जागरण विमर्श 2021 द्वितीय सत्र: शैक्षिक संवर्धन पर बोले वक्ता, राष्ट्र निर्माण के लिए शिक्षा और स्कूल पर करना होगा फोकस
Jagran Vimarsh 2021 प्रयागराज-झांसी खंड के शिक्षक विधायक सुरेश कुमार त्रिपाठी बोले कि शिक्षा के पिछड़ेपन को दूर करने के लिए शैक्षिक उपकरण संसाधन और शिक्षक पर्याप्त नहीं हैं। यही वजह है कि लोग प्राइमरी स्कूल के बजाय ज्यादा पैसे खर्च करके प्राइवेट स्कूलों की तरफ भाग रहे हैं।
फतेहपुर, जागरण संवाददाता। Jagran Vimarsh 2021 शिक्षा को और उड़ान देने की जरूरत है। इससे बच्चों, युवाओं और युवतियों को कामयाबी की मंजिल पाने में आसानी होगी। कौशल विकास से केंद्र और प्रदेश सरकारें निखार ला रहीं हैं। माता-पिता और शिक्षकों को भी एकजुटता के साथ बेहतरी के प्रयास में जुटने की जरूरत है। गंगा-यमुना दोआबा वाले जिले में आयोजित जागरण विमर्श में शिक्षा के विशेषज्ञों ने समाज को राह दिखाई। सधे शब्दों में दायित्व निर्वहन की याद दिलाई। शिक्षा पाकर कर उच्च पदों को सुशोभित कर रहे अतिथियों ने माता-पिता और शिक्षकों को राह दिखाई। बोले, शिक्षा की बगिया में पल रहे बच्चों को पुष्पित करके सुगंध फैलाने लायक बनाने में सबकी मदद जरूरी है। मौका था नव सृजन के दूसरा सत्र में शैक्षिक संवर्धन एवं युवाओं का करियर विषय पर चर्चा का।
प्रयागराज-झांसी खंड के शिक्षक विधायक सुरेश कुमार त्रिपाठी बोले कि शिक्षा के पिछड़ेपन को दूर करने के लिए शैक्षिक उपकरण, संसाधन और शिक्षक पर्याप्त नहीं हैं। यही वजह है कि लोग प्राइमरी स्कूल के बजाय ज्यादा पैसे खर्च करके प्राइवेट स्कूलों की तरफ भाग रहे हैं। शिक्षा के साथ अन्य क्षेत्रों में बच्चों की रुचि के अनुसार करियर की पहचान करनी होगी। शिक्षक पढ़ाने के दौरान ही जान जाता है कि कौन बच्चा किस क्षेत्र और किस बुलंदी के आयाम तक पहुंच सकता है। राष्ट्र निर्माण के लिए शिक्षा, स्कूल और शिक्षकों का धर्म सरकारों को निभाना होगा। डा. बीआर आंबेडकर राजकीय महिला महाविद्यालय की प्रोफेसर डा. गुलशन सक्सेना ने कहा, बदले हुए परिवेश में आधी आबादी ही नहीं, युवा यू-ट््यूब, फेसबुक, वाट््सएप जैसे संचार साधनों से जुड़ गए हैं। वह उन्हें कहां ले जा रहे हैं, इसका तनिक भी भान किसी को नहीं है। यह ङ्क्षचता का विषय है। इनमें तनिक भी शिक्षा का जुड़ाव नहीं हैं। ङ्क्षचता व्यक्त करते हुए बोलीं कि कहां गई वह गुरु और शिष्य की परंपरा। संस्मरण सुनाते हुए कहाकि प्राथमिक कक्षा में विशेषण नहीं सुना पाई तो गुरुजी ने हाथ पर कई डंडे मारे। घर आई तो माता-पिता बोले कि जब विशेषण नहीं बता पाई तो विश्लेषण क्या बताएगी। शिक्षकों के अधिकार सीमित कर दिए गए हैं। शिक्षक के पास कोई जादू की छड़ी नहीं होती है। बच्चों को उन्नति का मार्ग पकड़ाने के लिए माता, पिता, अभिभावक और शिक्षक की संयुक्त जिम्मेदारी है। आइइएस और रक्षा मंत्रालय में तैनात अभिषेक नमन ने युवाओं को राह दिखाई। बोले कि नियम, संयम, और नियमित पठन-पाठन के अभ्यास से मंजिल मिलती है। शहर से लेकर गांव तक प्रतिभा की कमी नहीं हैं। बच्चों का भविष्य अभिभावकों के संस्कृति और संस्कार में निहित है। मेडिकल कालेज के प्राचार्य डा. आरपी ङ्क्षसह ने कहाकि बच्चों का प्राइमरी एजूकेशन मजबूत करना होगा। बच्चा जब जन्म लेता है तो उसका मस्तिष्क 80 प्रतिशत और बाकी 20 प्रतिशत दो साल में विकसित हो जाता है। मेडिकल से बड़ा करियर कोई नहीं है। डाक्टरी, फार्मा, टेक्नीशियन, पैरामेडिकल स्टाफ जैसे क्षेत्र जीवन संवारने के लिए पर्याप्त स्थान हैं। देश में 5000 पर एक स्टाफ नर्स की अभी तक नियुक्ति होती है। इसमें बदलाव आना चाहिए।