पेट्रोल पंप पर अब आप भी पकड़ सकेंगे घटतौली, IIT कानपुर में डिवाइस तैयार
अब पेट्रोल और डीजल पंपों पर अब घटतौली का खेल नहीं चल पाएगा। एक खास तरह की डिवाइस (फ्यूल क्वांटिफायर) को कार या बाइक के फ्यूल टैंक में इंस्टॉल किया जा सकता है।
कानपुर [शशांक शेखर भारद्वाज]। केंद्र व राज्य सरकार की टीमों के साथ अब आम आदमी भी पेट्रोल पंप पर होने वाली खटतौली को पकड़ लेगा। भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आइआइटी) के मैकेनिकल विभाग के पीएचडी छात्रों ने खास तरह की डिवाइस (फ्यूल क्वांटिफायर) इजाद की है।
अब पेट्रोल और डीजल पंपों पर अब घटतौली का खेल नहीं चल पाएगा। एक खास तरह की डिवाइस (फ्यूल क्वांटिफायर) को कार या बाइक के फ्यूल टैंक में इंस्टॉल किया जा सकता है। पेट्रोल या डीजल पंप मशीन का नोजल डिवाइस के अंदर से होते हुए टंकी में जाएगा। इसकी मदद से महज 10 सेकेंड में तेल की वास्तविक मात्रा पता चल जाएगी। आइआइटी के छात्रों को इस डिवाइस को बनाने में महज 1500 से 2000 रुपये की लागत आई है। अत्याधिक मात्रा में तैयार करने पर 500 रुपये से भी कम खर्च आएगा। संस्थान ने इस शोध को पेटेंट करा लिया है।
ऐसे करती है काम
फ्यूल क्वांटिफायर डिवाइस प्रति यूनिट टाइम के हिसाब से तेल की माप करती है। यह तेल के फ्लो रेट को माप लेता है। नोजल से टंकी में तेल जाने की गति चाहे तेज हो या फिर धीमी, उसका असर नहीं पड़ता है।
इनकी मेहनत का परिणाम
मैकेनिकल विभाग के प्रो. नचिकेता तिवारी की देखरेख में पीएचडी के छात्र माधवराव लोंधे और महेंद्र कुमार गोहिल ने उपकरण को तैयार किया है।
प्रति यूनिट टाइम के हिसाब से तेल की माप
'फ्यूल क्वांटिफायर डिवाइस' प्रति यूनिट टाइम के हिसाब से तेल की माप करती है। यह तेल के फ्लो रेट को माप लेता है। नोजल से टंकी में तेल जाने की गति चाहे तेज हो या फिर धीमी, उसका असर नहीं पड़ता है। विशेषज्ञों के मुताबिक डिवाइस में कई सेंसर लगे है। सबसे पहले तेल मैगनेटिक रोटर में जाता है। इसमें काफी संख्या में निगेटिव और पॉजिटिव ब्लेड होते हैं। ब्लेड के घूमते ही तेल के फ्लो की रीडिंग माइक्रोप्रोसेसर यूनिट में आ जाएगी। माइक्रोप्रोसेसर पहले से ही कैलिबे्रट है। उसे पूरे सर्किट के साथ फंक्शन किया गया है।
कोन के आकार की है डिवाइस
डिवाइस को कोन की आकार में तैयार की गई है। ऑयल टैंक में आसानी से लगाई जा सकती है। संस्थान के विशेषज्ञों का कहना है कि सर्किट को ब्लू टूथ डिवाइस या फिर वाई फाई से जोड़ा जा सकता है। सर्किट में छोटी सी बैट्री भी लगती है। रीडिंग कुछ ही सेंकेंड में मोबाइल स्क्रीन पर आ सकेगी। अलग से एक स्क्रीन डैशबोर्ड पर भी लगाई जा सकती है। इसके लिए एप भी लांच करने की तैयारी है।
गुणवत्ता जांचने के लिए बना रहे डिवाइस
आइआइटी के विशेषज्ञ पेट्रोल-डीजल में मिलावट की पड़ताल के लिए डिवाइस बना रहे हैं। इसे 'फ्यूल क्वांटिफायर एडवांस' नाम दिया गया है। डिवाइस को लैब में परख लिया गया है। उसको पेटेंट कराने की प्रक्रिया चल रही है।
1000 एमएल में 5 एमएल तक आ सकता अंतर
डिवाइस की मदद से रीडिंग एकदम सही आती है, लेकिन सेंसर में गड़बड़ी होने पर कुछ अंतर आ सकता है। हालांकि यह अंतर 1000 एमएल में 5 एमएल का हो सकता है।
स्टार्टअप की तैयारी
आइआइटी के विशेषज्ञ डिवाइस की मदद से स्टार्टअप की तैयारी कर रहे हैं। इसके लिए कंपनी खोलने की भी प्लानिंग है। गुरुग्राम की कार कंपनी से बातचीत चल रही है। कंपनी ने डिवाइस का सर्वे भी कराया है।
डिजिटल प्रणाली पर काम
मैकेनिकल इंजीनियरिंग विभाग, आइआइटी के प्रोफेसर नचिकेता तिवारी ने बताया कि फ्यूल क्वांटिफायर डिवाइस से पेट्रोल डीजल की चोरी पकड़ी जा सकेगी। यह डिजिटल प्रणाली पर काम करती है। इसके परिणाम काफी बेहतर मिले हैं।