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भारत की अर्थव्यवस्था को मजबूत करने में कारगर साबित हो सकता इजरायली मॉडल Kanpur News

विश्व बैंक समूह के शुगर केन एडवाइजर डॉ. राजपाल सिंह ने अध्ययन किया है।

By AbhishekEdited By: Published: Thu, 19 Sep 2019 09:33 AM (IST)Updated: Thu, 19 Sep 2019 09:33 AM (IST)
भारत की अर्थव्यवस्था को मजबूत करने में कारगर साबित हो सकता इजरायली मॉडल Kanpur News
भारत की अर्थव्यवस्था को मजबूत करने में कारगर साबित हो सकता इजरायली मॉडल Kanpur News

कानपुर, जेएनएन। इजरायल में बिजली उत्पादन व खेती का मॉडल भारत की अर्थव्यवस्था को मजबूत करने में कारगर साबित हो सकता है। वहां पर घर से लेकर दफ्तर तक हर स्थान पर बिजली का उत्पादन सोलर पैनल के जरिए किया जाता है। इससे दो लाभ हैं, पहला बिजली संकट नहीं है और दूसरा उसे बनाने में कोयला व ईंधन का प्रदूषण भी नहीं होता है। गन्ने की सिंचाई न्यूनतम पानी यानी ड्रिप इरीगेशन (टपक सिंचाई) के जरिए की जाती है जिससे 30 से 40 फीसद पानी की बचत होती है।

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विश्व बैंक समूह के शुगर केन एडवाइजर डॉ. राजपाल सिंह ने अपने अध्ययन में यह पाया कि इस इजरायली तकनीक को अपनाकर किसानों की दोगुनी आय का लक्ष्य पूरा होने के साथ बिजली की समस्या से भी निजात मिल सकती है। वे राष्ट्रीय शर्करा संस्थान में बुधवार को साइंटिफिक सोसाइटी की ओर से आयोजित वार्षिक समारोह में शिरकत करने आए थे। उन्होंने बताया कि हमारे देश में गन्ने की खेती में जरूरत से अधिक पानी इस्तेमाल किया जाता है। इससे पानी का दोहन होने के साथ-साथ किसान का डीजल भी फुंकता है। इजरायल में पानी व्यर्थ नहीं बहाया जाता, बल्कि साफ नालियों में बहते हुए पानी का इस्तेमाल ड्रिप एरीगेशन के लिए किया जाता है।

देशभर के तीन लाख किसानों व छह शुगर इंडस्ट्री साथ विश्व बैंक काम करता है। इसमें चार इंडस्ट्री उत्तर प्रदेश में व एक-एक महाराष्ट्र व मध्य प्रदेश में हैं। उन्होंने कई शुगर इंडस्ट्री को इसकी एडवाइजरी जारी की है। इसके बाद सौर ऊर्जा के जरिए बिजली उत्पन्न करने पर विचार चल रहा है। इसके अलावा किसानों को वह तकनीक बताई जा रही हैं जिसने बूंद बूंद पानी का इस्तेमाल करके गन्ने की अच्छी पैदावार करके 35 से 40 फीसद तक उत्पादन बढ़ाया जा सकता है।

सौ टन प्रति हेक्टेयर होगा उत्पादन

एनएसआइ के निदेशक प्रोफेसर नरेंद्र मोहन ने बताया कि अभी देशभर में गन्ने का उत्पादन 80 टन प्रति हेक्टयर होता है। ड्रिप इरीगेशन के जरिए इसकी पैदावार बढ़ाकर सौ टन प्रति हेक्टेयर की जा सकती है। इसके अलावा फर्टिलाइजर का प्रयोग भी 40 फीसद कम होगा। इस प्रकार की सिंचाई के तहत फर्टिलाइजर पानी के साथ फसलों की जड़ों तक पहुंचता है।


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