दोस्तों से मदद मांगने कानपुर आया था जलीस, मस्जिद में बैग रखा और जुमे की नमाज अदा की
21 दिन तक जेल से बाहर रहा तो वापस नहीं जाना चाहता था। 30 वर्ष पुराने दोस्तों से मदद मांगने के लिए कानपुर आया था।
कानपुर, जेएनएन। 21 दिन तक जेल से बाहर रहा तो वापस नहीं जाना चाहता था। 30 वर्ष पुराने दोस्तों से मदद मांगने के लिए कानपुर आया था। यहां कुछ दिन रुककर लखनऊ और फिर संतकबीर नगर के जाना में रहने वाले दोस्तों के पास जाना था। पुष्पक एक्सप्रेस ट्रेन में बैठा तो सोच रहा था कि रकम जुटाकर नए सिरे से काम धंधा करूंगा। यहां आकर पता लगा कि एक दोस्त का काफी पहले इंतकाल हो चुका है। दूसरा दोस्त भी कहीं बाहर रहता है। इसलिए नाउम्मीद होकर लौट रहा था, लेकिन पकड़ा गया..।
डॉक्टर जलीस ने एसटीएफ अधिकारियों को यही जानकारी दी। उसने बताया कि वह 26 वर्ष बाद पैरोल पर छूटकर आया था। अरसे बाद घर आने के बाद भी पत्नी व बच्चों ने कोई तवज्जो नहीं दी। परेशान हो गया था, लेकिन वापस जेल नहीं जाना चाहता था। गुरुवार दोपहर काफी विचार करने के बाद एक पुराने दोस्त से पैसे लिए और बिना किसी को कुछ बताए कानपुर चल दिया।
उसने बताया कि फेथफुलगंज में मस्जिद के पास पुराने दो दोस्तों अब्दुल रहमान और अब्दुल कयूम के घर हैं। यहां पता लगा कि रहमान की कुछ वर्ष पूर्व सड़क हादसे में मौत हो गई थी। कयूम भी अब शहर में नहीं रहते हैं। इसके बाद जलीस ने मस्जिद में अपना बैग रखा। दोपहर जुमे की नमाज अदा की और मस्जिद से बाहर निकलकर टहलने लगा। प्लेटफार्म नंबर एक की तरफ रेलवे इंक्वायरी जाकर ट्रेनों के बारे में भी जानकारी की लेकिन वापस मस्जिद लौटते वक्त एसटीएफ ने दबोच लिया।
देर रात ही सक्रिय हो गई थी एसटीएफ, जीआरपी
मुंबई एटीएस और क्राइम ब्रांच की सूचना पर देर रात करीब 12 बजे से ही एसटीएफ, जीआरपी, लोकल पुलिस व खुफिया एजेंसियां अलर्ट हो गई थीं। रेलवे स्टेशन पर भी मुंबई से आने वाली ट्रेनों की चेकिंग कराई जाने लगी थी। एसटीएफ के मुताबिक सुबह करीब नौ बजे जलीस ट्रेन से उतरा और स्टेशन से बाहर निकल गया। उसे कोई पहचान नहीं पाया था। एसटीएफ को मुखबिर से सूचना मिली और उसे पकड़ लिया।