हमीरपुर में 28 साल पुराने हत्या मामले में 15 दिन पहले जेल भेजे गए कैदी की मौत, स्वजन ने लगाया लापरवाही का आरोप
हमीरपुर में 28 साल पुराने दोहरे हत्याकांड में 15 दिन पहले अजीवन कारावास की सजा पाने वाले शख्स की संदिग्ध हालात में मौत हो गई है। कुछ साल पहले वह एक दुर्घटना में लक्वाग्रस्त हो गया था। पुलिस ने शव को कब्जे में ले पोस्टमार्टम के लिए भेजा है।
हमीरपुर, जागरण संवाददाता। दोहरे हत्याकांड में 15 दिन पूर्व उम्रकैद की सजा पाने वाले लकवाग्रस्त कैदी की बुधवार को जेल में अचानक तबियत बिगड़ गई। जेल से कैदी को पुलिस अभिरक्षा में जिला अस्पताल लाया गया, जहां चिकित्सकों ने जांच के बाद उसे मृत घोषित कर दिया। पुलिस ने शव को कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम को भेज दिया है। उधर, मृतक कैदी के स्वजन ने जेल प्रशासन पर लापरवाही बरतने का आरोप लगाया है। शव का पोस्टमार्टम कराने में देरी के कारण नाराजगी भी जताई।
चकोठी गांव में 16 मार्च 1994 को गांव निवासी जसवंत सिंह व मोतीलाल वर्मा की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। इस मामले में मृतक जसवंत सिंह के भाई रमेशचंद्र ने 25 नामजद व चार अज्ञात लोगों के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कराई थी। इस मामले में 28 वर्ष बाद इसी माह सितंबर की 13 तारीख को विशेष सत्र न्यायाधीश एससी/एसटी मोहम्मद असलम ने 17 आरोपितों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी।
इस हत्या कांड में एक ही परिवार के विजय सिंह व उसके तीन पुत्र शिव सिंह उर्फ भूरा, जाहर सिंह व उपेंद्र सिंह शामिल थे। 50 वर्षीय जाहर सिंह कई वर्ष पूर्व सड़क दुर्घटना में घायल होने के बाद लकवाग्रस्त हो गया था। सजा सुनाए जाने के बाद से जाहर सिंह जिला कारागार में निरुद्ध था।
बुधवार सुबह उसकी तबियत ज्यादा बिगड़ गई। जिस पर जिला कारागार के सिपाही उसे जिला अस्पताल ले गए, जहां चिकित्सकों ने जांच के बाद उसे मृत घोषित कर दिया। पुलिस ने शव का पंचनामा भरकर पोस्टमार्टम कराया है।
मृतक के भाई उपेंद्र का आरोप है कि जेल में भाई जाहर सिंह का ठीक से ध्यान नहीं रखा गया। भूख-प्यास के कारण उनकी मौत हुई है। वहीं पोस्टमार्टम में देरी होने पर नाराजगी जताते हुए कहा कि प्रशासन द्वारा निर्दयी व्यवहार किया गया है। दोहरे हत्याकांड में शामिल जाहर सिंह हत्याकांड के समय जनपद जालौन के कालपी डिग्री कालेज के छात्रसंघ का अध्यक्ष था।