहले पूरी जांच कराई जा रही है ताकि धोखे में किसी दोषी की मदद न कर बैठें। जमीअत के सर्वे में 250 से अधिक लोग ऐसे मिले हैं जो जेल में सजा पूरी कर चुके हैं लेकिन उनके पास जुर्माना भरने से पैसे नहीं है, इसलिए रिहा नहीं हो पा रहे हैं।
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600 लोगों को रिहा करा चुके
जमीअत उलमा के प्रदेश संगठन मंत्री एवं शहरकाजी मौलाना हाफिज अब्दुल कुद्दूस हादी ने बताया कि अब तक 600 लोगों को अदालत से रिहा करा चुके हैं। तमाम ऐसे लोग हैं, जिनके खिलाफ कोई सबूत भी नही है लेकिन उसके बाद भी वह जेल में हैं।
कानपुर के तीन लोगों की मदद
जमीअत कानपुर के तीन लोगों की मदद कर रहा है जिन्हें पुलिस ने मुकदमे में फंसाकर जेल भेज दिया था। न सिर्फ मुकदमे में पैरवी की जा रही है बल्कि परिवार को भी आर्थिक मदद दी जा रही है।
पहले जांच, फिर पैरवी करते
उन्होंने बताया कि कोई मामला आता है तो हर जिले में मौजूद पांच सदस्यीय टीम गुप्त तरीके से जांच करती है, टीम को लगता है कि उक्त शख्स बेगुनाह है तभी उसकी पैरवी की जाती है।
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असम में एक लाख लोगों को दिलाया हक
असम सरकार ने एक लाख पांच हजार लोगों के पंचायत सर्टिफिकेट निरस्त कर दिए। इनमें 48 लाख मुस्लिम और 37 लाख गैर मुस्लिम शामिल थे। उन्होंने बताया कि जमीअत उलमा ने इन सभी की पैरवी सुप्रीमकोर्ट तक की और उन्हें वापस सर्टिफिकेट दिलाए।